सीहोर

Sharbati Wheat: किसानों को होगा फायदा ही फायदा ! GI टैग के बाद बढ़े ‘शरबती गेहूं’ के भाव, ये हैं रेट

Sharbati Wheat: पिछले साल शरबती की सुजाता किस्म 3600 से 4500 रुपए प्रति क्विंटल थी। इस बार व्यापारी 4500 से 5200 रुपए प्रति क्विंटल तक बेच रहे हैं।

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May 19, 2024

Sharbati Wheat: जिले की शरबती गेहूं को जियोग्राफिकल इंडिकेशन (जीआइ) का तमगा मिले एक साल हो गया। इसके बाद देशभर में सीहोर के शरबती गेहूं की पूछपरख बढ़ गई। इसे उपजाने वाले किसानों को प्रति क्विंटल 500-600 रुपए तक ज्यादा आय हुई। इस हिसाब से किसानों को 52.50 करोड़ रुपए ज्यादा फायदा हुआ। अब कृषि विभाग शरबती गेहूं का रकबा बढ़ाने की तैयारी में है। अभी जिले में 35 हजार हेक्टेयर में ही उत्पादन होता है।

मंडी में सीहोर का रेकॉर्ड बरकरार

पहली बार 2023 में प्रदेश में सबसे महंगा 8131 रुपए प्रति क्विंटल शरबती गेहूं बिका।
आष्टा मंडी में किसान उत्तम सिंह से 13 क्विंटल गेहूं ऊंचे दाम में श्रीनाथ ट्रेडर्स ने खरीदा।
2020 में शरबती गेहूं 5000 रुपए तो 2022 में 5765 रुपए प्रति क्विंटल तक बिका था।

कैसे मिला किसानों को लाभ

डीडीए केके पांडे की मानें तो शरबती का रकबा करीब 35 हजार हेक्टेयर है। प्रति हेक्टेयर 28-35 क्विंटल तक पैदावार है। औसतन 30 क्विंटल उत्पादन ही मानें तो किसानों को प्रति क्विंटल 500 रुपए ज्यादा मुनाफा हुआ। ऐसे में जीआइ टैग मिलने के बाद जिले के शरबती गेहूं उत्पादकों को 52.50 करोड़ रुपए की ज्यादा आय हुई।

5200 रुपए प्रति क्विंटल तक भाव

सीहोर कृषि उपज मंडी में अभी शरबती गेहूं 600 से 800 रुपए महंगा है। पिछले साल शरबती की सुजाता किस्म 3600 से 4500 रुपए प्रति क्विंटल थी। इस बार व्यापारी 4500 से 5200 रुपए प्रति क्विंटल तक बेच रहे हैं। मंडी में नीलामी का भाव भी तेज है। इसका असर सीधे समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए बने उपार्जन केंद्रों पर दिख रहा है। सरकार लक्ष्य के अनुसार गेहूं की खरीदी नहीं कर पा रही। मंडी व्यापारी जयंत शाह ने बताया, सीहोर से शरबती महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत तक सप्लाई हो रहा है। कई बड़ी कंपनियां सीधे किसानों से गेहूं खरीद रही हैं।

उत्पादन बढ़ाने नई किस्म का प्रयोग

जिले में शरबती की 4-5 किस्म सी-306, सोनालिका, सुजाता, एचआई 1634, एचआई 1636 की बोवनी होती है। सी-306 की बोवनी सबसे ज्यादा होती है। इसमें पोटाश, ग्लूकोज सर्करा, सुक्रोज ज्यादा होते हैं। लेकिन उत्पादन कम होता है। अब उत्पादन बढ़ाने के लिए गेहूं अनुसंधान केंद्र इंदौर की विकसित नई प्रजाति एचआई 1650 का जिले में प्रयोग चल रहा है।

Published on:
19 May 2024 09:50 am
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