Ram Mandir Dhwajarohan: श्री राम मंदिर के शीर्ष ध्वज पर पहली बार कोविदार (kovidara tree) चिह्न अंकित किया गया है। धार्मिक ग्रंथों के सबूतों के आधार पर, यह बदलाव रामायण काल की एक परंपरा को फिर से ज़िंदा करता है। हालांकि, इस झंडे का मध्य प्रदेश से भी कनेक्शन है। उस कनेक्शन के बारे में यहां जानें…
Ram mandir dhwajarohan: अयोध्या स्थित श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर ध्वज स्थापना के साथ ही एक ऐतिहासिक अध्याय जुड़ गया है। इस ध्वज की रूपरेखा से लेकर स्वीकृति तक की प्रक्रिया में रीवा के इंडोलॉजिस्ट ललित मिश्रा की निर्णायक भूमिका रही।
मिश्रा ने मंदिर निर्माण के समय ही मुद्दा उठाया कि श्रीराम मंदिर का कोई आधिकारिक ध्वज चिह्न नहीं है, जबकि प्राचीन ग्रंथों में इसके स्पष्ट उल्लेख मिलते हैं। उन्होंने कोविदार वृक्ष (Kovidara Tree) यानी कचनार पेड़ को ध्वज पर अंकित करने की मांग की, जो रामायण काल में अयोध्या राज्य का प्रतीक रहा है। (mp news)
मिश्रा ने बताया कि उन्होंने शुरुआत में ध्वज के प्राचीन स्वरूप को पुनर्जीवित करने का विचार रखा। बाल्मीकि रामायण, पुराणों और अन्य ग्रंथों में मिले संदर्भ जुटाकर भेजे। शुरुआत में ध्वज पर केवल सूर्य का चिह्न लगाने पर विचार किया जा रहा था, लेकिन मिश्रा के ऐतिहासिक तर्कों और प्रमाणों के चलते कोविदार वृक्ष को भी ध्वज मैं शामिल करने की स्वीकृति मिल गई।
ललित ने बताया कि लंबे संघर्ष के बाद श्रीराम मंदिर के निर्माण का रास्ता खुला। ऐसे में श्रीराम के समय का ध्वज मंदिर में इस बात का ख्याल आया। उन्होंने बताया कि श्रीराम के वनवास काल से जुड़े कई प्रसंग विंध्य क्षेत्र से संबंधित हैं। अयोध्या से वनवास जाते समय श्रीराम ने तमसा (टमस) नदी के किनारे का मार्ग चुना था।
यह मार्ग रीवा और सतना जिलों में है। चित्रकूट मैं कई वर्षों तक वह रहे। सरभंग आश्रम और गिद्धा पहाड़ का वर्णन रामायण एवं दूसरे ग्रंथों में मिलता है। पहले हर राज्य का अपना ध्वज होता था और अयोध्या राज्य की पहचान कोविदार वृक्ष से होती थी। भरत जब चित्रकूट में श्रीराम से मिलने आए तब निषादराज और लक्ष्मण दोनों ने सेना को कोविदार ध्वज से ही पहचाना था।
ध्वज पर तीन प्रतीक अंकित हैं कोविदार (Kovidara Tree), सूर्य और ओम। कोविदार इक्ष्वाकु वंश का राजचिह्न रहा है, सूर्य वंशपरंपरा का प्रतीक माना जाता है। ओम के साथ ध्वज को धार्मिक, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक दृष्टि से पूर्णता प्रदान की है।
मंदिर के लोकार्पण के समय 22 जनवरी 2024 को रीवा से तैयार लगभग सौ ध्वज अयोध्या ट्रस्ट को सौंपे गए। उस समय मुख्य मंदिर का केवल एक हिस्सा ही निर्मित होने के कारण शिखर पर ध्वज स्थापना नहीं हो सकी थी, लेकिन परिसर में कई स्थानों पर इन्हें लगाया गया। अब पूर्ण निर्माण के बाद शिखर पर स्थापित ध्वज में वही ऐतिहासिक प्रतीक अंकित हैं, जिनका सुझाव ललित मिश्रा ने दिया था। मिश्रा मूलतः रीवा जिले के हरदुआ गांव के निवासी हैं, और वर्तमान में अयोध्या शोध संस्थान दिल्ली के संयोजक हैं।