Navratri 2025: मां ब्रह्मचारिणी को मनाना है तो किस पात्र में पूजा करनी चाहिए? उनकी पूजा से ग्रह-नक्षत्रों के अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिल सकती है।
Navratri 2025 Second Day: शारदीय नवरात्रि का आज (मंगलवार, 23 सितंबर) दूसरा दिन है। मां दुर्गा के दूसरे रूप मां ब्रह्मचारिणी की इस दिन पूजा-अर्चना की जाती है। वाराणसी के दुर्गा घाट और ब्रह्माघाट स्थित प्राचीन मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की भीड़ उमड़ी हुई है।
मंदिरों में विशेष पूजन और श्रद्धालुओं के जयकारों से महौल भक्तिमय बना हुआ है। लोगों की मान्यताओं के मुताबिक, इस मंदिर में मां ब्रह्मचारिणी के दर्शन से संतान सुख की प्राप्ति होती है। साथ ही मां अपने भक्तों को धन-धान्य एवं समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। माता ब्रह्मचारिणी संयम, तपस्या और ब्रह्मचर्य की प्रतीक मानी जाती हैं।
श्रद्धालुओं का कहना है कि मां ब्रह्मचारिणी भक्त को विद्या, विवेक और आध्यात्मिक शक्ति का आशीर्वाद देती हैं। मां ब्रह्मचारिणी की आराधना से घर में सुख-शांति आती है। साथ ही सौभाग्य का आगमन होता है। इसके साथ ही ग्रह-नक्षत्रों के अशुभ प्रभाव से भी मुक्ति मिल सकती है।
ब्रह्मचारिणी मंदिर के महंत राजेश्वर सागर का कहना है कि इस मंदिर में माता की रात्रि में राजोप्रचार पूजा होती है। राजोप्रचार पूजा का मतलब है कि जिस तरह से राजा पूजा करते हैं यानी रोजाना रजत के पात्र (चांदी का बर्तन) से भगवती की पूजा की जाती है। लोगों की मान्यताओं के मुताबिक रजत के पात्र में पूजा करने से माता रानी प्रसन्न रहती हैं।
महंत राजेश्वर सागर का कहना है कि मंदिर में पूरे साल भीड़ रहती है, लेकिन नवरात्रि के दूसरे दिन भीड़ ज्यादा हो जाती है। मंदिर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। श्रद्धालुओं को कोई परेशानी ना हो और सभी आसानी से दर्शन कर लें इस पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।