रेलवे लाइन दोहरीकरण के अलावा रेलवे का पलसाना से खाटूश्यामजी व सीकर से सालासर रेल लाइन का सर्वे भी जारी है। 84.3 किमी लाइन के लिए 1.12 करोड़ के बजट से लाइन की लोकेशन देखी जा रही है।
Indian Railway: सीकर वासियों के लिए अच्छी खबर है। अब सीकर से जयपुर व लोहारू तक रेलवे का सफर और आसान हो सकता है। दरअसल, रेलवे इस रूट पर रेल लाइन के दोहरीकरण की कवायद कर रहा है। इसके लिए सर्वे शुरू कर दिया गया है। सबकुछ सही रहा तो आगामी दो से तीन वर्षों में करीब 172 किलोमीटर के इस सफर के लिए रेलवे के दो ट्रेक उपलब्ध हो जाएंगे। जिससे इस रूट पर ट्रेनों की संख्या के साथ उनकी गति व यात्री भार क्षमता भी बढ़ जाएगी।
अभी लोकेशन का सर्वे कार्य चल रहा है। इसके बाद आर्थिक सर्वे होगा। सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर दोहरीकरण की डीपीआर बनाई जाएगी। बजट स्वीकृत होते ही दोहरीकरण का कार्य शुरू हो जाएगा। नए ट्रेक पर ट्रेन चलाकर इसका परीक्षण किया जाएगा। स्पीड तय की जाएगी। सीएसआर की हरी झंडी मिलने के बाद इस ट्रेक पर ट्रेन चलने लगेगी।
रेलवे लाइन दोहरीकरण के अलावा रेलवे का पलसाना से खाटूश्यामजी व सीकर से सालासर रेल लाइन का सर्वे भी जारी है। 84.3 किमी लाइन के लिए 1.12 करोड़ के बजट से लाइन की लोकेशन देखी जा रही है। ये दोनों लाइन स्वीकृत हुई तो शेखावाटी के सालासर, खाटूश्यामजी व जीणमाता धार्मिक स्थल एक साथ रेल मार्ग से जुड़ सकेंगे।
सीकर से जयपुर रेल लाइन के दोहरीकरण का सर्वे चल रहा है। अभी आर्थिक सर्वे भी होगा। रिपोर्ट सकारात्मक होने पर आगे डीपीआर की कार्यवाही होगी।
गौरव गौड़, एडीआरएम, जयपुर रेल मंडल।
रेलवे के दोहरीकरण से शिक्षा नगरी की चमक और बढ़ सकेगी। सीकर तक पहुंच आसाना होने से देशभर के विद्यार्थियों की संख्या और बढ़ेगी। इससे यहां की अर्थव्यवस्था में भी सुधार होगा।
रेलवे लाइन से सबसे ज्यादा फायदा खाटूश्यामजी के भक्तों को होगा। क्योंकि रेलवे लाइन के दोहरीकरण के बाद ट्रेनों की संख्या बढ़ने के साथ यात्री भार वहन की क्षमता बढ़ेगी। समय कम लगने के साथ लंबी दूरी की ट्रेन भी बढ़ेगी। इधर, रींगस से खाटूश्यामजी रेलवे लाइन का काम शुरू होने के साथ पलसाना से खाटूश्यामजी रेलवे लाइन का सर्वे भी किया जा रहा है। ऐसे में सबकुछ योजनानुसार रहा तो प्रदेश सहित हरियाणा व दिल्ली सहित अन्य राज्यों के श्रद्धालुओं की खाटूश्यामजी तक पहुंच असान हो जाएगी।
रेलवे लाइन के दोहरीकरण से ज्यादा ट्रेनों का संचालन हो सकेगा। इससे यात्री परिवहन क्षमता बढ़ेगी। सफर का समय भी कम होगा। क्योंकि अभी दो रेल आमने-सामने आने पर स्टेशन पर क्रोसिंग करवाने में दस से बीस मिनट तक का समय लग जाता है। बाद में समस्या खत्म हो जाएगी।
इससे माल का परिवहन भी सस्ता होगा। मालगाडियां समय पर पहुंचेगी। ईंधन की बचत सहित परिवहन की लागत भी कम होगी।