प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने धोद की राउप्रावि बल्लुपुरा के ग्रेड थर्ड शिक्षक नोलाराम जाखड़ को इसलिए एपीओ कर दिया कि उन्होंने सरकारी स्कूलों में समय पर किताबें नहीं पहुंचने से विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित होने की पीड़ा बताई थी।
सीकर. भारतीय लोकतांत्रिक संविधान में अभिव्यक्ति की आजादी नागरिकों का अहम मूल अधिकार है। लेकिन, शिक्षा विभाग शिक्षकों से ये अधिकार छीन निरंकुश होने के आरोप व आक्रोश से घिर गया है। दरअसल, प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने धोद की राउप्रावि बल्लुपुरा के ग्रेड थर्ड शिक्षक नोलाराम जाखड़ को इसलिए एपीओ कर दिया कि उन्होंने पत्रिका के पूछे जाने पर सरकारी स्कूलों में समय पर किताबें नहीं पहुंचने से विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित होने की पीड़ा बताई थी। विभाग से समय पर किताबें भेजने और स्कूल भवनों की सुरक्षा करने सरीखी मांग भी रखी थी। पर जब पत्रिका ने खबर प्रकाशित की तो अपनी खामी सुधारने की बजाय शिक्षा विभाग ने उल्टे शिक्षक को ही एपीओ की सजा सुना दी। लिहाजा शिक्षा विभाग की इस कार्रवाई को अलोकतांत्रिक बताते हुए राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत ने विभाग के खिलाफ आंदोलन का बिगुल बजा दिया है।
शिक्षक को एपीओ करने पर शिक्षकों ने बड़े आंदोलन की तैयार की है। राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत ने आपात बैठक कर बुधवार को जिला प्रारंभिक शिक्षा विभाग के बड़े स्तर पर घेराव से इसकी शुरुआत का फैसला लिया है। जिलाध्यक्ष विनोद पूनिया ने बताया कि शिक्षक व संगठन प्रवक्ता नोलाराम को एपीओ करना दुर्भाग्यपूर्ण व शिक्षकों की आवाज दबाने का तानाशाहीपूर्ण फैसला है। इसके खिलाफ बड़ा आंदोलन किया जाएगा।
शिक्षा विभाग की किरकिरी इसलिए भी हो रही है कि स्कूलों में पाठ्यपुस्तक की वो किताबें अब तक भी नहीं पहुंची है। स्कूलें कक्षा एक से पांच तक की सभी व कक्षा छह की कई किताबों की समस्या से सत्र के दो महीने बाद भी जूझ रहे हैं। पर विभाग है कि उसका समाधान करने की बजाय मांग करने वाले शिक्षक को निशाना बना रहा है।
शिक्षा विभाग की कार्रवाई का सोशल मीडिया पर भी विरोध शुरू हो गया है। शिक्षक संगठनों के व्हाट्स एप ग्रुप में पत्रिका की खबर व शिक्षा विभाग के एपीओ करने के आदेश के साथ ये शीर्षक लिखा जा रहा है कि ’शिक्षक ने बच्चों के लिए मांगी किताब, शिक्षा मंत्री ने दिया एपीओ का खिताब’।
शिक्षक नोलाराम को एपीओ करने के विरोध में माकपा ने भी सरकार के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी है। प्रवक्ता राम रतन बगड़िया ने बताया कि शिक्षक पर कार्रवाई संविधान की अभिव्यक्ति की आजादी के मूल अधिकार पर हमला है। यदि आदेश वापस नहीं लिया गया तो संगठन सरकार के खिलाफ आंदोलन करेगी।