सज्जनगढ़ अभयारण्य की पहाडि़यां पिछले तीन दिन से सुलग रही हैं। शॉर्ट सर्किट से सोमवार को लगी चिंगारी तीसरे दिन तेज हवा के कारण विकराल हो गई। शाम तक आग की लपटें और धुंए के गुबार उठते रहे।
उदयपुर। सज्जनगढ़ अभयारण्य की पहाडि़यां पिछले तीन दिन से सुलग रही हैं। शॉर्ट सर्किट से सोमवार को लगी चिंगारी तीसरे दिन तेज हवा के कारण विकराल हो गई। शाम तक आग की लपटें और धुंए के गुबार उठते रहे। करीब एक दर्जन से अधिक दमकलों के फेरों और दर्जनों वनकार्मिकों के प्रयासों के बावजूद आग बेकाबू रही। आग के कारण पर्यटकों का प्रवेश रोक दिया गया। बॉयोलॉजिकल पार्क के आसपास के कुछ घरों को भी ऐहतियात के तौर पर खाली कराया गया। जिला कलक्टर समेत प्रशासन, पुलिस और वन अधिकारी मौके पर पहुंचे और घटनाक्रम पर नजर रखी।
दरअसल, पहाडि़यों के सुलगने का सिलसिला सोमवार को उस वक्त हुआ, जब अभयारण्य में शॉर्ट सर्किट ने आग पकड़ ली। दो दिन से कभी तेज तो कभी धीमी गति से लपटें उठतीं रही। गुरुवार को तेज हवाएं चलने लगीं तो आग ज्यादा फैल गई। आग फैलने की सूचना के बाद उदयपुर से दमकल की 10 से ज्यादा गाड़ियां मौके पर पहुंची। कई फेरे करते हुए आग पर काबू पाने की कोशिश की जा रही है। गुरुवार दोपहर आग की लपटें सज्जनगढ़ अभयारण्य तक पहुंच गई। वनकार्मिकों ने दमकल की सहायता से काबू पाया। सीसीएफ वाइल्ड लाइफ सुनील चिद्री और डीएफओ वाइल्ड लाइफ सुनीलकुमारसिंह देर रात तक वनकार्मिकों के साथ आग बुझाने के प्रयास में रहे।
प्रशासन और वन विभाग ने आबादी क्षेत्र के 6 घरों को खाली कराया। उन घरों से गैस सिलेंडर हटवा लिए गए। आग को देखते हुए अभयारण्य और बायोलॉजिकल पार्क पर्यटकों का प्रवेश बंद कर दिया गया। सुबह प्रवेश कर चुके पर्यटकों को वापस भेज दिया गया।
सज्जनगढ़ अभयारण्य में हर साल गर्मियों के दिनों आग की घटनाएं होती है। इसका सबसे बड़ा कारण लेंटाना झाड़ी और पेड़ों के सूखे पत्ते तेजी से आग पकड़ लेते हैं। इसको बुझाने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है।
काफी हद तक काबू पायातीन दिन से अभयारण्य में आग लगी हुई है। गुरुवार को शाम तक काफी हद तक काबू पा लिया गया। हवा तेज थी और पतझड़ के कारण भी रुक-रुक कर लपटें उठ रही थी। आग पर काबू पाने के लिए बड़ी संख्या में वनकार्मिक जुटे हुए हैं।
सुनील चिद्री, सीसीएफ (वाइल्ड लाइफ) उदयपुर