vastu Dosh Nivaran: सपनों के घर में कोई कमी न रहे, इसकी कोशिश हर व्यक्ति करता है। लेकिन जाने अनजाने किए गए आपके कई फैसले घर में वास्तु दोष का कारण बन जाते हैं। इन कमियों की वजह से घर में सकारात्मक ऊर्जा के स्थान पर नकारात्मक ऊर्जा वास करने लगती है। इससे नुकसान होता है। आइये जानते हैं वास्तु दोष दूर करने के वो उपाय जिसे बिना पैसा खर्च किए कर सकते हैं (bina tod fod ke vastu upay in hindi) ।
vastu Dosh Nivaran: चूंकि एक बार घर बनने के बाद उसमें कमियां होने के बाद उसमें तब्दीली आसान नहीं होती। उसमें तोड़ फोड़कर उसे फिर से बनवाना आसान नहीं होता है। ऐसे में पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास कई उपाय बता रहे हैं, इन उपायों से इसके दुष्प्रभाव कम हो जाएंगे। आइये जानते हैं वो वास्तु उपाय ..
पं अनीष व्यास के अनुसार हमारे घर के निर्माण में होने वाली गड़बड़ियों को वास्तु शास्त्र में वास्तुदोष कहा जाता है। वास्तु दोष हमारे जीवन पर बहुत अधिक प्रभाव डालते हैं। घर में या घर के बाहर कई तरह के वास्तु दोष हो सकते हैं।
इन वास्तु दोष से कई तरह के रोग और शोक आपके लाइफ में उत्पन्न हो सकते हैं। ऐसे में यदि आपका घर तिकोना है, कार्नर का है, या फिर चौराहे पर है या दक्षिण दिशा पर भी है, यहां जानिए घर में बिना किसी तोड़-फोड़ के कैसे घर के वास्तु दोष को दूर करें
ज्योतिषाचार्य और वास्तु विशेषज्ञ डॉ. अनीष व्यास के अनुसार घर की उत्तर-पूर्व कोने को ईशान कोण कहा जाता है जो कि जल तत्व को दर्शाता ै। उत्तर-पश्चिम दिशा को वायव्य कोण कहा जाता है जो कि वायु तत्व को दर्शाता है। दक्षिण-पूर्व दिशा को आग्नेय कोण कहा जाता है जो कि अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करती है।
दक्षिण-पश्चिम दिशा को नैऋत्य कोण कहा जाता है जो कि पृथ्वी तत्व को दर्शाती है। घर के बीचोबीच का जो स्थान होता है उसे ब्रह्म स्थान कहते हैं, यह आकाश तत्व माना जाता है। इस प्रकार से हमारा पूरा घर पंचतत्वों से मिलकर बना है और इन्हीं पंचतत्वों से मिलकर शरीर भी बना है। बेहतर और खुशहाल जीवन जीने के लिए इन सभी दिशाओं का दोषरहित होना सबसे जरूरी है। इन दिशाओं के दोष को दूर करने के लिए जानते हैं वास्तु शास्त्र के सरल उपाय।
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार घर के मुख्य द्वार पर सिंदूर से नौ अंगुल लंबा और नौ अंगुल चौड़ा स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं। ऐसा करने से चारों ओर से आ रही नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और वास्तुदोष दूर होता है। हर मंगलवार को यह उपाय करने से मंगल ग्रह से जुड़े दोष भी समाप्त होते हैं।
वास्तु विज्ञान में रसोई घर को घर की सुख समृद्धि हेतु अतिविशिष्ट माना गया है। रसोई के लिए वास्तु के नियमों के अनुसार आग्नेय कोण यानी कि दक्षिण-पूर्व दिशा सबसे उचित स्थान मानी गई है। यदि रसोईघर गलत स्थान पर है तो अग्निकोण में बल्ब लगा दें और हर रोज ध्यान से उस बल्ब को जलाएं। इससे आपके घर का वास्तुदोष दूर हो जाएगा।
वास्तु के अनुसार घर में घोड़े की नाल टांगना बेहद शुभ माना जाता है। काले घोड़े की नाल मुख्य द्वार पर लगाने से सुरक्षा और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। घोड़े की नाल अंग्रेजी के अक्षर यू के आकार की होती है। ध्यान रहे कि घोड़े की नाल अपने आप गिरी हुई होनी चाहिए या फिर आपके सामने घोड़े के पैर से उतारी हुई होनी चाहिए।
वास्तु शास्त्र के अनुसार यदि घर में वास्तु दोष है तो घर के उत्तर-पूर्व कोने में कलश रखना सर्वाधिक उपयुक्त माना जाता है। ध्यान रहे कि कलश कहीं से भी खंडित नहीं होना चाहिए। हिंदू मान्यताओं के अनुसार कलश को भगवान गणेशजी का रूप माना जाता है। गणेशजी को सुखकर्ता और विघ्नहर्ता माना गया है। घर में कलश की स्थापना के बाद सभी कार्य बिना किसी बाधा के पूर्ण होते हैं।
जिस घर में पूजा पाठ और कीर्तन भजन रोजाना होते हैं, उस घर में मां लक्ष्मी स्वयं आकर वास करती हैं। रोजाना पूजापाठ करने से आपके घर से वास्तु दोष का भी निवारण होता है। अगर आप रोजाना भजन और कीर्तन करने का वक्त नहीं निकाल सकते हैं तो कम से कम गायत्री मंत्र और शांति पाठ रोजाना करें।
यदि आप पश्चिम की ओर मुंह करके सोते हैं तो आपको बुरे सपने आ सकते हैं और पेट से संबंधित रोग हो सकते हैं। नींद नहीं आने पर व्यक्ति का स्वभाव चिड़चिड़ा रहता है और वह अलसाया रहता है। ऐसा होने से घर में निगेटिव एनर्जी का प्रवाह बढ़ता है तो आपको दक्षिण दिशा में मुंह करके सोना चाहिए। इससे आपके स्वभाव में बदलाव होगा और अनिद्रा की स्थिति में भी सुधार होगा।
घर के उत्तर-पूर्व कोने में कभी भी कचरा एकत्र न होने दें, और न ही इधर कोई भी भारी मशीन रखें। इससे आपके घर में वास्तुदोष लगता है। साथ ही आप अपने वंश की उन्नति के लिए मुख्य द्वार पर अशोक का वृक्ष दोनों और लगाएं। इससे आपके घर का वास्तु दोष दूर होगा साथ ही नकारात्मक ऊर्जा कभी घर में प्रवेश नहीं करेगी।
वैसे तो घर में शौचालय बनवाने के लिए सबसे उचित दिशा दक्षिण-पश्चिम मानी जाती है। लेकिन अगर घर के पूर्व में आपको शौचालय बनवाना पड़ गया हो और कोई विकल्प बाकी न हो तो आप टॉयलेट सीट को इस प्रकार लगवाएं कि उस पर बैठते समय पश्चिम अथवा दक्षिण की ओर मुंह करके बैठ सकें। इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा की जगह सकारात्मक ऊर्जा ले लेगी और आपके सारे काम बनने लगेंगे।