सीकर. सीकर में रेलवे का सफर गुरुवार को 102 साल का हो जाएगा। 1922 में आज ही के दिन सीकर रेलवे स्टेशन पर भाप के इंजन वाली पहली रेल छुकछुक करती आई थी। जिसमें बैठकर कई अंग्रेज अधिकारी सीकर रेलवे स्टेशन पहुंचे थे। इतिहासकार महावीर पुरोहित के अनुसार यह अधिकारी रावराजा माधव सिंह की मृत्यु […]
सीकर. सीकर में रेलवे का सफर गुरुवार को 102 साल का हो जाएगा। 1922 में आज ही के दिन सीकर रेलवे स्टेशन पर भाप के इंजन वाली पहली रेल छुकछुक करती आई थी। जिसमें बैठकर कई अंग्रेज अधिकारी सीकर रेलवे स्टेशन पहुंचे थे। इतिहासकार महावीर पुरोहित के अनुसार यह अधिकारी रावराजा माधव सिंह की मृत्यु के बाद शोक जताने आए थे। जिन्हें उसी ट्रेन से विदा करने राव राजा कल्याण सिंह व दीवान भंवर सिंह के अलावा चुनिंदा अफसर भी रेलवे स्टेशन पहुंचे थे। ये पहली रेल तीन से चार डिब्बों की थी, जो 11 दिसंबर से नियमित हुई।
12 जुलाई 1922 को भाप की पहली रेल जयपुर से सीकर पहुंची
11 दिसंबर 1922 को रेल नियमित हुई18 सितंबर 1923 सीकर से नवलगढ़ रेल शुरू
1924 में झुंझुनूं तक ट्रेन बढ़ी1942 में सीकर से फतेहपुर रेल शुरू
1957 में चूरू से जुड़ा सीकर जंक्शनसितंबर 2015 में दिल्ली से पहली ब्रॉडगेज ट्रेन पहुंची
अब्टूबर 2019 में रींगस से पहली ब्रॉडगेज पहुंची।2022 में इलेक्ट्रिक ट्रेन शुरू हुई।
46 ट्रेन अब रोजाना पहुंच रही सीकर जंक्शन
1. देश का सबसे बड़ा रेलवे फ्लाई ओवर सीकर के रींगस से छोटा गुढ़ा के बीच बना है। 187 करोड़ रुपए की लागत से 24 माह में तैयार हुआ यह आरओबी 7.30 किलोमीटर लंबा है।
2. एशिया का पहला रेलवे कॉरिडोर दिल्ली-मुंबई फ्रंट कॉरिडोर सीकर के नीमकाथाना व रींगस से होकर गुजरेगा।