विदेश

बांग्लादेश ने भारत पर लगाया गंभीर आरोप, कहा – “शेख हसीना की पार्टी के लाखों लोगों को दी शरण”

India-Bangladesh Conflict: भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों में तकरार किसी से भी छिपी नहीं है। अक्सर ही बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के सदस्य भारत के खिलाफ जहर उगलते हैं और हाल ही में एक बार फिर ऐसा ही देखने को मिला है।

2 min read
Apr 02, 2025
Tension between India and Bangladesh continues

भारत (India) और बांग्लादेश (Bangladesh) के संबंधों में पड़ी तकरार जगजाहिर है। पूर्व बांग्लादेशी पीएम शेख हसीना (Sheikh Hasina) के पिछले साल 5 अगस्त को देश छोड़ने के बाद से ही भारत सरकार की शरण में रहना बांग्लादेशी अंतरिम सरकार के लीडर मुहम्मद यूनुस (Muhammad Yunus) को पसंद नहीं है और वो कई बार भारत सरकार से शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग कर चुकी है, जिसे भारत सरकार ने खारिज कर दिया है। वहीं शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने के बाद देश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा के मामले बढ़ गए। भारत ने इसका विरोध किया और इसे गलत बताया, लेकिन बांग्लादेश की तरफ से इस पूरे मामले में कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया। इस वजह से दोनों देशों के संबंध काफी कमज़ोर हो गए हैं। समय-समय पर यूनुस सरकार के सदस्य, भारत के खिलाफ जहर उगलने का मौका नहीं छोड़ते और एक बार फिर ऐसा ही देखने को मिला है।

भारत पर लगाया गंभीर आरोप

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के सूचना सलाहकार महफूज आलम ने मंगलवार को भारत पर गंभीर आरोप लगाया है। आलम ने कहा है कि शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी के एक लाख से ज़्यादा सदस्य देश छोड़कर भाग गए हैं और भारत की शरण में रह रहे हैं।

यह भी पढ़ें- पाकिस्तान में आतंक के खिलाफ लड़ाई तेज़, तीन महीने में टूटा आतंकियों के खात्मे का 12 साल का रिकॉर्ड


एक कार्यक्रम में दिया बयान

मंगलवार को आयोजित एक कार्यक्रम में दौरान आलम ने भारत पर शेख हसीना की पार्टी के सदस्यों को शरण देने का बयान दिया। इस कार्यक्रम में शेख हसीना के बांग्लादेशी पीएम के तौर पर कार्यकाल के दौरान कथित रूप से मारे गए या लापता हुए लोगों के परिवार के सदस्य शामिल हुए। आलम ने कार्यक्रम में शेख हसीना की काफी आलोचना की।


बांग्लादेश में तख्तापलट की अटकलें बरकरार

बांग्लादेश के भारत पर आरोप लगाने के बीच देश में तख्तापलट की अटकलें बरकरार हैं। अमेरिकी सहायता बंद होने से पहले ही यूनुस सरकार पर संकट गहरा रहा है, क्योंकि बांग्लादेश में पिछले साल हुए तख्तापलट में अमेरिकी फंडिंग की अहम भूमिका थी। अब अमेरिकी फंडिंग बंद होने के बाद बांग्लादेश की आर्थिक स्थिति कमज़ोर होती चली गई, बेरोजगारी बढ़ने लगी और बांग्लादेशियों का यूनुस से भरोसा भी कम होने लगा। तख्तापलट की अटकलों के बीच अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए यूनुस बांग्लादेश में चुनाव कराने को भी मंजूरी दे सकते हैं, क्योंकि वह जानते हैं कि अभी भी देश के कट्टरपंथी लोगों का समर्थन उन्हें ही मिलेगा। हालांकि देश में चुनाव कराने के लिए अन्य राजनीतिक दलों और सेना को राजी करना यूनुस के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। बांग्लादेशी सेना देश में बढ़ रहे अपराध, कट्टरवाद, बेरोजगारी और अन्य समस्याओं से खुश नहीं हैं। ऐसे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि तख्तापलट की स्थिति में बांग्लादेश में राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है। इसके अलावा बांग्लादेश में सेना अपनी निगरानी में राष्ट्रीय एकता सरकार बनाने के विकल्प पर भी विचार कर रही है। बांग्लादेश में तख्तापलट के बारे में फिलहाल कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन बांग्लादेश में बढ़ रही राजनीतिक उथल-पुथल जगजाहिर है और यूनुस के लिए चिंता का विषय है।

Also Read
View All

अगली खबर