अमेरिकी फंडिंग के बंद होने से बांग्लादेश में उथल-पुथल मची हुई है। ऐसे में अब बांग्लादेश के पास आगे क्या रास्ता है? आइए इस पर नज़र डालते हैं।
अमेरिका (United States Of America) के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की जब से व्हाइट हाउस (White House) में वापसी हुई है, उन्होंने कई बड़े फैसले लिए हैं। इनमें से कई फैसले चौंकाने वाले हैं। ट्रंप के अब तक लिए गए फैसलों में एक फैसला अमेरिका की तरफ से दी जाने वाली विदेशी आर्थिक सहायता पर रोक लगाना है। ट्रंप ने इज़रायल (Israel) और मिस्त्र (Egypt) के अलावा अन्य सभी देशों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता बंद कर दी है। ट्रंप के इस फैसले से कई देशों पर असर पड़ा है, जिनमें बांग्लादेश (Bangladesh) भी शामिल है। अमेरिकी फंडिंग बंद होने की वजह से बांग्लादेश में उथल-पुथल मची हुई है।
बांग्लादेश को अमेरिका की तरफ से मिलने वाली फंडिंग पर रोक लगने से देश के कई एनजीओ पर ताला लग गया है। रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश में हज़ारों एनजीओ हैं, जिनमें डोमेस्टिक के साथ ही विदेशी एनजीओ भी शामिल हैं। इन सभी का काम अमेरिकी आर्थिक सहायता की वजह से ही चलता है। इन एनजीओ से बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिलता है। हालांकि अब अमेरिकी फंडिंग के बंद होने से इन एनजीओ में काम करने वाले लोगों की नौकरी भी चली गई है। इससे देश में बेरोजगारी बढ़ी है और आने वाले समय में और बढ़ेगी।
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अमेरिका की फंडिंग पर बांग्लादेश का आर्थिक ढांचा मुख्य रूप से टिका हुआ था। देश में चल रहे डोमेस्टिक और विदेशी एनजीओ बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाते थे। हालांकि अब इनको मिलने वाली फंडिंग के बंद होने से बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगेगा।
बांग्लादेश को मिलने वाली अमेरिकी फंडिंग के बंद होने से देश में महंगाई बढ़ने की आशंका बनी हुई है, जिसका डर देश की जनता के साथ ही सरकार को भी परेशान कर रहा है। बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था में गिरावट और बेरोजगारी बढ़ने के साथ ही देश में महंगाई भी बढ़ेगी। कई चीज़ों के दाम बढाकर अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले दबाव को कम करने की कोशिश की जाएगी, लेकिन इसका असर देश की जनता पर पड़ेगा। बांग्लादेशी जनता की जेब पर इसकी मार पड़ेगी, जिससे देश में स्थिति और खराब होगी।
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अमेरिकी फंडिंग के बंद होने के बाद बांग्लादेश के सामने आगे क्या रास्ता है, यह एक बड़ा सवाल है। निश्चित तौर पर बांग्लादेश के लिए विदेशी फंडिंग बेहद ज़रूरी है। ऐसे में वो चीन का दरवाज़ा खटखटा सकता है। इस समय बांग्लादेश के भारत से भी अच्छे संबंध नहीं हैं, लेकिन दोनों देशों के संबंधों में अगर सुधार होता है, तो बांग्लादेश को कुछ हद तक इसका फायदा मिल सकता है। हालांकि अब यह बात तो साफ है कि बांग्लादेश सिर्फ विदेशी फंडिंग पर निर्भर नहीं कर सकता है। देश में स्थिति के सुधार के लिए बांग्लादेशी सरकार को कुछ बुनियादी बातों पर ध्यान देना ज़रूरी है। इनमें देश के उद्योगों को बढ़ावा देना और ज़रूरी मदद मुहैया कराना, देश के युवाओं को नौकरियों के लिए ट्रेनिंग देना, कॉर्पोरेट फंडिंग का इस्तेमाल करते हुए देश में रोजगार के अवसर बढ़ाना जैसे कुछ उपाय हैं, जिन्हें अपनाकर बांग्लादेश की स्थिति में सुधार किया जा सकता है।