Rishab Shetty: ‘कांतारा: चैप्टर 1’ ने बॉक्स ऑफिस पर केवल 11 दिनों में रिकॉर्ड तोड़ 437 करोड़ की कमाई कर ली है। अब खबर है कि फिल्म ने 12वें दिन ग्लोबली 500 करोड़ से ज्यादा की कमाई कर ली है। इधर एक्टर के पैरों की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, चलिए बताते हैं क्यों?
Kantara Chapter 1 Box Office Collection: ‘कांतारा: चैप्टर 1’ की धूम हर तरफ है। फिल्म ने अब तक (11वें दिन) 500 करोड़ का आकंड़ा छू लिया है। दर्शकों को फिल्म की कहानी, क्लाइमेक्स और म्यूजिक बेहद पसंद आ रही है। यही वजह है कि फिल्म के टिकट तेजी से बिक रहे हैं। फिल्म के एक्टर ऋषभ शेट्टी भी गदगद हैं, इस बीच खबर आई है कि वह (Rishab Shetty) बहुत जल्द देवों की नगरी वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन के लिए जाएंगे।
‘कांतारा: चैप्टर 1’ में ऋषभ शेट्टी की एक्टिंग की खूब तारीफ हो रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं, इसके पीछे एक्टर ने कितनी मेहनत की है? पर्दे के पीछे उन्होंने इस फिल्म को बनाने के लिए जो कठिनाइयां झेलीं, वह तारीफ के काबिल है।
सोमवार को ऋषभ ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक तस्वीर साझा की, जिसमें उनका नीले कलर का सूजा हुआ पैर दिखाई दे रहा था। उन्होंने बताया कि उन्हें फिल्म के क्लाइमेक्स सीन की शूटिंग ऐसे ही की थी।
उन्होंने लिखा, “यह क्लाइमेक्स शूट के समय की बात है। सूजा हुआ पैर, थका हुआ शरीर… लेकिन आज वही क्लाइमेक्स लाखों लोगों को पसंद आ रहा है। यह सब उस दिव्य ऊर्जा की कृपा से संभव हुआ, जिस पर हम विश्वास करते हैं। सभी का दिल से धन्यवाद, जिन्होंने हमारा साथ दिया।”
‘कांतारा: चैप्टर 1’ को लेकर निर्देशक ऋषभ शेट्टी ने हाल ही में दिलचस्प खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि इस फिल्म की कहानी को परफेक्ट बनाने के लिए उन्होंने और उनकी टीम ने करीब 15 से 16 बार स्क्रिप्ट दोबारा लिखी।
ऋषभ ने एक न्यूज एजेंसी से बातचीत में कहा, “शुरुआत में लगा था कि 7-8 ड्राफ्ट में काम पूरा हो जाएगा, लेकिन हर बार कहानी में कुछ नया जुड़ता गया। हर ड्राफ्ट के साथ एक नई नरेशन तैयार करनी पड़ी।”
उन्होंने आगे कहा कि पहली फिल्म के मुकाबले इस बार काम कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि पहली फिल्म की स्क्रिप्ट हमने सिर्फ 3-4 ड्राफ्ट में पूरी कर ली थी और तीन महीने में शूटिंग भी शुरू कर दी। लेकिन जब प्रीक्वल की बात आई, तो हमने शिवा के पिता की कहानी से शुरुआत की। स्क्रिप्ट तो तैयार हो गई, मगर हमें लगा कि इस कहानी को और गहराई चाहिए। इसे सिर्फ एक दंतकथा नहीं, बल्कि ‘कांतारा’ की जड़ें बताने वाली कहानी बनाना जरूरी है।”