MP News: आदिवासी इलाके के स्कूल में रहस्यमयी बीमारी का डर। छात्राएं चीख रहीं, गांव अंधविश्वास में उलझा, प्रशासन जांच में लेकिन पढ़ाई ठप।
School Girls Illness Mystery: सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य विकासखंड लखनादौन के मढ़ी गांव के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बीते दो माह से अंजान खौफ के कारण यहां पढ़ रहीं 146 छात्राएं स्कूल नहीं जा रही हैं। स्कूल में छात्राएं अचानक बीमार होकर चीखने लगती हैं। शनिवार को तो गांववालों ने यहां झाड्फूंक करने वाले को भी बुला लिया। (MP News)
इस घटना के बाद सोमवार और मंगलवार को शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त टीम जांच के लिए पहुंची। लेकिन छात्राएं नहीं आई।टीम ने स्थानीय लोगों से भी चर्चा की। कुछ लोगों ने इसे बुरा साया बताया तो जागरूक नागरिकों का कहना है कि यह एक तरह का अंधविश्वास है। छात्राओं के मन मन में जो भ्रम है, उसे निकालना जरूरी है। इसलिए अधिकारियों को छात्राओं की कांउंसलिंग करनी चाहिए।
जानकारी के अनुसार, इस विद्यालय में मढ़ी सहित क्षेत्र के कई गांव के कक्षा 9वीं से 12वीं तक के 143 छात्र और 146 छात्राएं पढ़ते हैं। यहां पिछले 15 दिनों से छात्राएं अचानक बीमार पड़ जाती हैं और चीखने-चिल्लाने लगती हैं। ग्रामीणों ने बताया कि शनिवार को भी अचानक कुछ छात्राएं बीमार पड़ कर चीखने चिल्लाने लगीं, तो गांव के लोग एकत्रित हो गए।
अंधविश्वास में पड़े गांव के लोगों ने झाड़-फूंक शुरू करा दी।, जिससे दूसरी छात्राएं डरी हुई हैं। हैरानी की बात यह है कि यहां सिर्फ छात्राएं बीमार पड़ रही है, जबकि छात्रों को किसी तरह के कोई लक्षण नहीं है। जब उनको लखनादौन अस्पताल ले जाया गया तो उनका स्वास्थ्य परीक्षण किया गया तो उनको किसी तरह की कोई बीमारी होना नहीं पाया गया है।
इस स्कूल परिसर में अवस्थाओं का आलम भी जमकर है। जहां 146 छात्राएं और 143 छात्र शिक्षक शिक्षिकाएं खुले में शौच को जाते हैं। स्कूल के बने शौचालय बदहाल पड़े हैं, पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। विकासखंड अधिकारी को छात्रों और ग्रामीणों ने बताया कि स्कूल में शौचालय बेहाल पड़े हैं, पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। कुल मिलाकर बीमारी से ज्यादा इस स्कूल में अव्यवस्थाओं का आलम है और जिम्मेदारों की लापरवाही है।
विकासखंड अधिकारी श्याम बदन बघेल और स्वास्थ्य विभाग की टीम स्कूली पहुंची। छात्रोंं से बात की, लेकिन 146 छात्राओं में से एक भी सोमवार को स्कूल नहीं पहुंची थी। वहीं अधिकारियों का कहना है कि हीमोग्लोबिन की कमी से कई बार छात्राएं बीमार पड़ जाती हैं। स्कूल में कैंप लगाकर स्वास्थ्य परीक्षण कराया जाएगा। (MP News)