सीकर

11 चुनावों बाद राजस्थान की इस लोकसभा सीट पर जीती माकपा, इन गलतियों की वजह से BJP को मिली हार

Sikar Lok Sabha Result 2024: माकपा को सबसे ज्यादा लीड उनके गढ़ धोद से मिली। यहां माकपा भाजपा से 30 हजार 398 मतों से आगे रही।

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Jun 05, 2024

Sikar Lok Sabha Result 2024: सीकर लोकसभा चुनाव के परिणाम में मंगलवार को माकपा के 'लाल' ने कमाल कर दिया। 72 साल के लोकसभा चुनाव के इतिहास में माकपा ने 72 हजार 886 मतों के साथ सीकर से पहली जीत दर्ज की। इंडिया गठबंधन में मिली सीट पर माकपा प्रत्याशी अमराराम (Amararam wins in Sikar) को 6 लाख 59 हजार 300 मत मिले। जिनके मुकाबले में दो बार से लगातार सांसद रहे भाजपा प्रत्याशी सुमेधानंद सरस्वती (Sumedhanand Saraswati) को 5 लाख 86 हजार 404 मत ही मिले। खास बात ये रही कि पिछले चुनाव में सबसे बड़ी जीत का रेकॉर्ड बनाने वाले सुमेधानंद सरस्वती पहले राउंड को छोड़ सभी राउंड में पीछे रहे। ऐतिहासिक जीत के बाद माकपा व कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जमकर जश्न मनाया।

11 चुनाव बाद मिली माकपा को जीत

माकपा को चुनावी मैदान में 11 वें मुकाबले में पहली जीत मिली है। इससे पहले 1967, 1971 व 1977 में त्रिलोक सिंह तथा 1996 से 2019 तक के सात चुनाव में खुद अमराराम ही चुनावी मैदान में उतरे थे। लेकिन, हर बार माकपा जीत से दूर रही। पर इस बार माकपा ने जीत का खाता खोल लिया।

10 उम्मीदवारों से ज्यादा नोटा को मत

चुनाव में 14 में से 10 उम्मीदवारों के मत नोटा से कम रहना भी रौचक रहा। यहां नोटा को मिले मतों की संख्या 7266 रही। जिससे ज्यादा अमराराम, सुमेधानंद सरस्वती, सुरेश पारीक व अमरचंद को ही मत मिले।

15 मिनट रुककर कार्यालय चले गए सुमेधानंद

भाजपा प्रत्याशी स्वामी सुमेधानंद सरस्वती मतगणना की शुरुआत में ही एसके कॉलेज पहुंचे। यहां करीब 15 मिनट रुकने के बाद वे वहां से निकलकर रामलीला मैदान स्थित कार्यालय में चले गए। जबकि अमराराम मतगणना स्थल पर ही रहे।

माकपा की जीत के ये कारण

  1. इंडिया गठबंधन में शामिल होने से माकपा को कांग्रेस का साथ मिला।
  2. अग्निवीर योजना व किसान आंदोलनों की वजह से शेखावाटी में भाजपा का विरोध पनपा।
  3. अमराराम की जमीनी व किसान नेता की छवि का फायदा मिला।
  4. जातिगत व धर्म के आधार पर ध्रुवीकरण का लाभ भी माकपा को मिला। जाट, मुस्लिम व एससी वर्ग के अधिकतम वोट माकपा को मिले।

भाजपा की हार के कारण

  1. गठबंधन से माकपा को टिकट मिलने पर भाजपा ने जीत को आसान मान चुनाव को हल्के में लिया।
  2. भाजपा के कई नेता व कार्यकर्ता मन से स्वामी सुमेधानंद के साथ नहीं रहे। भाजपाइयों की अंर्तकलह भी भारी पड़ी।
  3. जाट मतदाताओं के वोट माकपा की तरफ स्विंग होना बड़ा टर्निंग प्वाइंट रहा।
  4. मोदी मैजिक फीका पड़ने के साथ सैनिक व किसानों के मुद्दों में भी भाजपा पिछड़ गई।

धोद में मिली सबसे बड़ी लीड

माकपा को सबसे ज्यादा लीड उनके गढ़ धोद से मिली। यहां माकपा भाजपा से 30 हजार 398 मत आगे रही। जबकि सबसे कम लीड खंडेला से 10 हजार 336 की रही। चुनाव परिणाम के साथ मतगणना स्थल पर इंडिया गठबंधन की एकता भी दिखी। चुनाव परिणाम में बढ़त देख सीकर विधायक राजेंद्र पारीक, नीमकाथाना विधायक सुरेश मोदी, चौमूं विधायक शिखा बराला, दांतारामगढ़ विधायक वीरेंद्र सिंह व पूर्व केंद्रीय मंत्री महादेव सिंह खंडेला भी एसके कॉलेज पहुंचे। जो बाद में अमराराम के जुलूस के साथ ढाका भवन तक पहुंचे।

8 में से छह में आगे रही माकपा

माकपा सीकर संसदीय क्षेत्र की आठ में से छह विधानसभाओं में आगे रही। केवल चौमूं व श्रीमाधोपुर विधानसभा में ही माकपा प्रत्याशी पिछड़े। श्रीमाधोपुर में भाजपा के 71007 मतों के मुकाबले माकपा 56 हजार 731 और चौमूं में भाजपा के 77735 मतों के सामने माकपा को 66979 मत मिले। इसके अलावा सीकर, लक्ष्मणगढ़, नीमकाथाना, खंडेला, दांतारामगढ़ व धोद में माकपा ही आगे रही।

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