
उन्नाव दुष्कर्म मामले में एक बार फिर भावनाएं, सवाल और सियासत आमने-सामने हैं। पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की बेटियों की ओर से सामने आए बयानों और सोशल मीडिया पोस्ट पर पीड़िता ने प्रतिक्रिया दी है। पीड़िता ने साफ कहा कि सेंगर की बेटियां बहन जैसी हैं, लेकिन बहन होने का मतलब यह नहीं कि मेरा दर्द नकार दिया जाए।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़िता का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में सजा निलंबन पर रोक लगने के बाद सेंगर परिवार की बेटियों की ओर से मुझ पर कई आरोप लगाए गए। लेकिन वह इसका बुरा नहीं मानती हैं। सेंगर की दोनों बेटियों को वह बहन जैसी मानती हैं, लेकिन जिस समय सेंगर ने मेरे साथ गलत किया क्या वह गांव में थीं?
पीड़िता ने खासकर मोबाइल लोकेशन को आधार बनाकर घटना को संदिग्ध बताने की कोशिश पर उसने सवाल उठाया। पीड़िता ने कहा कि गांव और उन्नाव शहर के बीच की दूरी इतनी नहीं कि कोई व्यक्ति घटना के बाद वहां न पहुंच सके। ऐसे में केवल लोकेशन के आधार पर सच्चाई को झुठलाना गलत है।
पीड़िता ने याद दिलाया कि जब हाईकोर्ट ने सेंगर की सजा निलंबित की थी, तब उनके समर्थकों ने जश्न मनाया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने उस फैसले पर रोक लगाई है तो आरोपों का रुख उसकी ओर कर दिया गया। पीड़िता ने स्पष्ट किया कि यह अंतिम फैसला नहीं है। दो हफ्ते बाद सेंगर के वकील पक्ष रखेंगे। उसके दो हफ्ते बाद सीबीआई के वकील और वह अपना पक्ष रखेगी। उसे भरोसा है कि अंतिम फैसला न्याय के पक्ष में होगा।
पीड़िता का कहना है कि अगर सेंगर ने उसके साथ गलत न किया होता तो वह भी आम बेटियों की तरह सामान्य जिंदगी जीती।पीड़िता ने इस पूरे विवाद की जड़ 1990 के पंचायत चुनाव को बताया। उसका कहना है कि कभी दोनों परिवार एक-दूसरे के बेहद करीबी थे, लेकिन गांव की राजनीति में वर्चस्व की लड़ाई ने रिश्तों को दुश्मनी में बदल दिया। इधर, सोशल मीडिया पर पुराने कॉल रिकॉर्डिंग, निजी बातचीत और अधूरी जानकारियों के सहारे दोनों पक्षों के समर्थक आमने-सामने हैं।
Updated on:
31 Dec 2025 10:54 am
Published on:
31 Dec 2025 10:46 am
बड़ी खबरें
View Allउन्नाव
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
