
Rigveda First Mantra : ऋग्वेद के इस पहले मंत्र में छिपा है, लाइफ और ब्रह्मांड का सारा ज्ञान (फोटो सोर्स: AI image@Gemini)
Rigveda First Mantra : ऋग्वेद भारतीय संस्कृति, धर्म और दर्शन का एक अनोखा खजाना है। जिसे वेदों का पुराना और महान ग्रंथ भी माना जाता है। "ॐ" (Aum) ऋग्वेद का पहला मंत्र है, ये स्पिरिचुअल नजरिए से बहुत महत्व रखता है। ये लाइफ के दूसरे गहरे रहस्यों (Mysteries) और ब्रह्मांड से भी कनेक्ट है। इसकी मदद से हम जीवन, प्रकृति और ब्रह्मा के साथ अपने सारे रिलेशन को समझ सकते हैं।
"ॐ अग्निमीले पुरोहितं यज्ञस्य देवमृत्विजम्।
होतारं रत्नधातमम्।"
इस मंत्र का मतलब है कि "ॐ, मैं अग्नि की पूजा करता हूं, जो यज्ञ का पुरोहित है, जो देवताओं के लिए पूजा करता है, और जो रत्नों और संपत्ति का मालिक है।" यह मंत्र ऋग्वेद के पहले सूक्त का हिस्सा है, जो अग्नि की भगवान के रूप में सम्मान करता है और उसे लाइफ और दुनिया की रक्षा करनेवाला के रूप में दिखाता है।
ये मंत्र बस आग के पूजा की ही बात नहीं कहता, बल्कि लाइफ में हो रहे लगातार बदलाव और अमरता की भी निशानी मानता है। क्योंकि आग के बिना कोई भी यज्ञ/पूजा पूरा नहीं होता है। यही कारण भी है कि आग को जीवन के हर हिस्से में शुद्धता ( Pureness) और एनर्जी (Energy) का मैन सोर्स माना जाता है।
ऋग्वेद के इस पहले मंत्र का केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि साइंटिफिक नजरिया भी है। आग रोशनी का नेचुरल सोर्स है, साथ ही ये यूनिवर्स की एनर्जी का सिंवल है। ये एनर्जी यूनिवर्स के डेवलपमेंट और उसके बैलेंस के लिए जरूरी है।
यह मंत्र लाइफ की शुरूआत और उसके डेवलपमेंट से कनेक्ट है। जब हम अग्नि का जाप करते हैं, तो हम न केवल अपनी आत्मा को शुद्ध और साफ करते हैं, बल्कि हमारे अंदर एक तरह की डिवाइन एनर्जी भी बनती होता है। इससे मन को शांति, समृद्धि (Prosperity) और दर्शन का ज्ञान (philosophical knowledge) मिलता है।
Updated on:
07 Dec 2025 12:07 pm
Published on:
07 Dec 2025 12:06 pm
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