Sikar News: पलसाना निवासी दीपेंद्र सिंह शेखावत नेशनल स्तर पर अब तक एक दर्जन गोल्ड सहित कुल 23 पदक अपने नाम कर चुका है लेकिन पिछले पांच सालों से राइफल के लाइसेंस के लिए चक्कर काट रहा है।
पलसाना(सीकर). सरकारी सिस्टम की लापरवाही का यह बड़ा उदाहरण है। एक नेशनल शूटर राइफल के लाइसेंस के लिए पिछले पांच साल से सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने को मजबूर है। पलसाना निवासी दीपेंद्र सिंह शेखावत नेशनल स्तर पर अब तक एक दर्जन गोल्ड सहित कुल 23 पदक अपने नाम कर चुका है।
वह दिसंबर में होने वाली नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप के लिए जयपुर के जगतपुरा शूटिंग रेंज में तैयारी करने में जुटा है। दीपेंद्र सिंह नेशनल शूटर है और वह अपनी बड़ी बहन जया की राइफल से ही तैयारी कर अब तक निशाने साधे हैं, लेकिन बेहतर प्रदर्शन के लिए उसे खुद की राइफल की आवश्यकता है, लेकिन उसे राइफल के लिए लाइसेंस ही नहीं मिल पा रहा है।
बंदूक के लाइसेंस के लिए आवेदन करने के बाद तीन रिपोर्ट अनिवार्य होती है। जिसमें सीआइडी की रिपोर्ट, एसपी की रिपोर्ट और तहसील की रिपोर्ट। तीनों रिपोर्ट में आवेदक पात्र पाया जाता है, तो उसे लाइसेंस जारी कर दिया जाता है। दीपेंद्र सिंह को आवेदन किए हुए पांच साल का समय हो गया, लेकिन अभी तक उसकी फाइनल रिपोर्ट तैयार नहीं हुई और ना ही उसे लाइसेंस जारी हो पाया है।
खिलाड़ी को लाइसेंस किस कारण नहीं मिला है, इसकी जा रही है। यदि पात्रता पूरी है तो खिलाड़ी को किसी भी सूरत में परेशान नहीं होने दिया जाएगा। पिछले दिनों दो खिलाड़ी आए थे उनका प्रकरण संबंधित शाखा में भिजवा दिया है। - मुकुल शर्मा, जिला कलक्टर, सीकर
नेशनल स्तर पर होने वाली प्रतियोगिता में स्तरीय प्रदर्शन करने वाले शूटर को अभ्यास के लिए 15 हजार कारतूस इम्पोर्ट करने की अनुमति मिलती है। पिछले साल दीपेंद्र ने शानदार प्रदर्शन किया था। ऐसे में उसे भी यह अनुमति मिली, लेकिन इस साल दिसंबर में होने वाली नेशनल चैंपियनशिप से पहले दीपेंद्र को लाइसेंस जारी नहीं होता है तो वह 15 हजार कारतूस इंपोर्ट नहीं कर पायेगा और वो लैप्स हो जाएंगे।