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Akhand Deepak in Haridwar : 100 साल से जल रहा है ये दीपक : जानें, शांतिकुंज का 1926 से प्रज्वलित अखंड दीपक क्यों है पापों का नाशक

Akhand Deepak in Shantikunj Haridwar : जानें हरिद्वार के शांतिकुंज में 1926 से प्रज्वलित अखंड दीपक की कहानी, जिसने श्रीराम शर्मा आचार्य को बनाया सिद्ध साधक। दर्शन मात्र से होते हैं पाप क्षीण, दूर होती है नकारात्मकता और आती है समृद्धि।

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भारत

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Manoj Vashisth

Dec 10, 2025

Akhand Deepak in Haridwar

Akhand Deepak in Haridwar : हरिद्वार का वह अखंड दीपक, जो है 'युग निर्माण' आंदोलन की आत्मा (फोटो सोर्स: Patrika Design Team)

History of Akhand Deepak in Shantikunj Haridwar : हिंदू शास्त्रों में अखंड दीपक को निरंतर जलती हुई दैवी शक्ति के रूप में वर्णित किया गया है। यह दिव्य शक्तियों का आह्वान करता है और साधक के मन में दीर्घकाल तक एकाग्रता और पवित्रता बनाए रखता है। देवी भागवत पुराण के अनुसार, अखंड ज्योति के प्रज्वलन से घर का वातावरण शुद्ध होता है, उसमें मौजूद कलह, क्लेश और दरिद्रता दूर होती है और सुख, शांति व समृद्धि बढ़ती है।

कैसे सिद्ध होता है दीपक

यदि कोई दीपक 40 वर्षों से अधिक समय तक अखंड प्रज्वलित रहता है, तो वह सिद्ध हो जाता है। आज हम एक ऐसे दीपक की बात करेंगे जो 100 वर्षों से अखंड जल रहा है। हिंदू महातीर्थ गंगा के तट पर बसे हरिद्वार के प्रसिद्ध धाम गायत्री तीर्थ, शांतिकुंज में अखंड दीपक स्थापित है, जो सन 1926 से लगातार आज तक अखंड प्रज्वलित है। इस अखंड दीपक से युग निर्माण आंदोलन की समर्थ ऋषि सत्ताओं की शक्ति जुड़ी हुई है, जो निश्चित तौर पर सभी को दिव्य प्रेरणा देती है।        

किसने प्रज्वलित करवाया था ये दीपक

वसंत पंचमी वि.सं. 1983 (18 जनवरी 1926) के दिन प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में हिमालयवासी ऋषि सत्ता दादा गुरुदेव श्री सर्वेश्वरानंदजी महाराज द्वारा 15 वर्षीय युवा साधक श्रीराम के उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के आवल खेड़ा ग्राम में पूजा स्थान में प्रकाश पुंज रूप में प्रकट होकर अखंड दीपक प्रज्वलित करवाया गया। उसी अखंड दीपक की साक्षी में श्रीराम ने गायत्री के 24 महापुरश्चरण पूरे किए और दिव्य शक्तियाँ प्राप्त कर गायत्री के सिद्ध साधक बने।

पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा अखंड ज्योति पत्रिका का प्रकाशन, आर्ष ग्रंथों का भाष्य, हजारों पुस्तकों का लेखन, गायत्री, यज्ञ, संस्कार, गौ, गंगा, गीता जैसे भारतीय संस्कृति के आधारभूत तत्वों की पुनः स्थापना – यह सब अखंड दीपक की प्रेरणा से हुआ। पूर्ण पृथ्वी पर मनुष्य में देवत्व का अवतरण और धरती पर स्वर्ग का वातावरण बनाने वाली सौ सूत्री युग निर्माण योजना, विचार क्रांति अभियान, सात आंदोलन, गायत्री परिवार की मुख्य संस्थाओं की स्थापना, लाखों शाखाएँ, करोड़ों परिजन इसी प्रेरणा प्रकाश से प्रकाशित हैं।

अखंड दीपक की महिमा | Importance of Eternal Flame in Hinduism

वंदनीय माताजी द्वारा शुरू की गई विराट अश्वमेघ यज्ञ श्रंखला भी इसी अखंड दीपक की महिमा है। निरंतर करोड़ों गायत्री मंत्र के जाप इसी अखंड दीपक की साक्षी में हुए हैं और आज भी जारी हैं, उसकी शक्ति उसी में समाई हुई है। स्वयं गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा जी के शरीर त्याग के बाद भी उस अखंड दीपक की ज्योति में विलीन होकर ज्योति स्वरूप में प्रकाशित हैं। इस ज्योति के दर्शन मात्र से दैहिक, दैविक, भौतिक पाप क्षीण हो जाते हैं। अभाव, अज्ञान, अशक्ति के कारण उत्पन्न कष्ट दूर हो जाते हैं, नकारात्मकता दूर होती है।

जब भी आप शांतिकुंज आएं, तब अखंड दीपक का दर्शन करना न भूले

गायत्री परिवार की संस्थापिका वंदनीय माता भगवती देवी शर्मा जी की कही बात – 'जब भी आप शांतिकुंज आएं, तब अखंड दीपक में देखना, हम दोनों की छवि दिखेगी; शांति, संतोष और प्रेरणा लेकर ही आप वहां से जाएंगे। हम आश्वासन देते हैं कि यह अखंड ज्योति कभी बुझेगी नहीं, इसी ज्योति में हमें देखा जा सकेगा। शरीर बदलने का समय आएगा तो हमें साकार से निराकार होना पड़ेगा, पर तुरंत ही उस स्थिति से निकलकर इसी अखंड दीपक की लौ में समा जाएँगे, जिसमें अलग-अलग शक्तियाँ एक ही ज्योति में विलीन हो जाएँगी, जैसे गंगा-यमुना के संगम में मिलन।'

संक्षेप में, यह अखंड दीपक मात्र ज्योति का प्रतीक नहीं, बल्कि 'अखंड विश्वास', 'निरंतर ध्यान' और 'ज्ञान की अनंत ज्योति' का प्रतीक है। शांतिकुंज हरिद्वार के युग निर्माण मिशन के अनुसार, अखंड दीपक पूरे प्रज्ञा आंदोलन की आत्मा है, जहाँ से आध्यात्मिक प्रकाश और प्रेरणा का प्रसार होता है। इसका शास्त्रीय मत यही है कि यह अविरत दिव्य चेतना का स्रोत है, जो भक्ति की निरंतर धारा एवं देवी-देवताओं के आशीर्वाद का संकेत   है।