Market Volatility : क्रिप्टो बाजार में 2026 की नई नीतियों से पहले भारी हलचल। बिटकॉइन में 30% की गिरावट और भारत के सख्त टैक्स नियमों का निवेशकों पर असर।
Digital Assets Regulatory Framework: क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया के लिए विदा होते दिसंबर 2025 (Bitcoin Crash 2025) का अंत किसी बड़े भूकंप से कम नहीं रहा है। एक तरफ दुनिया भर की सरकारें 2026 के लिए अपनी नई 'डिजिटल एसेट पॉलिसी' (Digital Assets Regulatory Framework) को अंतिम रूप दे रही हैं, तो दूसरी तरफ बिटकॉइन और इथेरियम जैसे दिग्गजों में साल के अंत में जबरदस्त अस्थिरता (Volatility) देखी जा रही है। भारत सहित वैश्विक बाजार (India Crypto Tax Update) में अब निवेशकों की नजरें उन कड़े नियमों (Global Digital Policy) पर जमी हुई हैं, जो आने वाले समय में वर्चुअल डिजिटल करेंसी का भविष्य परिभाषित करेंगे। ALERT
दुनिया के विकसित देश अब क्रिप्टो को 'ग्रे एरिया' से निकाल कर एक स्पष्ट कानूनी ढांचे के नीचे ला रहे हैं। ध्यान रहे कि साल 2025 में इस दिशा में क्रांतिकारी बदलाव हुए हैं।
जुलाई 2025 में पारित इस कानून ने स्टेबलकॉइन्स के लिए पहला फेडरल फ्रेमवर्क तैयार किया है। इसने बैंकों को क्रिप्टो सेवाएं देने की अनुमति दी है। वहीं, CLARITY Act ने रेगुलेटरी बॉडीज (SEC और CFTC) के बीच के अधिकार क्षेत्र के विवाद को सुलझा दिया है। साल 2026 से इसके कार्यान्वयन नियम (Implementing Rules) लागू होंगे।
यूरोपीय संघ में 'मार्केट इन क्रिप्टो-एसेट्स' (MiCA) अब पूरी तरह सक्रिय है। स्टेबलकॉइन के नियम जून 2024 से ही प्रभावी थे, लेकिन अन्य प्रावधान दिसंबर 2024 से लागू हुए। कई देशों में इसका ट्रांजिशनल पीरियड जुलाई 2026 तक है।
ब्राजील, हॉन्गकॉन्ग और सिंगापुर ने भी लाइसेंसिंग नियमों को इतना सख्त कर दिया है कि केवल गंभीर खिलाड़ी ही बाजार में टिक सकें।
भारत में फिलहाल क्रिप्टो के लिए कोई स्वतंत्र व्यापक कानून नहीं आया है, लेकिन सरकार ने मौजूदा कानूनों के जरिए नियंत्रण सख्त कर दिया है:
भारत की फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट ने कई ऑफशोर (विदेशी) एक्सचेंजों को नोटिस जारी कर कंप्लायंस की मांग की है।
एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग कानूनों के तहत एक्सचेंजों के लिए अब केवाईसी (KYC) और रिपोर्टिंग अनिवार्य है।
टैक्स का भारी बोझ: मुनाफे पर 30% फ्लैट टैक्स और हर लेन-देन पर 1% TDS का नियम कायम है, जिसने वॉल्यूम को काफी प्रभावित किया है।
आरबीआई अपने डिजिटल रुपये के पायलट प्रोजेक्ट को तेजी से विस्तार दे रहा है, ताकि निजी क्रिप्टो की लोकप्रियता को संतुलित किया जा सके।
दिसंबर 2025 में मार्केट कैप $3.2 ट्रिलियन के आसपास है, लेकिन पिछले दो महीनों में इसमें 15% की गिरावट आई है।
बिटकॉइन अक्टूबर में $1,26,000 के ऐतिहासिक शिखर पर थी, लेकिन अब यह $85,000-$90,000 के दायरे में संघर्ष कर रही है—यह करीब 30% की बड़ी गिरावट है।
मुख्य कारण: विशेषज्ञों के अनुसार, जापान की ओर से ब्याज दरों में बढ़ोतरी (Rate Hike) की संभावना, अमेरिका में $4.5 बिलियन की ऑप्शंस एक्सपायरी और बड़े संस्थानों द्वारा ETF से पैसा निकालना (Outflows) इसके मुख्य कारण हैं। इथेरियम भी $3,100 के मनोवैज्ञानिक स्तर को बचाने की जद्दोजहद कर रहा है।
(इनपुट क्रेडिट: ग्लोबल एक्सचेंज डेटा, अमेरिकी फेडरल बैंक के हालिया नियम)