टोंक

Good News: बीसलपुर में बनेगा कोटा की तर्ज पर हैंगिंग ब्रिज, 144.21 करोड़ की लागत से बदलेगा बनास घाटी का नजारा

Hanging Bridge in Tonk: कंपनी ने डिजाइन पार्ट का कार्य प्रारंभ कर दिया है, जिसमें जीओ-टेक्निकल जांच, बोरवेल व रॉक टेस्टिंग सहित अन्य तैयारियां चल रही हैं।

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Oct 31, 2025
कोटा का हैंगिंग ब्रिज। फाइल फोटो- पत्रिका

टोडारायसिंह। राजस्थान के टोंक जिले में बीसलपुर बांध की डाउनस्ट्रीम बनास नदी पर प्रदेश का पहला एक्स्ट्रा डोज्ड ब्रिज बनने जा रहा है। कोटा के प्रसिद्ध चम्बल हैंगिंग ब्रिज की तर्ज पर बनने वाले इस अत्याधुनिक पुल के निर्माण पर 144.21 करोड़ रुपए की लागत आएगी। यह पुल टोडारायसिंह और देवली क्षेत्र की कनेक्टिविटी को नया आयाम देने के साथ बीसलपुर क्षेत्र को पर्यटन और आर्थिक विकास का नया केंद्र बनाएगा।

सरकार से सैद्धांतिक मंजूरी मिलने के बाद सार्वजनिक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने 111.40 करोड़ रुपए के टेंडर जारी किए, जिनमें से 99.72 करोड़ रुपए की निविदा गुजरात की डीआरएआईपीएल-एलटिस (जेवी) कंपनी को स्वीकृत की गई है। विभाग के अधिशासी अभियंता पिंटू मीणा ने बताया कि कंपनी को दो वर्ष की अवधि में पुल का निर्माण कार्य पूर्ण करना होगा।

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डिजाइन पार्ट का कार्य शुरू

कंपनी ने डिजाइन पार्ट का कार्य प्रारंभ कर दिया है, जिसमें जीओ-टेक्निकल जांच, बोरवेल व रॉक टेस्टिंग सहित अन्य तैयारियां चल रही हैं। वन और राजस्व विभागों से भूमि अवाप्ति को लेकर अधिकारियों की बैठक शुक्रवार को होगी।

पुल बीसलपुर बांध के डाउनस्ट्रीम में इंटेक पंप हाउस के पास, धर्मशाला के सामने बनाया जाएगा। इसकी कुल लंबाई एप्रोच रोड सहित लगभग 1.5 किलोमीटर और चौड़ाई 12 मीटर होगी। देवली की ओर 550 मीटर तथा टोडारायसिंह की ओर 250 मीटर लंबी एप्रोच रोड तैयार की जाएगी।

सुरक्षा और सुंदरता का संगम

इस ब्रिज में कुल 20 स्पान होंगे। एक 144 मीटर का, दो 72-72 मीटर के और शेष 17 स्पान 25-25 मीटर के होंगे। पुल की ऊंचाई 25 मीटर रखी जाएगी और इसे स्टील के तारों से सपोर्ट दिया जाएगा, जिससे यह हैंगिंग ब्रिज जैसी भव्य संरचना का रूप लेगा।

दोनों ओर डेढ़-डेढ़ मीटर चौड़े फुटपाथ और आकर्षक लाइटिंग सिस्टम लगाया जाएगा। यह न केवल आवागमन का माध्यम रहेगा, बल्कि तक्षकगिरी पहाड़ियों के बीच एक आकर्षक पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित होगा।

बारिश में भी नहीं रुकेगा यातायात

बीसलपुर बांध के पूर्ण भराव के बाद गेट खोलने पर डाउनस्ट्रीम क्षेत्र में पानी का बहाव बढ़ने से बनास नदी का कच्चा मार्ग और बोटूंदा–राजमहल रपट डूब जाते हैं। इससे करीब चार माह तक आवागमन बाधित रहता है और लोगों को 25 से 30 किलोमीटर अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती है। नए पुल के निर्माण से यह समस्या स्थायी रूप से समाप्त हो जाएगी। अब देवली, कोटा, बूंदी, शाहपुरा और जहाजपुर की ओर निरंतर यातायात संभव हो सकेगा।

पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावा

बीसलपुर बांध, बनास नदी और आसपास का हरियाली से घिरा क्षेत्र पहले से ही प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। नया पुल यहां पर्यटन की नई पहचान बनेगा। पुल से बांध और नदी का विहंगम दृश्य पर्यटकों को आकर्षित करेगा। बीसलपुर कंजरवेशन के विकसित होने के बाद यह क्षेत्र होम-स्टे, होटल, फूड प्वाइंट और बोटिंग गतिविधियों का केंद्र बन सकेगा।

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वर्षों पुरानी मांग को मिला समाधान

टोडारायसिंह और देवली क्षेत्र के लोगों की कई साल पुरानी स्थाई पुल की मांग अब पूरी होने जा रही है। स्थानीय विधायक और जलदाय मंत्री कन्हैयालाल चौधरी ने बताया कि यह पुल न केवल आवाजाही का साधन बनेगा बल्कि बीसलपुर क्षेत्र की पहचान को भी नया स्वरूप देगा।

क्षेत्र के विकास का नया अध्याय

पुल के निर्माण से टोडारायसिंह–देवली मार्ग सीधे जयपुर से जुड़ जाएगा। इससे व्यापार, शिक्षा और रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी। कोटा, अजमेर, बूंदी और जयपुर के लिए आवागमन सुगम होने से रोडवेज बसों का संचालन संभव होगा और हजारों छात्रों व ग्रामीणों को राहत मिलेगी।

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