BJP Lata Wankhede Vs Congress Chandrabhushan Singh Bundela : लोकसभा चुनाव 2024 के रण में 4 जून को सागर लोकसभा सीट के परिणाम घोषित हो गए हैं। इस सीट पर भाजपा की डॉ. लता वानखेड़े ने जीत दर्ज की है।
Sagar Seat Result 2024 : लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम आने शुरू हो गए हैं। मध्य प्रदेश में भाजपा की आंधी चली है, जिसमें कांग्रेस पूरे चारों खाने चित्त हो गई है। सागर लोकसभा सीट पर भाजपा ने निर्णायक जीत हासिल की है। सागर संसदीय सीट से भाजपा प्रत्याशी डॉ. लता वानखेड़े 7 लाख 87 हजार 979 वोट हासिल कर चुनाव जीती हैं। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी चंद्रभूषण सिंह बुंदेला 'गुड्डू राजा' को 4 लाख 71 हजार 222 वोटों से हराया है। बता दें कि निकटतम प्रतिद्वंदी चंद्रभूषण सिंह बुंदेला को कुल 3 लाख 16 हजार 757 वोट मिले हैं।
मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड अंचल की प्रमुख सागर लोकसभा सीट पर भाजपा के पास अपनी जीत की लीड बरकरार रख ली है। लंबे समय से भाजपा के खाते में आ रही सागर लोकसभा सीट 2024 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा के कब्जे में ही रहेगी।
लोकसभा सीट सागर में स्वतंत्रता के बाद शुरुआती दशकों में जनता लगातार कांग्रेस पर विश्वास जताती रही। वर्ष 1952 से 1984 तक अपवाद छोड़ कर लगातार कांग्रेस को जीत मिलती रही, लेकिन वर्ष 1991 के बाद आज तक यह सीट भाजपा का मजबूत गढ़ बन चुकी है। लगातार आठवीं बार भाजपा अपना दबदबा बनाए रखने में सफल रही है।
सागर लोकसभा सीट से भाजपा ने प्रत्याशी के तौर पर मध्य प्रदेश राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष लता वानखेड़े को बनाया था, जिन्होंने पार्टी द्वारा जताए गए विश्वास को बरकरार रखते हुए गढ़ वाली सीट पर कब्जा जमाए रखा। लता वानखेड़े कुर्मी समुदाय से आती हैं, जो पिछड़ा वर्ग के अंतर्गत आता है। माना जा रहा है कि समग्र ओबीसी वोट बैंक एकजुट होने के कारण उनकी राह आसान हुई है। बीजेपी प्रत्यशी के पक्ष में भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेताओं ने ताबड़तोड़ सभाएं कीं थीं।
कांग्रेस की और से सागर सीट से उम्मीदवार बनाए गए कद्दावर नेता चंद्रभूषण बुंदेला विजयी उम्मीदवार के निकटतम प्रतिद्वंदी रहे हैं। उन्हें क्षेत्र की जनता ने 3 लाख 16 हजार 757 वोट दिए पर ये जीत के लिए नाकाफी साबित हुए। चंद्रभूषण सिंह बुंदेला 6 महीने पहले विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान बहुजन समाज पार्टी का दामन छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे। वे उत्तर प्रदेश के ललितपुर के डोंगरा कलां निवासी बुंदेला बंधु नाम से चर्चित सुजान सिंह बुंदेला परिवार के सदस्य हैं। पिछले विधानसभा चुनाव के पहले बसपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए थे, जिन्हें कांग्रेस ने स्टार प्रचारक बनाया था। बतौर स्टार प्रचारक हेलीकॉप्टर से जमकर प्रचार किया। कांग्रेस के किसी भी बड़े नेता की सभा का आयोजन नहीं हुआ।
सागर लोकसभा सीट की जनसंख्या 23 लाख 13 हजार 901 है, जिसमें से 72 प्रतिशत लोग गांवों में और 27 प्रतिशत लोग शहरों में निवास करते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग मुख्य रूप से कृषि एवं मजदूरी करते हैं, लेकिन शहर में बड़ी संख्या में लोग बीड़ी और अगरबत्ती बनाने का काम भी करते हैं। सागर लोकसभा क्षेत्र में सागर जिले की बीना, खुरई, सागर, सुर्खी, नरयावली पांच विधानसभा सीटें आती हैं। जबकि परिसीमन के बाद इसमें विदिशा जिले की सिरोंज, शमसाबाद, कुरवाई सीटों को जोड़ा गया था। इन आठ विधानसभा सीटों में से सात पर भाजपा काबिज थी, जबकि बीना विधानसभा सीट पर कांग्रेस की निर्मला सप्रे विधायक थीं। जिन्होंने मतदान तीन दिन पहले भाजपा का दामन थाम लिया था।
सामान्य सीट होने के बाद ओबीसी के प्रत्याशी को जीत हासिल होती है, जिसके चलते ओबीसी के भूपेंद्र सिंह, लक्ष्मीनारायण यादव, राजबहादुर सिंह लोकसभा का चुनाव जीते। इस दफा भाजपा ने मौजूदा सांसद राजबहादुर सिंह के स्थान पर महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष डॉ. लता वानखेड़े को उम्मीदवार बनाई गई हैं। वानखेड़े ओबीसी वर्ग से आती हैं। अगर पिछले परिणाम देखें तो लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा ने सागर से जीत हासिल की थी। भाजपा ने 6 लाख 46 हजार 231 मत हासिल किए थे और कांग्रेस प्रत्याशी प्रभुसिंह ठाकुर को 3 लाख 40 हजार 689 मत मिले। इस तरह कांग्रेस के प्रभु सिंह ठाकुर 3 लाख 5 हजार 542 मतों से चुनाव हार गए।
सागर संसदीय सीट की बात करें, तो कृषि प्रधान इस इलाके में सिंचाई सुविधाओं के अभाव के चलते किसान को मजदूरी कर अपनी रोजी रोटी कमानी होती है। ऐसे में बुंदेलखंड के दूसरे जिलों की तरह सागर का बड़ा तबका बडे़ शहरों की तरफ पलायन करता है। औद्योगिकीकरण के नजरिए से देखा जाए तो मध्यप्रदेश की इकलौती रिफायनरी बीना रिफायनरी सागर संसदीय सीट में स्थित है, लेकिन रोजगार के मामले में यहां के लोगों को कोई खास अवसर हासिल नहीं हुए हैं। अंचल में रोजगार के अन्य संसाधनों का अभाव है, जिससे यहां पढ़े-लिखे नौजवानों की संख्या ज्यादा है। हालांकि संभागीय मुख्यालय सागर में केंद्रीय और राजकीय विश्वविद्यालय के साथ मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेज भी है। स्वास्थ्य सुविधाओं की अगर बात करें तो कहने को यहां शासकीय मेडिकल कॉलेज है, लेकिन आज भी सुपर स्पेशियल्टी सुविधाओं का अभाव यहां के मरीजों को नागपुर और भोपाल के चक्कर लगाने को मजबूर करता है।