Nahate Samay Muh Kidhar Hona Chahiye: वास्तु शास्त्र में विभिन्न वस्तुओं के स्थान की दिशा का तो महत्व है ही, विभिन्न कार्यों की दिशा भी बताई गई है। ऐसे में मन में खयाल आ सकता है कि किस दिशा में मुंह करके स्नान करना चाहिए। आइये जवाब जानें वास्तु पुस्तक वास्तु चिंतामणि से
Bath Vastu Tips: वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में हर जगह वास्तु नियमों का ध्यान देना चाहिए, ऐसा न करने से घर में ऊर्जा संतुलन बिगड़ता है और नकारात्मकता बढ़ती है, जिसके बड़े नुकसान होते हैं, जबकि वास्तु नियमों का ध्यान रखने से किस्मत चमक सकती है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, नहाना छह धार्मिक कार्यों में से एक है, इसी कारण नहाने की दिशा भी आपकी किस्मत चमका सकती है या परेशानी का सबब बन सकती है। आइये जानते हैं किस दिशा में मुंह करके स्नान करना चाहिए।
जैन ग्रंथ उमास्वामी श्रावकाचार के अनुसार व्यक्ति को पूर्व दिशा में मुंह कर स्नान करना चाहिए और पश्चिम दिशा में मुंह कर दातुन करना चाहिए। उत्तर दिशा की ओर मुंह करके सफेद कपड़े पहनने चाहिए और पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके पूजा करना चाहिए। मान्यता है कि पूर्व दिशा में मुंह करके स्नान से नकारात्मक ऊर्जा पानी में बह जाती है और सूर्य की ऊर्जा के बाथरूम में प्रवेश से जीवन में सकारात्मकता आती है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार सही दिशा में स्नान के लिए स्नानगृह यानी बाथरूम भी सही दिशा में होना चाहिए ताकि यह शारीरिक, मानसिक शुद्धि का कारण बने। अनुपयुक्त दिशा में मकान बनाना, तथा स्नान करना, स्नान के फल को निष्फल कर देता है। इसलिए स्नानघर बनाते समय दिशा का जरूर ध्यान रखना चाहिए।
वास्तु शास्त्र के अनुसार स्नानगृह के लिए सबसे ठीक दिशा पूर्व है, ऐसा होने से स्नान करते समय उदीयमान सूर्य की किरणें ऊर्जा प्रदान करती हैं। साथ ही ध्यान रखना चाहिए कि इसमें पानी के प्रवाह की दिशा उत्तर, ईशान या पूर्व की ओर हो। संभव न हो तो उत्तर की ओर बाथरूम बनाना शुभ रहेगा।
1.यदि दो कमरों में समानांतर स्नानगृह बनवाना हो तो एक दूसरे से लगे हुए बनवाएं।
2. यदि ईशान में स्नानगृह बनाना हो तो यह ध्यान रहे कि ईशान कोण बन्द न हो जाए।
3. स्नानगृह के ईशान कोण में कभी भी बॉयलर नहीं लगाना चाहिए।
4. यदि मकान का मुंह पश्चिम की ओर हो तो स्नानगृह पूर्व या वायव्य कोण में बनाना चाहिए।
5. यदि मकान का मुख्य द्वार दक्षिण की ओर हो तो स्नानगृह वायव्य कोण में बनाना चाहिए। लेकिन मुख्य गृह की तथा परिकर दीवार के बीच की दूरी से कम दूरी रखकर मुख्य गृह से अलग रखकर बनाना चाहिए।
6. पूर्व की ओर मुंह वाले मकानों में स्नानगृह पूर्वी आग्नेय में बनाना चाहिए।
7. उत्तर की और मुख वाले मकानों में स्नानगृह उत्तरी वायव्य की ओर बनाया जा सकता है।
| दिशा | परिणाम |
| पूर्व | सर्वकार्य साधक, आर्थिक उन्नति |
| आग्नेय | स्त्री रोग, आरोग्य नाश |
| दक्षिण | रोग, अर्थ संकट |
| नैऋत्य | भूत बाधा |
| पश्चिम | पुरुषों को रोग, भ्रम आपसी गलतफहमी |
| वायव्य | मध्यम |
| उत्तर | धन-धन्य, संपत्ति लाभ |
| ईशान | आर्थिक संपन्नता |
1.वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में बाथरूम या तो उत्तर या उत्तर पश्चिम दिशा में होना चाहिए। इसे भूलकर भी दक्षिण, दक्षिण पूर्व या दक्षिण पश्चिम दिशा में नहीं बनाना चाहिए वरना व्यक्ति सुखी नहीं रहता है।
2. इसके अलावा बाथरूम कभी भी किचन के सामने या उससे सटा हुआ नहीं होना चाहिए। वहीं टॉयलेट की सीट या तो पश्चिम या उत्तर पश्चिम दिशा में होनी चाहिए।
3. बाथरूम में पानी की बाल्टी या टब हमेशा भरकर रखना चाहिए, यदि बाल्टी खाली हो तो उसे हमेशा उल्टा रखें। यह घर में समृद्धि बनाए रखने में मदद करता है।
4.बाथरूम के वास्तु में नीले रंग का बहुत महत्व होता है, नीला रंग खुशी को दर्शाता है। इसलिए बाथरूम में नीले रंग की बाल्टी और मग रखना अच्छा होता है।
5. बाथरूम के दरवाजे हमेशा बंद रखने चाहिए, अगर इसे खुला छोड़ दिया जाए तो यह नकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और यह आपके करियर में बाधाएं पैदा कर सकता है।