
इटली ने इस साल पशु क्रूरता रोकने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। (PC:Facebook/ThingsYouDontKnow)
Giorgia Meloni animal rights law: भारत में पशु क्रूरता आम है। इसकी वजह है कमजोर कानून। स्ट्रीट डॉग हो या फिर कोई दूसरा जानवर, पशुओं को नुकसान पहुंचाने वाले मामूली जुर्माना भरकर आजाद हो जाते हैं। पुलिस भी ऐसे मामलों को गंभीरता से नहीं लेती। लंबे समय से पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 को मजबूत बनाने की मांग होती रही है, लेकिन कुछ ठोस अब तक हो नहीं पाया है। वहीं, भारत के दोस्त इटली ने पशुओं को क्रूरता से बचाने के लिए कानून को कड़ा कर दिया है। इटली के पशु प्रेमियों के लिए यह साल 2025 का सबसे बड़ा तोहफा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इटली की पीएम जियोर्जिया मेलोनी अच्छे दोस्त हैं। मेलोनी की सरकार ने पशु क्रूरता रोकने के लिए नए कानून को कुछ वक्त पहले मंजूरी दी है। इस संबंध में एक विधेयक पिछले साल नवंबर में निचले सदन में पेश किया गया था। वहां से हरी झंडी मिलने के बाद विधेयक को सीनेट में पेश किया गया, जिस पर सभी ने सहमति जताई। नए कानून के तहत जानवरों के साथ क्रूरता पर कड़ी सजा का प्रावधान है।
इटली की सरकार का मानना है कि जानवरों के अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए, इसलिए नए कानून को अमल में लाया जा रहा है। वांटेड इन रोम की रिपोर्ट के अनुसार, नए कानून के तहत, यदि कोई जानवर को मारता है, तो उसे छह महीने से 3 तक की जेल हो सकती है। टॉर्चर के मामले में सजा बढ़कर 4 साल और 60,000 यूरो (63,47,520 रुपए) तक के जुर्माने का प्रावधान है। अब तक ऐसे अपराध के लिए अधिकतम तीन वर्ष कारावास और 30,000 पाउंड तक जुर्माने की व्यवस्था थी।
रिपोर्ट के अनुसार, यदि पशु क्रूरता नाबालिग के सामने की जाती है, कई जानवरों को निशाना बनाया जाता है या क्राइम के फुटेज ऑनलाइन शेयर किए जाते हैं, तो सजा एक तिहाई बढ़ाई जा सकती है। नए कानून के तहत ऐसे आयोजन या प्रतियोगिता, जिसमें पशुओं के साथ हिंसा होती है, कड़ी कार्रवाई का सामना करेंगे। आयोजक पर 30,000 पाउंड का जुर्माना लगाया जा सकता है, जो पहले के मुकाबले दोगुना है। एनिमल फाइट करवाने पर अब दो से चार साल की जेल हो सकती है। इसी तरह, पपी ट्रैफिकिंग पर चार से 18 महीने की जेल और 6000 से 30,000 पाउंड तक का फाइन लग सकता है।
इसके अलावा, अब इटली में लोग अपने पालतू कुत्ते को घर के बाहर चेन से नहीं बांध सकेंगे। ऐसा करना गैर-कानूनी हो गया है। इटली के इस कदम की जमकर तारीफ हो रही है। इस विधेयक पर सबसे पहले हस्ताक्षर करने वालीं सांसद और एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट मिशेला विटोरिया ब्रैम्बिला ने नए कानून को इटली और उन सभी लोगों के लिए एक बड़ी जीत बताया जो जानवरों से प्यार करते हैं। ब्रैम्बिला का कहना है कि यह एक ऐसा कानून है, जिसका हमें 20 सालों से इंतजार था। इससे पशु क्रूरता करने वालों में खौफ बढ़ेगा।
भारत की तरह इटली में भी स्ट्रीट डॉग्स हैं, लेकिन भारत में इन्हें देश की सबसे बड़ी समस्या के तौर पर देखा जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर बेहद सख्त है और पिछले आदेश में उसने पब्लिक प्लेस से आवारा कुत्तों को हटाकर परमानेंट शेल्टर में रखने का आदेश दिया था। पशु प्रेमी इस फैसले से नाराज हैं और देशभर में प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका कहना है कि शेल्टर का मतलब है उम्रकैद। उनका तर्क है कि जब गौशालाओं में गाय सुरक्षित नहीं रहतीं, जिन्हें मां की तरह पूजा जाता है तो फिर कुत्तों का हाल क्या होगा समझा जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई अब 7 जनवरी, 2026 को है। PETA के अनुसार, पशुओं के खिलाफ अपराधों में दोषी ठहराए गए लोग अक्सर महज 50 रुपए का न्यूनतम जुर्माना देकर बच निकलते हैं। यह पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत पहले अपराध के लिए दी जाने वाली सबसे बड़ी सजा है।
Updated on:
27 Dec 2025 08:33 am
Published on:
27 Dec 2025 08:21 am
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