सवाई माधोपुर

राजस्थान में यहां तैयार हो रही बाघ-बाघिनों की भावी पीढ़ी, बढ़ेगा वाइल्ड लाइफ ट्यूरिज्म

वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान में रणथम्भौर के मुख्य जोन यानि एक से पांच में करीब चार से अधिक बाघिन शावकों के साथ विचरण कर रही हैं।

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Ranthambore News : सवाईमाधोपुर। रणथम्भौर में मौजूदा पर्यटन सत्र खत्म होने के कगार पर है। लेकिन यहां पर वन्यजीव प्रेमियों के लिए सुखद खबर भी सामने आ रही है। दरअसल, रणथम्भौर बाघ परियोजना में करीब चार बाघिनें शावकों के साथ विचरण कर रही है। जिन्हें वन विभाग की ओर से आने वाले समय में शावकों के व्यस्क होने पर अलग से नम्बर जारी किए जाएंगे। ऐसे में आने वाले समय में रणथम्भौर में बाघ-बाघिनों की एक युवा-भावी पीढ़ी तैयार होगी। इससे रणथम्भौर में वाइल्ड लाइफ ट्यूरिज्म बढ़ेगा।

चार बाघिनें कर रहीं शावकों के साथ विचरण

वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान में रणथम्भौर के मुख्य जोन यानि एक से पांच में करीब चार से अधिक बाघिन शावकों के साथ विचरण कर रही हैं। इनमें जोन एक में बाघिन टी-107 यानी सुल्ताना तीन शावकों के साथ, जोन दो और तीन में बाघिन टी-124 यानी रिद्धी और बाघिन टी-84 यानी एरोहेड तीन-तीन शावकों के साथ विचरण कर रही है। इसी प्रकार जोन चार और पांच में बाघिन टी-111 यानी शक्ति भी तीन शावकों के साथ विचरण कर रही है।

आठ माह से एक साल के बीच है शावकों की उम्र

वन अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान में बाघिन रिद्धी. एरोहेड, सुलताना और शक्ति के शावकों की उम्र करीब आठ माह से एक साल के बीच में है। वन विभाग की ओर से शावकों के करीब डेढ़ साल के होने और अपनी मां से अलग होकर अपनी टेरेटरी बनाने के बाद वन विभाग की ओर से नए शावकों को भी अलग से नम्बर जारी किए जाते हैं।

एरोहेंड ने बाघों से बनाई दूरी

पूर्व में कई बार बाघिन एरोहेंड रणथम्भौर के युवा बाघ टी-120 यानि गणेश के साथ विचरण करती नजर आई है, लेकिन वर्तमान में बाघिन एरोहेंड ने बाघ से दूरी बना ली है। गत दिनों रणथम्भौर के जोन दो के नालघाटी वन क्षेत्र में बाघिन एरोहेंड अपने तीन शावकों के साथ नाले में आराम फरमा रही थी तभी वहां बाघ टी-120 बाघिन टी-105 यानि नूरी के साथ आ पहुंची, लेकिन एरोहेड ने बाघ से दूरी बना कर रखी। वन्यजीव विशेषज्ञों की मानें तो आम तौर पर बाघिन शावकों के छोटा होने पर सुरक्षा के मद्देनजर बाधों से दूरी बनाकर रखती है।

शावक बड़े होने पर बनाएंगे टैरेटरी

यह सही है कि वर्तमान में रणथम्भौर में कई बाघिनें शावकों के साथ विचरण कर रही हैं और शावक धीरे-धीरे बड़े हो रहे हैं। शावक बड़े होने के बाद आमतौर पर मां से अलग होकर अपनी अलग टैरेटरी बनाते हैं। जहां तक शावकों को नम्बर देने की बाता है तो यह उच्च स्तरीय मामला है। इस संबंध में कुछ नहीं कह सकता।
-मानस सिंह, कार्यवाहक उपवन संरक्षक, रणथम्भौर बाय परियोजना सवाईमाधोपुर।

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