Mughal Harem: मुगल हरम में बादशाह क्वालिटी टाइम बिताने आते थे। बादशाह के आने की सूचना भर पाकर पूरा हरम बिल्कुल अनुशासित हो जाता था। दासियों में तो खलबली मच जाती थी और कांपने लग जाती थीं।
Mughal Harem: भारत में मुगलों ने करीब 200 साल तक शासन किया। मुगल काल का इतिहास भारत को लेकर जितना क्रूर है, इतिहास में उनकी जीवनशैली को उतने ही भव्य तरीके से दर्शाया गया है। मुगल काल (Mughal Period) की कई कहानियां और तथ्य आपने इतिहास की किताबों में जरूर पढ़े होंगे। उन्हीं कहानियों का एक अहम हिस्सा था मुगल हरम..जी हां, इस हरम के बारे में इतिहासकारों ने कई किताबें लिख दीं। जिसमेें इन हरम के कई राज़ खोले गए हैं। हम आपको इन्हीं राज़ में से एक राज़ के बारे में बता रहे हैं जिसमें मुगल हरम में औरतों की दशा शामिल है।
दरअसल मुगल काल में इस राजवंश की महिलाएं और शासकों की बेगमें जहां रहती थीं, उस जगह को मुगल हरम (Mughal Harem) कहा जाता था। यहां पर मुगल बादशाह अपनी दिनभर की थकान मिटाने के लिए अपनी बेगमों के बीच आते थे। हरम में इन बेगमों के लिए बड़ी संख्या में दासियां रखी जाती थीं। इटली के लेखक मनूची की किताब 'मुगल इंडिया' के मुताबिक सन् 1500 के बाद जब बाबर ने आक्रमण कर भारत पर अपना शासन स्थापित कर लिया था, तब इन हरम का इतना चलन नहीं था लेकिन अकबर के शासन काल के बाद से इस तरह के हरम अस्तित्व में आने लगे थे। इस किताब के मुताबिक तब इस मुगल हरम में 5 हजार के आस-पास औरतें रहतीं थीं, जिनमें बादशाहों की बेगमें, उनकी बेटियां और दासियां शामिल थीं। मनूची लिखते हैं कि बेगमों और उनकी बेटियों के आराम और सेवा के लिए विदेशों से हजारों की संख्या में लड़कियां लाई जाती थीँ।
मनूची लिखते हैं कि मुगल हरम में बेगमों और शहज़ादियों की देखभाल के लिए जितनी औरतें रखी जातीं उतनी ही संख्या में किन्नरों को भी जगह दी जाती थी। ये किन्नर भी वही काम करते थे जो दासियां करती थीं। कई-कई बार तो बेगमों और शहजादियों की खिदमत सिर्फ किन्नर ही करते थे।
मुगल हरम में बादशाह और अपनी बेगमों के साथ क्वालिटी टाइम बिताने आते थे। बादशाह के आने की सूचना भर पाकर पूरा हरम बिल्कुल अनुशासित हो जाता था। दासियों में तो खलबली मच जाती थी और कांपने लग जाती थीं कि अगर किसी भी दूसरी दासी या बेगम-शहज़ादी ने उनकी शिकायत कर दी तो बादशाह कहीं उन्हें सज़ा ना दे दें। दूसरा उन्हें इस बात का भी डर रहता था कि कहीं बादशाह की खातिरदारी में कोई कमी रह गई तो उन्हें दंडित ना किया जाए। क्योंकि तब मुगल काल में छोटे से अपराध की सजा भी बेहद भयानक होती थी। मनूची लिखते हैं कि मुगल हरम के तहखाने में फांसी घर भी था। जहां पर कई दास-दासियों को मौत की सजा देकर उन्हें वहां पर लटकाया गया था।
मनूची ने अपनी किताब में एक और राज़ का पर्दाफाश किया था वो ये कि मुगल हरम में जब भी बादशाह आते थे तो हरम का माहौल पूरा रंगीन हो जाता था। क्योंकि बेगमें अपने बादशाह का मनोरंजन करती थीं जिसके लिए वो सारी हदें पार कर देती थीं वो भी अपनी दासियों के सामने। कई बार तो बेगम खुद अपनी दासियों को बादशाह के सामने नाचने को कहती थीं जिससे उनके पति का दिल बहल सके।