
जम्मू कश्मीर में मुठभेड़ (ANI)
आतंकवाद (Terrorism) और पाकिस्तान (Pakistan) का रिश्ता काफी पुराना है। दुनियाभर में जब और जहाँ भी पाकिस्तान का नाम लिया जाता है, उसके साथ ज़्यादातर आतंकवाद को ही जोड़ा जाता है। इसकी वजह है पाकिस्तान की इंटरनेशनल पहचान, जो आतंकवाद को पनाह देने वाले देश के रूप में बन गई है। लेकिन अब पाकिस्तान की यह पहचान उसके लिए ही परेशानी की वजह बन गई है। जिस आतंकवाद को पाकिस्तान में हमेशा पनाह दी गई, अब वो आतंकवाद ही पाकिस्तान के लिए सिरदर्द बन चुका है।
एक समय ऐसा था जब पाकिस्तान आतंकियों के लिए स्वर्ग माना जाता था। दुनियाभर के आतंकियों के लिए पाकिस्तान एक हॉटस्पॉट से कम नहीं था। एक ऐसा अड्डा, जहाँ न सिर्फ उन्हें सुरक्षा मिलती थी, बल्कि अपने मंसूबों को पूरा करने के लिए मदद भी। लेकिन अब पाकिस्तान खुद आतंकवाद के दलदल में धंस चुका है। आए दिन ही पाकिस्तान में आतंकी हमलों के मामले देखने को मिलते हैं। इन हमलों से देश की जनता के साथ ही सेना और पुलिस भी सुरक्षित नहीं है।
पाकिस्तान में खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान, आतंकवाद से सबसे ज़्यादा प्रभावित प्रांत हैं। इसकी वजह है इन दोनों प्रांतों का अफगानिस्तान से जुड़े होना। दोनों ही प्रांतों की बॉर्डर अफगानिस्तान से लगी हुई है और 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद से ही पाकिस्तान में आतंकी गतिविधियाँ भी बढ़ गई और खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान प्रांतों में ये गतिविधियाँ सबसे ज़्यादा देखी जाती हैं।
यह भी पढ़ें- ईद पर भारत के मोस्ट वाॅॅन्टेड दुश्मन हाफिज सईद के करीबी की गोली मारकर हत्या, लश्कर के लिए जुटाता था फंडिंग
पाकिस्तान में आतंकवाद के प्रभाव को बढ़ता देखकर सेना भी लगातार आतंकियों के खिलाफ अभियान चलाती रहती है। अक्सर ही पाकिस्तानी सेना आतंकियों के ठिकानों पर हमले करती है। कई बार सेना, खुफिया जानकारी के आधार पर भी आतंकियों के मूवमेंट पर नज़र रखते हुए उन पर हमला करती है। ऐसा करते हुए सेना लगातार आतंकियों पर मार कर रही है।
आतंकियों के खिलाफ पाकिस्तानी सेना की कार्रवाई में देश का 12 साल का रिकॉर्ड टूट गया है। थिंक टैंक सेंटर फॉर रिसर्च एंड सिक्योरिटी स्टडीज़ की रिपोर्ट के अनुसार 2025 की पहली तिमाही (जनवरी, फरवरी, मार्च) में सेना ने देशभर में कुल 495 आतंकी मार गिराए। ऐसा करते हुए पाकिस्तानी सेना ने 12 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया।
पाकिस्तान में जहाँ सेना को आतंकियों के खिलाफ कामयाबी मिली, तो आतंकियों को भी दहशत फैलाने के अपने मकसद में कामयाबी मिली है। थिंक टैंक सेंटर फॉर रिसर्च एंड सिक्योरिटी स्टडीज़ की रिपोर्ट के अनुसार इस साल के शुरुआती 3 महीने में मरने वाले सैनिकों और नागरिकों की संख्या करीब 402 है।
Updated on:
05 Jul 2025 05:24 pm
Published on:
01 Apr 2025 03:11 pm
बड़ी खबरें
View Allविदेश
ट्रेंडिंग
