उदयपुर एयरपोर्ट का नया टर्मिनल मार्च 2026 से छह महीने पहले ही तैयार होगा। तेजी से चल रहे निर्माण कार्य से पर्यटन को नई उड़ान मिलेगी। खासकर धार्मिक और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन को बड़ा लाभ मिलेगा। पढ़ें पंकज वैष्णव की रिपोर्ट...
उदयपुर: डबोक स्थित महाराणा प्रताप एयरपोर्ट पर नए टर्मिनल का निर्माण कार्य जोरों पर है। खुशखबर है कि इसका काम पूरा होने की तारीख सितंबर 2026 की है, पर 6 महीने में ही तैयार होने के आसार बन रहे हैं। अगले साल से ही लेकसिटी का पर्यटन नई ऊंचाइयां छूने के करीब होगा।
नए टर्मिनल बिल्डिंग का 72 प्रतिशत काम हो चुका है। वहीं, पूरे प्रोजेक्ट को मिलाकर 55 फीसदी काम हो चुका। नए टर्मिनल भवन से आवाजाही शुरू होने के बाद पुरानी टर्मिनल बिल्डिंग खाली हो जाएगी। इसके इस्तेमाल का फिलहाल कोई प्लान तय नहीं है। नई बिल्डिंग से उदयपुर एयरपोर्ट की क्षमताएं कई गुना बढ़ जाएंगी।
निर्माण अगले तीन दशक की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है। एयरपोर्ट के नए टर्मिनल को पुणे की निजी कंपनी न्याती तैयार कर रही है। फिलहाल, इतना काम हो चुका। बनने के बाद ऐसा दिखेगा उदयपुर एयरपोर्ट का नया टर्मिनल। पत्रिका
नए टर्मिनल बनने पर इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि डबोक एयरपोर्ट अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए तैयार होगा। निर्माण अंतरराष्ट्रीय स्तर के एयरपोर्ट पैमाने को ध्यान में रखकर हो रहा है। अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शुरू होते ही विदेशी पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी होगी, जो उदयपुर के पर्यटन को चार चांद लगाएगी।
उदयपुर के अलावा आसपास भी कई पर्यटन और धार्मिक स्थल है, जहां देशी-विदेशी पर्यटकों की पहुंच रहती है। वहीं, श्रीनाथजी और सांवलियाजी ऐसे स्थल है, जहां दूरदराज के शहरों से लोग पहुंचते हैं। इसके अलावा हल्दीघाटी, कुंभलगढ़, चारभुजा, नाथद्वारा, माउंटआबू और जवाई अभयारण्य जैसे पर्यटक स्थलों पर जाने वाले पर्यटक उदयपुर एयरपोर्ट से आना-जाना पसंद करते हैं।
उदयपुर का एयरपोर्ट न सिर्फ उदयपुर के लिए उपयोगी है, बल्कि इसके दायरे में डूंगरपुर, बांसवाड़ा, पाली, सिरोही, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, प्रतापगढ़ और राजसमंद आदि जिले आते हैं। वहीं, राजस्थान की सीमा से जुड़े मध्यप्रदेश के नीमच, मंदसौर, रतलाम तक के क्षेत्र को प्रभावित करता है। लिहाजा इन तमाम क्षेत्रों के लोगों की हवाई सफर के लिए आवाजाही उदयपुर एयरपोर्ट से ही होती है।
-887 करोड़ लागत से बन रहा टर्मिनल।
-2050 यात्रियों की हो जाएगी क्षमता।
-700 वाहनों की हो सकेगी पार्किंग।
-43 हजार वर्गमीटर में बन रहा टर्मिनल।
-इंटीग्रेटेड टर्मिनल शहर के पर्यटन के लिए फायदेमंद होगा। आसान पहुंच व समय की बचत के चलते पर्यटक ज्यादा आएंगे।
-बेहतर सुविधाएं उपलब्ध होगी और यात्री भार भी होने की स्थिति में भविष्य में अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शुरू होने को लेकर भी संभावनाएं प्रबल होगी।
-नया टर्मिनल वर्तमान टर्मिनल से चार गुना बड़ा होगा, जिसके बाद से यात्री भार की क्षमता भी तीन गुना तक बढ़ जाएगी।
-नए 48 चेक इन काउंटर होंगे, जिससे यात्रियों की कतारें नहीं लगेंगी।
-बूथ की तलाशी के 26 काउंटर होंगे, जिससे समय की बचत होगी।
-टर्मिनल पर कार पार्किंग 300 से बढ़कर 700 कारों की हो जाएगी।
-खरीददारी के लिए बने बाजार में हैंडीक्राट व स्थानीय उत्पाद मिलेंगे।
-नए टर्मिनल पर मेवाड़ की कला व संस्कृति दीवारों पर उकेरी जाएगी।
-उच्चस्तरीय नए टर्मिनल के चलते लाइट की संख्या में भी बढ़ोतरी होगी, वहीं नाइट लाइट भी संभव है। अभी 8.30 बजे तक ही लाइट है।
-नए टर्मिनल की शुरुआत होने के बाद यहां से उड़ान भरने के लिए यात्रियों की क्षमता 2050 होगी। फिलहाल यह क्षमता 680 यात्री तक की ही है।
-नए टर्मिनल के चार गेट बन रहे हैं, दो प्रवेश द्वार और दो निकास द्वार बनाए जा रहे हैं। इसके अलावा 42 नए चेक इन काउंटर भी बनाए जा रहे हैं।
-यात्रियों की आवाजाही बढ़ने को ध्यान में रखते हुए 6 नए एयरोब्रिज बनेंगे। इससे एक ही समय में 4 अलग-अलग विमान उड़ान भर सकेंगे।
अभी विदेश के लिए संभाग के लोगों को जयपुर, दिल्ली, अहमदाबाद जाना होता है, वहीं पर्यटक जयपुर-दिल्ली होकर आते हैं। निर्माण 30 वर्षों की संभावना को ध्यान में रखकर बनी योजना से हो रहा है। नए टर्मिनल भवन की डेडलाइन सितबर 2026 है, पर संभव है कि तय समय से पहले ही काम पूरा हो जाए।
-योगेश नगाईच, डायरेक्टर, उदयपुर एयरपोर्ट