Patrika Raksha Kawatch : राजस्थान पत्रिका और एमएलएसयू के महिला अध्ययन केन्द्र की ओर से ‘मंडला’ प्लीजेंटली उत्सव का आगाज हुआ। बेटियां बेबाक हुईं और उन्होंने किया सवाल-सब पाबंदियां हम पर ही क्यों? बेटों को भी तो कुछ सिखाओ।
Patrika Raksha Kawatch : 'सब पाबंदियां बेटियों पर ही क्यों लगाई जाती है, बेटों को भी तो संस्कार सिखाएं कि वे नारी शक्ति का सम्मान करें। यदि पुरुषों ने महिलाओं का आदर करना सीख लिया तो स्वत: ही समाज में समानता आ जाएगी। वर्तमान में 21वीं सदी में बेटी के जन्म पर माता-पिता मायूस हो जाते हैं और बेटे के जन्म पर खुशियां मनाते हैं।' मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के यूजीसी महिला अध्ययन केंद्र और राजस्थान पत्रिका की ओर से ’मंडला’ प्लीजेंटली इंक्लूसिव 2025 उत्सव का आगाज हुआ तो बेटियां कुछ तरह बेबाक बोलीं।
उत्सव की श्रृंखला में विश्वविद्यालय के महाजनी हॉल में 'क्या विकासशील देशों में लैंगिक समानता एक मिथक है'… विषय पर वाद-विवाद प्रतियोगिता हुई, जिसमें प्रतिभागियों ने खुलकर पक्ष और विपक्ष में विचार रखे। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि मोहन लाल सुखाडिया विश्वविद्यालय के लॉ कॉलेज, की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राजश्री चौधरी रहीं। इससे पूर्व समारोह की शुरुआत अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर की। तत्पश्चात सह अधिष्ठता प्रोफेसर दिग्विजय भटनागर और महिला अध्ययन केंद्र की निदेशक सुधा चौधरी ने साप्ताहिक आयोजन की बधाई दी। कार्यक्रम में निर्णायक डॉ.सुमित्रा शर्मा, डॉ. अनीता जोया और डॉ. नेहा दमानी रहे। डॉ.गरिमा मिश्रा ने मंडला की मूल अवधारणा और दृष्टिकोण से परिचय कराया।
कई प्रतिभागियों ने दूसरा पहलू भी रखा। उन्होंने कहा कि महिलाओं को लेकर अब समाज में काफी सकारात्मक बदलाव आया है। बेटियां पढ़ लिखकर अपने सपने पूरे कर रही है। घर-परिवारों में भी बेटियों को बेटों के बराबर रखा जा रहा है।
देवाली उदयपुर में जतन संस्थान के सहयोग से फील्ड विजिट और सर्वेक्षण के साथ-साथ नुक्कड़ नाटक 'साइबर जाल' प्रस्तुत किया जाएगा। इसमें युवाओं को साइबर सुरक्षा और डिजिटल के खतरों से आगाह किया जाएगा।
प्रतिभागियों ने कहा कि महिला और पुरुष तराजू की तरह है। तराजू के दोनों हिस्से बराबर होंगे, तभी समाज बराबर उन्नति करेगा। महिलाओं को भी पुरुषों की तरह समान अवसर मिलने चाहिए तभी देश का सही मायने में विकास होगा। दहेज के लिए महिलाओं को प्रताड़ित करने, कार्यस्थल पर शोषण, वेतन में असमानता जैसी विसंगतियां महिलाओं के विकास में बाधक है। कार्यक्रम की संचालिका सह आचार्य डॉ.गरिमा मिश्रा ने बताया की पहले दिन लगभग 90 प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया और कुल 130 विद्यार्थियों ने भागीदारी की।
1- क्विज - दिव्यांगना राणावत, आर्ट्स कॉलेज।
2- डीबेट - छवि गुर्जर, आर्ट्स कॉलेज।
3- पोइट्री - महिमा चुंडावत, ऐश्वर्या कॉलेज।
4- एक्सटेम्पोर - दिव्यांगना राणावत, आर्ट्स कॉलेज।