Trump's Visa Policy: डोनाल्ड ट्रंप की वीज़ा पॉलिसी की वजह से अमेरिका में रह रहे भारतीय छात्र अपनी पार्ट टाइम जॉब्स छोड़ने के लिए मजबूर हो रहे हैं। क्या है इसकी वजह? आइए जानते हैं।
अमेरिका (United States Of America) के 47वें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की सत्ता में वापसी होते ही असर भी दिखने लगा है। शपथ ग्रहण के बाद से ही ट्रंप एक्शन मोड में हैं। ट्रंप ने कई नए आदेश निकाले हैं और साथ ही पुराने आदेशों में भी बदलाव किए हैं। ट्रंप के आदेशों में अमेरिका की वीज़ा पॉलिसी भी शामिल है। हालांकि ट्रंप के इस आदेश से अमेरिका में रह रहे भारतीय छात्रों (Indian Students) की चिंता बढ़ गई है।
अमेरिका में स्टूडेंट वीज़ा पॉलिसी के तहत दूसरे देशों के छात्र, जो अमेरिका में पढ़ाई के लिए F1 वीज़ा पर आए हैं, चिंता में हैं। दरअसल अमेरिका में दूसरे देशों के छात्रों को एफ-1 वीज़ा के तहत कैंपस में एक हफ्ते में अधिकतम 20 घंटे तक काम करने की अनुमति दी जाती है। हालांकि छात्रों पर खर्चों का काफी बोझ होता है और इस वजह से वो ऑफ-कैम्पस पार्ट टाइम जॉब्स करते हैं। हालांकि ऑफ कैम्पस किए जाने वाले ये पार्ट-टाइम जॉब्स बिना दस्तावेजों के होते हैं। अब ट्रंप ने देश में सख्त डिपोर्टेशन पॉलिसी लागू कर दी है, जिससे भारतीय स्टूडेंट्स पार्ट टाइम जॉब्स छोड़ने को मजबूर हो गए हैं।
दरअसल ऑफ कैम्पस किए जाने वाले ये पार्ट टाइम जॉब्स बिना दस्तावेजों के होते हैं और ट्रंप की सख्त डिपोर्टेशन पॉलिसी के तहत ऐसे लोगों को उनके देश डिपोर्ट किया जा सकता है। भले ही उनके पास स्टूडेंट वीज़ा हो, उन पर इसे खोने और डिपोर्ट किए जाने का खतरा रहता है। ऐसे में इस खतरे से बचने के लिए भारतीय छात्र पार्ट टाइम जॉब्स छोड़ रहे हैं।
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अमेरिका में पढ़ाई कर रहे कई भारतीय छात्र लोन लेकर अमेरिका गए हैं। ऐसे में वो सख्त डिपोर्टेशन पॉलिसी के तहत डिपोर्ट किए जाने की रिस्क नहीं लेना चाहते, क्योंकि अब उनमें भविष्य के लिए अनिश्चितता बढ़ रही हैं। ऐसे में बिना पार्ट टाइम जॉब्स के इन छात्रों को पैसों की तंगी का सामना भी करना पड़ सकता है।
पार्ट टाइम जॉब्स को छोड़ने की मजबूरी, भविष्य के लिए बढ़ती अनिश्चितता और पैसों की तंगी की संभावना की वजह से कई छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। छात्रों के लिए यह समय काफी मुश्किल है।
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