वाराणसी

अगर आपने भी खाया है तिरुपति बालाजी का प्रसाद तो ऐसे करें शुद्धीकरण, काशी के इस पुरोहित ने बताया उपाय

Tirupati Balaji: काशी के पुरोहित श्रीकांत जोशी ने बताया कि अगर आपने भी तिरुपति का मिलावटी प्रसाद खाया है तो प्रायश्चित करने के लिए क्या करें।

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Sep 23, 2024

Tirupati Balaji: आतिरुपति प्रसादम लड्डू विवाद सामने आने के बाद काशी के राजराजेश्वरी मंदिर में शुद्धिकरण अभियान चलाया जा रहा है। इसके लिए गाय के दूध, दही, घी, गोबर और मूत्र पंचगव्य तैयार किया गया है। इस विषय में मंदिर के पुरोहित श्रीकांत जोशी ने आईएएनएस से बातचीत की।

पुरोहित ने बताया, “तिरुपति देवस्थान में जो लोग पिछले तीन-चार वर्षों से गए हैं, वह लोग वहां का दूषित प्रसाद खाकर खुद दूषित हो गए हैं। इसी वजह से हम लोग यहां काशी क्षेत्र में और राज राजेश्वरी मंदिर में पंचगव्य का निशुल्क आयोजन कर रहे हैं। काशी धर्म की नगरी है, और यहां पर हर प्रकार के शुद्धिकरण और पूजा-पाठ कराए जाते हैं। तीर्थयात्री इसी उद्देश्य से यहां आते हैं। तिरुपति देवस्थान में भी यह सब किया जाता है। यह पूजा-पाठ और शुद्धिकरण एक दम निशुल्क है।”

‘काशी के राजराजेश्वरी मंदिर में कराया जा रहा शुद्धिकरण’

इस शुद्धिकरण अभियान में भाग लेने आए कमलाकांत जोशी कहते हैं, “मैं जुलाई में पिछले साल आंध्र प्रदेश के तिरुपति देवस्थान गया था। वहां का प्रसाद ग्रहण भी ग्रहण किया था। अभी टीवी पर जो प्रचार चल रहा है, उसे देखते हुए हमने पंचगव्य से अपना शुद्धिकरण कराया है। यह कार्य काशी के राजराजेश्वरी मंदिर में किया गया है। यह काम निशुल्क हो रहा है। पंचगव्य में पांच प्रकार के तत्व होते हैं: घी, शहद, दही, दूध और गोमूत्र। इन सभी को मिलाकर पंचगव्य बनाया जाता है, और इसके बाद इसे शरीर में ग्रहण करने से शुद्धिकरण होता है।”

काशी में निशुल्क करा रहे शुद्धिकरण

वह आगे कहते हैं, “जब यह आपको पता चला तो कितना कष्टदायक था, खासकर जब वहां के मंदिर में इस तरीके के जानने वाले लोगों को इसकी जानकारी नहीं थी। पिछली सरकार के कार्यों की जानकारी के बाद सभी के मन में ठेस पहुंची। सभी लोग प्रेमपूर्वक प्रयास कर रहे हैं कि हम कैसे शुद्धि प्राप्त करें। इसकी शुरुआत हमने काशी से की है। काशी में जो भी पुरोहित और ब्राह्मण इस प्रकार के शुद्धिकरण के लिए आते हैं, मैं उनसे अनुरोध करूंगा कि वे निशुल्क शुद्धिकरण करवाएं और सभी को हिंदू आस्था के प्रति जागरूक करें।”

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