एक नई रिसर्च के मुताबिक एआई हार्ट अटैक और अन्य गंभीर बिमारियों का पूर्वानुमान दस सालों पहले ही कर रहा है, वो भी 95% सटीकता के साथ।
एआई अब स्वास्थ्य जोखिमों का पूर्वानुमान कर रहा है, खासकर हार्ट अटैक, स्ट्रोक और मौत के खतरे की। सेडार्स-सिनाई और जॉन्स हॉपकिन्स की रिसर्च में एआई ने हार्ट अटैक रिस्क 5-10 साल पहले 85-95% सटीकता से प्रेडिक्ट किया। जॉन्स हॉपकिन्स के मॉडल ने हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी में सडन डेथ रिस्क 93% एक्यूरेट बताया। ग्लोबल स्तर पर एआई हेल्थकेयर का ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है। 2025 में मार्केट 21.66 बिलियन डॉलर से भी अधिक पहुंचने की उम्मीद है। अमरीका में 66% फिजिशियन एआई यूज कर रहे।
एआई हार्ट डिजीज, कैंसर, स्ट्रोक और डायबिटीज जैसी बीमारियों में रिस्क प्रेडिक्ट करता है। हालांकि सटीकता उच्च है लेकिन मानसिक तनाव, गलत प्रेडिक्शन और प्राइवेसी की चिंता लोगों में रहती है। विशेषज्ञ कहते हैं कि प्रेडिक्शन से लोग जीते जी डरने लगते हैं। एथिकल इश्यू जैसे बायस और ओवररिलायंस से सावधानी जरूरी है। भविष्य में एआई प्रिवेंटिव केयर मजबूत करेगा, लेकिन ह्यूमन ओवरसाइट भी जरूरी है।
सेडार्स-सिनाई की रिसर्च में एआई ने सीटीए इमेज से प्लाक एनालिसिस कर 5 साल में हार्ट अटैक रिस्क सटीक प्रेडिक्ट किया, जो पारंपरिक मेथड से बेहतर। हजारों पेशेंट्स पर टेस्ट में यह सफल रहा। दूसरा, जॉन्स हॉपकिन्स का मॉडल हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी में एमआरआई से स्कारिंग देखकर सडन कार्डियक डेथ रिस्क 89-93% एक्यूरेट बताया, जबकि डॉक्टर्स की गाइडलाइंस सिर्फ 50% सटीक। इससे साफ है कि एआई हिडन पैटर्न कैच कर जीवन बचाने में मददगार है।
एआई की प्रेडिक्शन सटीकता 85-95% तक, जैसे हार्ट अटैक में 0.85-0.91 एयूसी। यह हार्ट डिजीज, स्ट्रोक, हार्ट फेलियर, कैंसर और डायबिटीज में प्रभावी। इमेजिंग से प्लाक या स्कारिंग देखकर रिस्क बताता है। कुछ मॉडल 10 साल पहले कार्डियक इवेंट प्रेडिक्ट करते हैं, लेकिन डायग्नोस्टिक में 66% फिजिशियन यूज हो रहा है। हालांकि सटीकता डेटा क्वालिटी पर निर्भर करता है।
एआई प्रेडिक्शन से मानसिक तनाव बढ़ता है, लोग मौत की भविष्यवाणी से डरते हैं। गलत प्रेडिक्शन से अनावश्यक ट्रीटमेंट या इग्नोरेंस हो सकता है। एथिकल इश्यू जैसे प्राइवेसी ब्रेक, बायस से असमान केयर। ओवररिलायंस से डॉक्टर्स की स्किल कम हो सकती है। पेशेंट-डॉक्टर रिलेशन प्रभावित, ट्रस्ट कम। अध्ययनों में चेतावनी कि अनिश्चितता बिना प्रेडिक्शन एक्शनेबल नहीं। कुल मिलाकर, फॉल्स पॉजिटिव से डर और नेगेटिव से लापरवाही का खतरा।
एआई हेल्थ प्रेडिक्शन का दुरुपयोग इंश्योरेंस कंपनियां रिस्क आधारित प्रीमियम बढ़ाने में कर सकती हैं। एम्प्लॉयर्स जॉब डिसीजन में यूज कर भेदभाव कर सकते हैं। गवर्नमेंट सर्विलांस बढ़ा सकती है। डेटा पॉइजनिंग से गलत प्रेडिक्शन, या मिसइंफॉर्मेशन संभव है। कुछ केस में प्रेडिक्शन को इग्नोर कर लापरवाही बरती जा सकती है। विशेषज्ञ चेताते हैं कि बिना रेगुलेशन दुरुपयोग से असमानता बढ़ेगी और प्राइवेसी का खतरा रहेगा।