Importance of Tilak: माथे पर तिलक लगाना धार्मिक कर्मकांड का ही हिस्सा नहीं है। यह आध्यात्मिक रूप से भी लाभकारी है। यह व्यक्ति को मानसिक शांति और सकारात्मकता प्रदान करता है।
Importance of Tilak: सनातन धर्म में तिलक लगाने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। सभी साधु-संतों और योगियों के माथे पर तिलक सुशोभित रहता है। इसके साथ ही हिंदू धर्म में कोई भी पर्व या त्योहार बिना तिलक अधूरा माना जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि मस्तिष्क पर तिलक क्यों लगाया जाता है और इसका क्या महत्व है। आइए यहां जानते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तिलक सम्मान का प्रतीक माना जाता है। क्योंकि धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे लगाना आध्यात्मिक उन्नति, ऊर्जा केंद्रों को सक्रिय करता है। साथ ही तिलक जातक की कुंडली में उग्र ग्रहों को शांत करने और मन को शांत करने का कार्य करता है।
इसके साथ ही माथे पर तिलक लगाने से व्यक्ति पर भगवान की कृपा बनी रहती है। यह भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है। पूजा-पाठ, धार्मिक अनुष्ठान या अन्य किसी शुभ कार्य के समय तिलक लगाना अनिवार्य माना जाता है। मान्यता है कि तिलक लगाने से व्यक्ति को नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा मिलती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
माथे पर तिलक लगाने का स्थान आज्ञा चक्र (भृकुटि के बीच) होता है, जिसे हमारी ऊर्जा का केंद्र माना जाता है। यह चक्र ध्यान और आध्यात्मिक ज्ञान का प्रतीक है। तिलक लगाने से इस चक्र को सक्रिय किया जा सकता है, जिससे मन शांत और ध्यान केंद्रित होता है। माथे पर तिलक लगाने से मस्तिष्क शीतल रहता है और मानसिक तनाव को कम करता है। हल्दी, चंदन, और कुमकुम जैसे पदार्थों से बने तिलक त्वचा और स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होते हैं।
तिलक कई तरह के होते हैं। यह हर दिन के अनुसार अलग-अलग लगाए जाते हैं। जैसे मंगलवार के दिन चमेली के तेल मे सिंदूर घोलकर तिलक लगाना बेहद शुभ माना जाता है। शनिवार के दिन भस्म का तिलक मस्तिष्क पर लागने से जीवन की परेशानियां दूर होती है। पीले चंदन का तिलक गुरुवार के दिन लगाना शुभ माना जाता है। इसी तरह कुमकुम और रोली का तिलक भी अलग-अलग दिन के हिसाब से लगाया जाता है।
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