Rajbhar vs Rajput: 2 कोर वोटर्स की लड़ाई में BJP फंसती हुई नजर आ रही है. पूर्वांचल में राजभर बनाम राजपूत की जंग बीजेपी के लिए गले की फांस बन सकती है.
Rajbhar vs Rajput Fight: खेत में मवेशी घुसने को लेकर 2 पक्षों में मारपीट उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के छितौना गांव (varanasi chhitauna case) में आधा बिस्वा जमीन पर बांस के झुरमुट में हो गई थी। भोला राजभर और संजय सिंह के परिवारों के बीच 5 जुलाई को हुई मारपीट की घटना अब जातीय संघर्ष में बदल रही है। समाजवादी पार्टी (सपा), भारतीय जनता पार्टी (BJP) और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के राजभर नेता भोला राजभर के समर्थन में आ गए हैं।
दूसरी ओर संजय सिंह के पक्ष में करणी सेना के साथ अन्य क्षत्रिय संगठन उतर गए हैं। विवाद बढ़कर पूर्वांचल के अन्य जिलों तक भी पहुंच गया है। ओमप्रकाश राजभर को धमकी देने का केस करणी सेना के खिलाफ बलिया में दर्ज हुआ है। दो परिवारों के बीच हुए विवाद ने जातीय संघर्ष का रूप कैसे लिया और सत्ताधारी BJP को किस तरह से इसने फंसा दिया इस बात को लेकर भी चर्चा हो रही है।
घटना के दिन 5 जुलाई को ही UP सरकार के मंत्री अनिल राजभर मौके पर पहुंचे और घटना के बारे में जानकारी ली। घटना के बारे में उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर भी जानकारी शेयर की। उन्होंने लिखा कि दोषियों के खिलाफ FIR संबंधित थाने पर भेजकर कराई गई। वहीं अनिल राजभर के दबाव में आकर पुलिस पर एक पक्ष का मुकदमा लिखे जाने और दूसरे पक्ष की सुनवाई नहीं करने का आरोप क्षत्रिय संगठनों ने लगाया और उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
क्षत्रिय संगठनों के लगातार प्रदर्शन के 3 दिन बाद संजय सिंह के पक्ष की तहरीर पर चौबेपुर थाने में केस दर्ज किया गया। वहीं ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा मामला ठंडा होता देख और क्रेडिट वॉर में खुद को पिछड़ता देख कूद गई। जिसके बाद कार्यकर्ताओं के हुजूम के साथ ओमप्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर छितौना गांव पहुंचे। यहां पहुंच कर उन्होंने भोला राजभर के परिवार से मुलाकात की और न्याय का विश्वास दिलाया।
इस दौरान अरविंद राजभर ने कहा कि ये लड़ाई पूरे समाज की है। एक Video भी अरविंद राजभर के छितौना कूच का सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। इस वीडियो में कुछ लोग करणी सेना और क्षत्रिय समाज को लेकर अपशब्दों के साथ नारेबाजी कर रहे थे। वीडियो के वायरल होने के बाद विवाद और बढ़ गया। सुभासपा और अरविंद राजभर के खिलाफ अन्य क्षत्रिय संगठनों ने मोर्चा खोला। हालांकि मामले में पुलिस ने 2 लोगों के खिलाफ समाज में विद्वेष फैलाकर कानून-व्यवस्था बिगाड़ने का केस दर्ज किया।
मामला इतना बढ़ गया कि अरविंद राजभर के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए समाज के लोगों से 15 जुलाई को छितौना पहुंचने का आह्वान करणी सेना और अन्य क्षत्रिय संगठनों ने कर दिया। हालांकि दोनों जातियों के संगठनों के साथ जिलाधिकारी और पुलिस कमिश्नर ने बैठक की। जिसके बाद छितौना मार्च का कार्यक्रम रद्द करने पर सहमति करणी सेना समेत कई क्षत्रिय संगठनों ने जता दी। जो नहीं माने उनसे जुड़े लोगों को देर रात से ही हाउस अरेस्ट कर लिया गया।
बता दें कि BJP की अगुवाई वाले NDA में ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा भी शामिल है। बीजेपी के सक्रिय सदस्य और बूथ अध्यक्ष संजय सिंह बताए जाते हैं। बीजेपी समर्थक वाराणसी और पूरे पूर्वांचल में क्षत्रिय समाज माना जाता है। इसी वजह से दो कोर वोटर्स की लड़ाई में बीजेपी फंसती नजर आ रही है। पूर्वांचल की कई सीटों पर जीत-हार तय करने की स्थिति में राजभर समाज की करीब 4 फीसदी आबादी है।
गौरतलब है कि BJP को ओमप्रकाश राजभर के सपा के साथ जाने का नुकसान साल 2022 के UP चुनाव में उठाना पड़ा था। यानी उस समय गाजीपुर और आजमगढ़ जिले में पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई थी। BJP महज दो सीटों पर बलिया में भी सिमट गई थी। ऐसे में राजभर बनाम राजपूत की जंग बीजेपी के गले की फांस बनती नजर आ रही है.