प्रतिदिन 300 किलो से अधिक उदयपुर मंडी में पहुंच रहा जामुन
कपिल सोनी/गोगुंदा. बारिश के आने के साथ ही काले, बैंगनी व चमकदार रंग के जामुन के फल गोगुंदा के बाजार में खूब बिकने को आ रहे हैं। क्षेत्र की दादिया ग्राम पंचायत के कई गांवों से जामुन बडी संख्या में बाहर बिकने जा रहे है। जो उदयपुर मंडी के साथ-साथ दूरदराज के गांवों तक भी पहुंच रहा है। इधर, कस्बे में इसकी भरपूर बिक्री हो रही है। कस्बे से अनुमानित 300 से अधिक किलो जामुन बिक्री के लिए उदयपुर मंडी व गांव-गांव में पहुंच रहे है। वर्तमान में सीजन होने से इसकी काफी डिमांड है। जानकारी के अनुसार जामुन का फल ही नहीं, जामुन का पूरा पेड़ ही उपयोगी साबित होता है। जामुन के पत्ते, पेड़ की छाल भी औषधि रूप में प्रयोग में आती है। जामुन औषधीय गुण से भरपूर होने के साथ ही खाने में स्वादिष्ट होता है। जामुन फल के रूप में खाए जाने के अलावा जामुन के कई प्रकार के अन्य खाद्य पदार्थ भी बनते हैं। इसी तरह, यह औषधीय गुणों की खान होता है। आयुर्वेद में जामुन को सबसे ज्यादा मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए जाना जाता है। साथ ही जामुन को खाना को हजम करने, दांतों के लिए, आंखों के लिए, पेट के लिए, चेहरे के लिए, किडनी स्टोन के लिए भी उपयोग किया जाता है।
कस्बे के दिलीप टेलर ने बताया कि घसियार के पास बरोडि़या चौकी से रामा जाने वाले मार्ग पर जो नाला बहता है, उसके किनारे जामुन के पेड़ बहुत थे। पक्का रास्ता नहीं होने से नाले के किनारे-किनारे ही आगे जाया जाता था। दोनों तरफ पहाड़ और बीच में रास्ता होता है। उसको मेवाड़ी भाषा में नाल कहते हैं। वहां पर जामुन के पेड़ बहुत थे। इसलिए यहां का नाम ही जामुड़िया की नाल हो गया।
इनका कहना है...
क्षेत्र में कई देसी फल है, लेकिन जामुन ही एक ऐसा फल है, जिसे पकाने के लिए केमिकल का प्रयोग नहीं किया जाता। क्षेत्र में काफी संख्या में जामुन के पेड़ होने से क्षेत्रवासियों को फायदा है। चूंकि यह औषधीय गुणों से भरपूर है, इसलिए यह अन्य फलों की तुलना में अपनी विशिष्ट पहचान रखता है।
-करण सिंह झाला, पूर्व सरपंच, गोगुंदा
दादिया ग्राम पंचायत क्षेत्र में जामुन के कई पेड़ है, रोजाना यहां से लगभग तीन सौ किलो जामुन बिकने के लिए उदयपुर मंडी जा रहे हैं।
-किशन लाल गमेती, सरपंच, दादिया