- नशेखोरी के मुद्दे पर जनप्रतिनिधियों ने की अफसरों की खिंचाई
श्रीगंगानगर. जिला विकास समन्वय और निगरानी समिति (दिशा) की बैठक कलेक्ट्रेट सभाहॉल में हुई। बैठक की अध्यक्षता गंगानगर सांसद कुलदीप इंदौरा ने की। इस दौरान जिले में बढ़ती नशाखोरी के मुद़दे पर जिला परिषद सीईओ और कार्यवाहक एडीएम प्रशासन सुभाष कुमार का कहना था कि जागरूकता के स्लोगन और पेटिंग के अलावा प्रचार प्रसार के लिए ग्रामीणों के वाटसअप ग्रुप बनाए गए हैं। यह सुनकर वहां उपिस्थत जिला परिषद डायरेक्टरों ने सवाल उठाया कि पूरे जिले को ड्रग्स माफिया ने अपनी गिरफ्त में ले लिया है। यह सुनकर सादुलशहर विधायक गुरवीर सिंह बराड़ ने भी तंज कसा कि जिन चकों में महज बीस घरों की आबादी है, वहां पर दस मेडिकल स्टोर खुल चुके हैं। बराड़ ने साफ साफ बोला कि बॉर्डर के ग्रामीण क्षेत्र में मेडिकल स्टोर के लाइसेंसों का जनसंख्या के हिसाब से तुलनात्मक अध्ययन किया जाए तो भयावह आंकड़े सामने आएंगे। उन्होंने सहायक औषधि नियंत्रक से ग्रामीण क्षेत्र में खोले गए मेडिकल स्टोर्स के आंकड़े उपलब्ध कराने की मांग की। इस दौरान विधायक बराड़ ने साफ साफ बोला कि हमने अपने स्तर पर नशे की दवा बेचने के धंधे में लगे नशा मुक्ति केन्द्र बंद कराए गए थे लेकिन सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अफसरों ने दो और नशा मुक्ति केन्द्र खोल दिए। इसकी वजह क्या रही, इस पर विभाग के अफसर का कहना था कि ब्लॉक कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर केन्द्र संचालित करने की अनुमति दी गई है।
विधायक बराड़ का कहना था कि एक गाइड लाइन पारदर्शी तरीके से बनानी होगी ताकि नशे की दुकान खोलने वालों को लाइसेंस का अधिकार नहीं मिल सके। अधिकारियों की ओर से यह जवाब आया कि आवेदन करने की प्रक्रिया ऑनलाइन है, ऐसे में किसी को रोक नहीं सकते। इस पर विधायक बराड़ का कहना था कि हथियार लाइसेंस के लिए भी आवेदन की प्रक्रिया है लेकिन बनते कितने है, सख्त प्रक्रिया जब तक नहीं अपनाएंगे तब तक नशा मुक्त मुहित को धरातल पर नहीं ला सकते। उन्होंने जिला कलक्टर डा. मंजू को विशेष् तौर पर कहा कि जनसंख्या के अनुरुप मेडिकल स्टोर्स खुलने चाहिए न कि किसी के आवेदन करने प्रक्रिया से। इससे पहले पंचायत समिति श्रीगंगानगर के प्रधान सुरेन्द्रपाल सिंह का कहना था कि युवा नशे के आदी हो चुके हैं, सख्त कदम उठाने की जरुरत है।
नगर परिषद सभापति गगनदीप कौर ने सवाल उठाया कि एसएसबी रोड पर दीपावली पर जिला प्रशासन के निर्देश पर नगर परिषद ने कचरे को साफ कराया था लेकिन अब यह तो रोज वहां से कचरा उठाव कराने के लिए दबाब दिया जाने लगा है। ऐसे में शहर के 65 वार्डों की सफाई व्यवस्था प्रभावित होने लगी है। इस पर कलक्टर ने यूआईटी को अपने स्तर पर सफाई कराने की बात कही।
जिला परिषद के डायरेक्टरों का कहना था कि गंगनहर में 2400 क्सूसेक पानी की उपलब्धता होने के बावजूद खेतों में पानी की बारी खाली रह रही है। इस पर जल संसाधन के अधीक्षण अभियंता धीरज चावला का कहना था कि शेयर अभी 1700 है लेकिन पंजाब आने वाले पानी की उपलब्धता के आधार पर वरियताक्रम के तहत पानी का वितरण हो रहा हैं।
जिला परिषद डायरेक्टर मंगल सिंह का कहना था कि टीकाकरण करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने अधिकृत किया गया है लेकिन एलएस फील्ड की बजाय पांच रुपए में टीका करने के लिए आगे ठेके पर दे रखा है। इस दौरान जसकरण, लालचंद मेघवाल और सुरेन्द्र पारीक का कहना था कि ग्रामीण क्षेत्र में फील्ड स्टाफ को पता रहता है कि कौन नशे की गोलियां और पुड़ियां बेच रहा है लेकिन दो हजार रुपए की मंथली का खेल चल रहा है, इस वजह से ड्रग्स माफिया का नेटवर्क खत्म नहीं हो रहा। सरकारी नशा मुक्ति केन्द्र में प्राइवेट केन्द्रों की तरह पर एक स्पेशल टीम गठित की जाए, जो नशे के आदी लोगों को उनके घर से भर्ती कराया जा सके। स्वत: भर्ती होने में नशेड़ी आनाकानी करते हैं।
जिला परिषद के डायरेक्टर दूलाराम ने मुद़्दा उठाया कि हनुमानगढ़ रोड पर सेक्टर सत्रह में एक दवा की संचालित दुकान में हिस्सेदारी सीएमएचओ की पत्नी की है। इसकी वह बकायदा पार्टनर है। वहां नशे की अधिक दवाइयां की खरीद-फरोख्त होती हैं। इस संबंध में जिला कलक्टर ने कार्यवाहक एडीएम प्रशासन और जिला परिषद सीईओ सुभाष कुमार को जांच करने के निर्देश दिए। इस बीच, सीईओ ने पत्रिका को बताया कि कलक्टर के आदेश की पालना में यह जांच की जाएगी। इधर, सीएमएचओ ने इस आरोप को निराधार और बुनियाद बताया है।
जिला परिषद के डायरेक्टरों ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी के नाम का ज्ञापन जिला कलक्टर को दिया। ज्ञापन में बताया गया कि जिला परिषद में कांग्रेस का बहुमत लेकिन जानबूझकर भाजपा की सदस्य को जिला प्रमुख मनोनीत किया गया है। सरपंच के गैर हाजिर होने पर वार्ड पंचों के बहुमत से सरपंच मनोनीत किया जा सकता है तो जिला प्रमुख के चयन में नियम कायदों की अनदेखी किस आधार पर हुई हैं।