अमेरिका ने फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास सहित 80 अधिकारियों के वीज़े रद्द कर दिए, शांति वार्ता में बाधा डालने का आरोप लगाते हुए। इसके साथ ही, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सुरक्षा परिषद सुधारों को फिर से स्थगित कर दिया, जिससे जी-4 समूह समेत कई देशों में निराशा है। अमेरिकी कदम फ्रांस के फिलिस्तीन को देश के तौर पर मान्यता दिलाने के प्रयासों के बीच आया है। यह घटनाक्रम अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में नए तनाव का संकेत दे रहा है।
अमेरिका ने फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास अगले महीने न्यूयॉर्क में होने वाले संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र में शामिल होने से रोक दिया है। उनके और 80 अन्य फिलीस्तीनी अधिकारियों के वीजा रद्द कर दिए गए हैं।
अमेरिका विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने उन पर शांति प्रयासों को कमजोर करने और 'एक काल्पनिक फिलिस्तीन देश को एकतरफा मान्यता देने की कोशिश करने का आरोप लगाया।
यह प्रतिबंध ऐसे समय में लगाया गया है जब फ्रांस इस सत्र में फिलिस्तीन को एक देश के रूप में मान्यता देने के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों का नेतृत्व कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र में फिलीस्तीनी राजदूत रियाद मंसूर ने पहले कहा था कि अब्बास महासभा सत्र में शामिल होंगे।
उधर, सुरक्षा परिषद सुधारों को लेकर संयुक्त राष्ट्र महासभा में लगातार गतिरोध बना हुआ है। नतीजन संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 17वीं बार सुरक्षा परिषद सुधारों को स्थगित किया। इसका कारण यह है कि सदस्य देशों के बीच चर्चा के लिए कोई एजेंडा तय करने पर सहमति नहीं बन पाई।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मंगलवार को सुरक्षा परिषद सुधार और नए स्थायी सदस्यों को जोड़ने की चर्चा को अगले सत्र में भेजने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया।
जी-4 संगठन (भारत, ब्राजील, जर्मनी और जापान देशों का ग्रुप) की ओर से बोलते हुए जापान ने कहा कि सुरक्षा परिषद की विफलता संयुक्त राष्ट्र में विश्वास और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था बनाए रखने की उसकी क्षमता को कमजोर करती है।
संयुक्त राष्ट्र में जापान के स्थायी मिशन के राजनीतिक अनुभाग के मंत्री इरिया ताकायुकी ने कहा, "सुरक्षा परिषद सुधार की लगातार विफलता सिर्फ परिषद से जुड़ा मामला नहीं है, बल्कि यह पूरे संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता और बहुपक्षीय प्रणाली पर प्रश्नचिह्न लगाता है।"
उन्होंने कहा, "इस वास्तविकता को देखते हुए कि संयुक्त राष्ट्र में विश्वास डगमगा गया है और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था अस्थिर है, परिषद सुधार न सिर्फ संयुक्त राष्ट्र को मजबूत करने के लिए, बल्कि पूरी अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने के लिए जरूरी है।"