
Vastu Shastra Myths : क्या वास्तु दोष सच में जिंदगी बिगाड़ता है? जानिए वास्तु का वैज्ञानिक नजरिया (फोटो सोर्स: AI image@Gemini)
Vastu Myths and Facts : वास्तु शास्त्र को लेकर समाज में वर्षों से डर और भ्रांतियां गहराई से जमी हुई हैं। विवाह में देरी हो, करियर में रुकावट आए या नया घर खरीदना हो—अक्सर हर समस्या का कारण “वास्तु दोष” मान लिया जाता है। अधूरी जानकारी और अफवाहों के चलते लोग अच्छे रिश्ते, बेहतरीन अवसर और सुविधाजनक घर तक छोड़ देते हैं।
लेकिन वास्तु का वास्तविक उद्देश्य डर पैदा करना नहीं, बल्कि ऊर्जा संतुलन, मानसिक स्थिरता और जीवन लक्ष्यों के अनुरूप ज़ोन प्लानिंग करना है। आर्किटेक्ट और वास्तुविद सुधीर गौतम वास्तु के व्यावहारिक अनुभवों के आधार पर बता रहे हैं कि कौन-से वास्तु नियम सच हैं और कौन केवल मिथक।
यह मानना सही नहीं है कि विवाह योग्य लड़कियों को केवल उत्तर-पश्चिम दिशा में ही सोना चाहिए। वास्तु के अनुसार दक्षिण, दक्षिण-पूर्व, दक्षिण-पश्चिम और पश्चिम-दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र विवाह से पहले मानसिक संतुलन, आत्मविश्वास और स्थिरता को बढ़ाते हैं।
उत्तर- पश्चिम में लंबे समय तक सोने से भावनात्मक असंतुलन और विवाह के बाद समायोजन में कठिनाइयाँ देखी गई हैं।
व्यक्ति को केवल दिशा से जोड़कर निष्कर्ष निकालना वास्तु का उद्देश्य नहीं है।
नवविवाहित दंपत्ति प्रारंभिक समय में उत्तर-उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में सो सकते हैं।
विवाह योग्य युवतियों के लिए उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में लगातार सोने से बचना अधिक संतुलित माना गया है।
विवाह की तस्वीरें एल्बम और उपहार दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र में रखने से दांपत्य जीवन में प्रेम विश्वास और स्थिरता को सहयोग मिलता है।
इन्हें अन्य असंगत क्षेत्रों में रखने से रिश्तों में दूरी और मानसिक दबाव की स्थिति बन सकती है। वास्तु के व्यावहारिक अनुभवों में यह व्यवस्था सहायक पाई गई है।
केवल उत्तर-पूर्व दिशा का प्रवेश द्वार ही शुभ होता है यह धारणा पूरी तरह सही नहीं है।
वास्तु के अनुसार भवन में 32 प्रकार के प्रवेश द्वार माने जाते हैं, जिनका प्रभाव अलग-अलग होता है।
संतुलित ज़ोन प्लानिंग से किसी भी दिशा के प्रवेश द्वार का प्रभाव बेहतर बनाया जा सकता है।
प्राचीन मंदिरों और ऐतिहासिक इमारतों में एक सीध में बने दरवाज़े सामान्य रूप से देखे जाते हैं।
वास्तु शास्त्र दरवाज़ों की सीध से अधिक उनके स्थान और ऊर्जा क्षेत्र को महत्व देता है।
अनेक पुराने और समृद्ध इलाकों में ऐसे घर आज भी संतुलन के साथ देखे जा सकते हैं।
प्रवेश द्वार और शौचालय दोनों का ऊर्जा प्रभाव अलग-अलग होता है।
यदि दोनों अपने उपयुक्त क्षेत्रों में हों तो संतुलन बना रह सकता है।
शौचालय के लिए डिस्पोज़ल ज़ोन को अधिक उपयुक्त माना जाता है।
वास्तु डर पैदा करने का विषय नहीं बल्कि संतुलन और समझ का विज्ञान हैl केवल दिशा नहीं बल्कि ज़ोन और जीवन उद्देश्य को समझना आवश्यक है। अनुभव केस स्टडी और व्यावहारिक निरीक्षण पर आधारित वास्तु ही दीर्घकालिक परिणाम देता है।
अस्वीकरण (Disclaimer): इस लेख में दी गई जानकारी केवल सामान्य सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। यहाँ दी गई ज्योतिष, वास्तु या धार्मिक जानकारी मान्यताओं और विभिन्न स्रोतों पर आधारित है। हम इसकी पूर्ण सटीकता या सफलता की गारंटी नहीं देते हैं। किसी भी उपाय, सलाह या विधि को अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के प्रमाणित विशेषज्ञ या विद्वान से परामर्श अवश्य लें।
Published on:
29 Dec 2025 04:22 pm
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