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Liquor License Allocation: यूपी में शराब लाइसेंस के लिए ई-लॉटरी, 12 मार्च तक फीस जमा करें वरना होगा निरस्त

UP Excise Policy: उत्तर प्रदेश में ई-लॉटरी से शराब लाइसेंस आवंटन प्रक्रिया जारी है। चयनित आवंटियों को 12 मार्च 2025 तक लाइसेंस फीस या चालान की प्रति जमा करनी होगी। निर्धारित समय में दस्तावेज न देने पर आवंटन रद्द किया जा सकता है।

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Mar 10, 2025
Uttar Pradesh Excise Policy

Liquor Shop New Excise Policy: उत्तर प्रदेश सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए नई आबकारी नीति के तहत शराब की दुकानों के लाइसेंस आवंटन की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से ई-लॉटरी प्रणाली लागू की है। इस प्रणाली के प्रथम चरण में चयनित अनंतिम आवंटियों को निर्देश दिया गया है कि वे अपनी बेसिक लाइसेंस फीस या उसके जमा होने के प्रमाण संबंधित जिला आबकारी अधिकारी के कार्यालय में 12 मार्च 2025 को सायं 04:00 बजे तक अनिवार्य रूप से जमा करें। यह सुनिश्चित करने के लिए कि आवंटन प्रक्रिया सुचारू रूप से संपन्न हो, आवंटियों को समयसीमा का पालन करना आवश्यक है।

ई-लॉटरी प्रणाली: पारदर्शी लाइसेंस आवंटन की दिशा में कदम

उत्तर प्रदेश सरकार ने नई आबकारी नीति 2025-26 के तहत शराब की दुकानों के लाइसेंस आवंटन में पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने के लिए ई-लॉटरी प्रणाली को अपनाया है। इस प्रणाली के माध्यम से देशी मदिरा, विदेशी मदिरा, बीयर और भांग की फुटकर दुकानों के लाइसेंस ऑनलाइन लॉटरी के माध्यम से आवंटित किए जा रहे हैं। यह कदम भ्रष्टाचार को कम करने और योग्य आवेदकों को समान अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से उठाया गया है।

आवेदन प्रक्रिया और समय सीमा

ई-लॉटरी के लिए पंजीकरण और आवेदन प्रक्रिया 14 फरवरी 2025 से शुरू हुई थी। आवेदकों को ऑनलाइन पोर्टल https://exciseelotteryup.upsdc.gov.in/ पर पंजीकरण करना आवश्यक था। पंजीकरण और आवेदन दोनों की अंतिम तिथि 27 फरवरी 2025 को सायं 5:00 बजे तक निर्धारित की गई थी। इस प्रक्रिया में भारत का कोई भी नागरिक जिसकी आयु 21 वर्ष से अधिक है और जो अन्य किसी कारण से अनर्ह नहीं है, आवेदन कर सकता है।

लाइसेंस फीस जमा करने की अंतिम तिथि

ई-लॉटरी के प्रथम चरण में चयनित अनंतिम आवंटियों को निर्देश दिया गया है कि वे अपनी बेसिक लाइसेंस फीस या लाइसेंस फीस जमा होने के प्रमाण को संबंधित जिला आबकारी अधिकारी कार्यालय में 12 मार्च 2025 को सायं 04:00 बजे तक अनिवार्य रूप से जमा करें। प्रमाण के रूप में https://cms.upexciseonline.co पोर्टल पर जमा किए गए चालान अथवा उसकी प्रति को स्वीकार किया जाएगा। निर्धारित समयावधि में दस्तावेज जमा न करने की स्थिति में आवंटन निरस्त किया जा सकता है।

लाइसेंस शुल्क और प्रोसेसिंग फीस

लाइसेंस शुल्क और प्रोसेसिंग फीस को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है, जो क्षेत्र और दुकान के प्रकार के आधार पर अलग-अलग हैं। उदाहरण के लिए, गौतम बुद्ध नगर, गाजियाबाद, लखनऊ, आगरा, वाराणसी, प्रयागराज, गोरखपुर, और कानपुर के विकास प्राधिकरण क्षेत्रों के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में देशी शराब की दुकान के लिए प्रोसेसिंग फीस ₹65,000 निर्धारित की गई है, जबकि कंपोजिट दुकान के लिए यह ₹90,000 है। इसी प्रकार, ग्रामीण क्षेत्रों में देशी शराब की दुकान के लिए प्रोसेसिंग फीस ₹40,000 और कंपोजिट दुकान के लिए ₹55,000 है।

नई आबकारी नीति के प्रमुख बिंदु

  • कंपोजिट दुकानों का लाइसेंस: सरकार ने पहली बार कंपोजिट दुकानों का लाइसेंस जारी करने का निर्णय लिया है, जहां एक ही स्थान पर देशी शराब, बीयर, विदेशी शराब और वाइन उपलब्ध होंगी।
  • प्रीमियम रिटेल दुकानों का लाइसेंस: प्रीमियम रिटेल दुकानों के लाइसेंस का नवीनीकरण 25 लाख रुपये वार्षिक फीस लेकर किया जाएगा। कोई भी व्यक्ति, फर्म या कंपनी दो से अधिक लाइसेंस नहीं ले सकेगी।
  • मॉल्स में प्रीमियम ब्रांड की दुकानें: मॉल्स के मल्टीप्लेक्स एरिया में प्रीमियम ब्रांड की दुकानें खोलने की अनुमति नहीं होगी। हालांकि, हवाई अड्डों, मेट्रो और रेलवे स्टेशनों के मुख्य भवन में सक्षम स्तर से अनापत्ति मिलने पर इन दुकानों को अनुमति दी जाएगी।
  • छोटी बोतलों की बिक्री: पहली बार विदेशी मदिरा की 60 एमएल और 90 एमएल की बोतलों की बिक्री की अनुमति दी गई है।
  • वैयक्तिक होम लाइसेंस: निजी उपयोग के लिए निर्धारित फुटकर सीमा से अधिक मदिरा खरीदने, परिवहन करने और रखने के लिए वैयक्तिक होम लाइसेंस की प्रक्रिया को सरल किया गया है। लाइसेंस के लिए सालाना फीस 11,000 रुपये और सिक्योरिटी राशि 11,000 रुपये होगी। यह लाइसेंस केवल उन्हीं लोगों को मिलेगा, जो पिछले तीन वर्षों से लगातार आयकरदाता हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार की नई आबकारी नीति 2025-26 के तहत ई-लॉटरी प्रणाली के माध्यम से शराब की दुकानों के लाइसेंस आवंटन में पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित की गई है। चयनित आवंटियों के लिए यह आवश्यक है कि वे निर्धारित समयसीमा के भीतर लाइसेंस फीस जमा करें, ताकि आवंटन प्रक्रिया में किसी प्रकार की बाधा न आए। नई नीति के तहत उठाए गए कदम राज्य के राजस्व में वृद्धि और शराब की बिक्री को अधिक पारदर्शी बनाने में सहायक होंगे।

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