कोरोना काल से मंदी से जूझ रहे कला बाजार को फिर नई उम्मीद और गति मिलने लगी है। उदयपुर के समकालीन चित्रकार प्रो. सुशील निम्बार्क की कृति अंतरराष्ट्रीय बाजार में 10 लाख में बिकी है।
उदयपुर। कोरोना काल से मंदी से जूझ रहे कला बाजार को फिर नई उम्मीद और गति मिलने लगी है। उदयपुर के समकालीन चित्रकार प्रो. सुशील निम्बार्क की कृति अंतरराष्ट्रीय बाजार में 10 लाख में बिकी है। इसको लेकर भारतीय कला जगत में खुशी का माहौल है।
अमूर्त कला (एब्सट्रेक्ट आर्ट) में अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान बनाने वाले उदयपुर के आर्टिस्ट प्रो. सुशील निम्बार्क की कृति 'रिफ्लेक्शन्म ऑफ सॉल' प्रसिद्ध आर्ट गैलरी के श्रेष्ठ रही। कृति को बेल्जियम की कला प्रेमी मिसा कासपोरवा ने 9200 यूरो में खरीदी।
मूर्त (फिगरेटीव) पेंटिंग 'रिफलेक्शन ऑफ सॉल' नामक कृति 15 साल पहले बनाई गई थी। यह 95 गुणा 70 सेंटीमीटर साइज की पेंटिंग है, जिसमें आत्मा के प्रतिरूप को दर्शाया गया है। इसके ऊंची कीमत में बिकना बड़ा उदाहरण है।
चित्रकार निम्बार्क ने बताया कि कृति से मिली राशि का दस फीसदी हिस्सा कला के नाम ही समर्पित किया जाएगा। ऐसे में वरिष्ठ चित्रकार डॉ. विद्यासागर उपाध्याय की प्रेरणा से एक लाख रुपए कला संस्था टखमण को समर्पित किया है।
निम्बार्क एमजी कॉलेज में फाइन आर्ट के प्रोफेसर हैं। वे ललित कला अकादमी, आइफेक्स सहित अनेक पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं। राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों में भागीदारी निभा चुके हैं। हाल ही में रोमानिया में हुए इंटरनेशनल सिम्पोजियम में पुरस्कृत हुए।