Rajasthan News : निजी स्कूलों में दाखिले के बदले पैटर्न को लेकर अभिभावक और छात्र दोनों खुश नजर आ रहे हैं। पर राजस्थान में सरकारी स्कूल अब भी पुरानी लीक पर है। सरकारी स्कूलों में कम हो रहे नामांकन, लेकिन सरकार चुप है। जानें पूरा मामला।
अजय शर्मा
Rajasthan News : राजस्थान में बदलते दौर में विद्यार्थियों के दाखिले का पैटर्न भी पूरी तरह बदल गया है। पहले जहां स्कूलों में दाखिले जून-जुलाई में होते थे, अब शिक्षानगरी सीकर के अलावा जयपुर, उदयपुर, कोटा सहित कई जिलों के स्कूलों में दाखिले की दौड़ नवम्बर से फरवरी के बीच होने लगे हैं। मार्च तक करीब करीब सभी शिक्षण संस्थाओं में सीटें फुल हो जाती है। निजी स्कूलों में दाखिले के बदले पैटर्न को अभिभावकों और छात्र दोनों खुश नजर आ रहे हैं।
निजी स्कूलों में दाखिले के बदले पैटर्न का खमियाजा सरकारी स्कूलों को भुगतना पड़ रहा है। सरकारी स्कूलों में नामांकन कैसे बढ़ेगा। क्योंकि जब तक सरकारी स्कूलों में नामांकन अभियान शुरू होता है तो तब तक ज्यादातर बच्चे दूसरे स्कूलों में दाखिला ले चुके होते हैं। समय के साथ सरकारी स्कूल भी यदि दाखिले का पैटर्न बदलते है तो नामांकन में तेजी से बढ़ोतरी हो सकती है।
केस-1
कक्षा दसवीं के छात्र आयुष ने बताया कि भविष्य में सपना इंजीनियर बनने का है। इसलिए 11 व 12वीं कक्षा के साथ जेईई की तैयारी कराने वाले संस्थान के हिसाब से पिछले दिनों दूसरे स्कूल में दाखिला ले लिया। इससे अप्रेल महीने से ही 11वीं की पढ़ाई का मौका मिल सकेगा। वहीं, गर्मियों की छुट्टियों का भी सही उपयोग हो सकेगा।
केस-2
कक्षा आठवीं में अध्ययनरत छात्र सुरेन्द्र ने बताया कि अब तक कॉलोनी के एक निजी स्कूल में पढ़ाई की। पहले आठवीं का परिणाम आने के बाद ही दाखिला लेने का प्लान था। पता लगा कि ज्यादातर टॉप स्कूलों में जून तक तो सीट ही नहीं मिलेगी तो पिछले दिनों दाखिला ले लिया। अब पढ़ाई भी मिस नहीं होगी।
पहले ज्यादातर स्कूलों में दाखिले अप्रेल से जुलाई तक होते थे। इस कारण सिलेबस भी जनवरी-फरवरी में पूरा होता था और मार्च में सालाना परीक्षाएं हो जाती थीं। ऐसे में रिविजन के लिए कम समय मिलता था। अब बदले पैटर्न में अप्रेल तक दाखिले पूरे होने पर स्कूलों में कक्षाएं अप्रेल से शुरू हो जाती हैं। इसके चलते सिलेबस नवम्बर-दिसम्बर तक पूरा हो जाता है और विद्यार्थियों को रिविजन के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है।
पहले जून-जुलाई में दाखिले और अगस्त-सितम्बर में जाकर पढ़ाई को रफ्तार मिलती। इससे विद्यार्थियों को सिलेबस के रिविजन में काफी परेशानी आती। ऐसे में हर युवा अब नई कक्षा के पहले ही दिन से पढ़ाई में जुट जाता है। ज्यादातर स्कूलों की ओर से अप्रेल महीने में ही पढ़ाई शुरू कर दी जाती है।
डॉ. पीयूष सुण्डा, कॅरियर काउंसलर