ममेरे भाई अर्पित शर्मा ने जब तीनों चिताओं को मुखाग्नि दी, तो ऋचा और उनकी बेटियों की चीख-पुकार से पूरा श्मशान घाट दहल उठा। 'पापा-चाचा लौट आओ…हमें छोड़कर मत जाओ दादी!" बेटियों के चित्कार ने वहां मौजूद प्रशासनिक अधिकारियों और लेखपालों की आंखों में भी आंसू ला दिए।
देवबंद तहसील के कानूनगो अमित गौड़, उनकी मां सुशीला और भाई नितिन गौड़ का शुकतीर्थ में बाणगंगा नदी के किनारे एक साथ अंतिम संस्कार किया गया। बेटियों की करुण चीखों से माहौल गमगीन हो गया, जब उन्होंने चिता में मुखाग्नि दी।
शुकतीर्थ की पवित्र बाणगंगा नदी का किनारा एक ऐसे मंजर का गवाह बना, जिसे देखकर वहां मौजूद हर शख्स की रूह कांप गई। जब एक ही परिवार के तीन सदस्यों- कानूनगो अमित गौड़, उनके भाई नितिन और उनकी वृद्ध मां सुशीला की चिताएं एक साथ जलीं, तो मानो आसमान भी रो पड़ा। बेटियों के करुण क्रंदन ने पत्थर दिल इंसानों की आंखें भी नम कर दीं।
घटना सोमवार शाम की है। मुजफ्फरनगर की नई मंडी कोतवाली क्षेत्र की वसुंधरा रेजीडेंसी में देवबंद तहसील के कानूनगो अमित गौड़ अपने परिवार के साथ रहते थे। सर्दी की शाम थी, अमित और नितिन कमरे में अंगीठी जलाकर बैठे थे, जबकि मां सुशीला दूसरे कमरे में टीवी देख रही थीं।
अचानक गैस लीक हुई और अंगीठी की आग ने उसे लपटों में बदल दिया। इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, घर में रखे दो गैस सिलेंडर धमाकों के साथ फट गए। हादसे में एक ही परिवार के तीन सदस्यों की जिंदा जलकर मौत हो गई, जबकि एक पड़ोसी गंभीर रूप से झुलस गया।
हादसे में जान गंवाने वालों की पहचान शामली निवासी अमित गौड़ (50), उनके भाई नितिन गौड़ (45) और मां सुशीला देवी (65-70) के रूप में हुई है। अमित गौड़ देवबंद तहसील में कानूनगो के पद पर तैनात थे। परिवार मूल रूप से शामली जिले का रहने वाला था और करीब दो महीने पहले ही मुजफ्फरनगर में किराए पर शिफ्ट हुआ था।
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि तेज धुएं के कारण दोनों भाई बाहर नहीं निकल सके और बुजुर्ग महिला आग से खुद को नहीं बचा पाईं। दमकल की गाड़ियां पहुंचीं, आग पर काबू पाया गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। हादसे के वक्त अमित की पत्नी ऋचा और उनकी दो बेटियां- अक्षिका (21) और आराध्या (14) उस समय पालतू कुत्ते को घुमाने बाहर गई थीं। इसी वजह से वे सुरक्षित बच गईं।
दोनों पक्षों की सहमति से पोस्टमार्टम के बाद तीनों शवों को तीर्थ के श्मशानघाट लाया गया। ममेरे भाई अर्पित शर्मा ने दोनों भाइयों और अपनी बुआ की चिता को मुखाग्नि दी।