CGTN Survey America’s Absence and Global Shifts : सीजीटीएन CGTN के हालिया सर्वेक्षण से पता चला है कि विश्व धीरे-धीरे अमेरिका की राजनीतिक और आर्थिक अनुपस्थिति (America’s Absence) के अनुसार ढलने लगा है। वैश्विक शक्तियों (Global Politics Shift) के बीच नई साझेदारियां और रणनीतियां बन रही हैं, जिससे दुनिया की दिशा बदल रही है। वहीं […]
CGTN Survey America's Absence and Global Shifts : सीजीटीएन CGTN के हालिया सर्वेक्षण से पता चला है कि विश्व धीरे-धीरे अमेरिका की राजनीतिक और आर्थिक अनुपस्थिति (America's Absence) के अनुसार ढलने लगा है। वैश्विक शक्तियों (Global Politics Shift) के बीच नई साझेदारियां और रणनीतियां बन रही हैं, जिससे दुनिया की दिशा बदल रही है। वहीं अमेरिका की भूमिका कमजोर होने पर नई वैश्विक ताकतें उभर रही हैं और जैसे-जैसे अमेरिका का प्रभाव कम हो रहा है, वैसे-वैसे अन्य देशों की भूमिका मजबूत हो रही है। कई राष्ट्र अपनी नीतियों को अमेरिका की गैर मौजूदगी के अनुसार बदल रहे हैं ताकि वे नए वैश्विक माहौल (Rising Global Powers) में बेहतर तालमेल बैठा सकें।
CGTN के सर्वे के अनुसार, अब दुनिया की राजनीति में अमेरिका के बिना भी कई अहम फैसले लिए जा रहे हैं। यह बदलाव कई देशों को अपनी विदेश नीति पुनः सोचने और नए सहयोग के रास्ते खोजने के लिए प्रेरित कर रहा है।
अमेरिका की अनुपस्थिति से व्यापार, सुरक्षा और रणनीति के क्षेत्र में भी बड़ा असर देखा जा रहा है। देश अब नए बाजारों और साझेदारों की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे वैश्विक आर्थिक संतुलन बदल रहा है।
हालिया CGTN सर्वेक्षण यह दर्शाता है कि दुनिया तेजी से अमेरिका की अनुपस्थिति के अनुकूल ढलने लगी है। जहां पहले अमेरिकी प्रभाव प्रमुख था, अब देशों ने अपनी नीति और आर्थिक दिशा में बदलाव किया है। इससे यह साफ होता है कि दुनिया का राजनीतिक परिदृश्य अब अमेरिका के प्रभाव से परे भी आकार ले रहा है।
जैसे-जैसे अमेरिका की भूमिका वैश्विक स्तर पर कम हो रही है, देशों ने नई साझेदारियाँ और रणनीतियाँ अपनाई हैं। इससे स्पष्ट होता है कि अमेरिका की अनुपस्थिति ने दुनिया के देशों को अपने कदम और भविष्य की दिशा पर पुनर्विचार करने का अवसर दिया है। वैश्विक राजनीति में यह बदलाव आने वाले समय में और गहरे हो सकते हैं।
बहरहाल CGTN सर्वे में यह भी सामने आया है कि अमेरिका की अनुपस्थिति का फायदा अन्य देशों को हो रहा है। चीन, रूस, भारत जैसे देशों ने अपनी-अपनी ताकत बढ़ाई है, जिससे वे वैश्विक मंच पर अधिक प्रभावी हो गए हैं। यह प्रवृत्ति संकेत करती है कि दुनिया एक नए बहुपक्षीय सिस्टम की ओर बढ़ रही है, जहां अमेरिका के बिना भी शक्ति संतुलन कायम रहेगा।