Dr.Romit Purohit UAE Award: भारतवंशी डॉ.रोमित पुरोहित को यूएई के एमिरेट्स लव इंडिया कार्यक्रम में 15 उल्लेखनीय लोगों में चुना गया है, वे पहले राजस्थानी प्रवासी हैं।
Dr. Romit Purohit UAE Award: भारत की प्रतिभाएं विदेश में धूम मचा रही हैं। दुबई के जबील पार्क में आयोजित एक भव्य आयोजन ने यूएई-भारत की दोस्ती को नई ऊंचाई दी। 'एमिरेट्स लव इंडिया' इंडिया फेस्ट कार्यक्रम में यूएई के क्राउन प्रिंस शेख हमदान और शेख नाहयान बिन मुबारक अल नाहयान के नेतृत्व में 15 खास नेताओं और प्रोफेशनल्स को सम्मानित किया गया। इनमें से एक नाम था डॉ. रोमित पुरोहित (Dr. Romit Purohit UAE Award) का, जो पहले यूएई में टॉप प्रवासी राजस्थानी बन कर इतिहास रच चुके हैं। ये पुरस्कार यूएई का सबसे प्रतिष्ठित सम्मान माना जाता है, जो भारतीय समुदाय के योगदान उन्हें दिया जाता है। कार्यक्रम में 1,50,000 से ज्यादा भारतीय मौजूद थे, जो संगीत, नृत्य, हस्तशिल्प और भारतीय व्यंजनों से सराबोर माहौल में डूबे रहे।
यह सम्मान सिर्फ डॉ. पुरोहित के योगदान नहीं, बल्कि पूरे भारतीय प्रवासी समुदाय की है। यूएई और भारत के बीच व्यापार 2025 के पहले हाफ में 37.6 बिलियन डॉलर पहुंच गया, जो 33.9% की ग्रोथ दिखाता है। ऐसे इवेंट्स इन रिश्तों को मजबूत करते हैं। डॉ. पुरोहित की कहानी बताती है कि कड़ी मेहनत और सेवा भाव से कोई भी ऊंचाइयों को छू सकता है। भविष्य में वे और बड़े लक्ष्य सेट करेंगे, जैसे राजस्थान फाउंडेशन के साथ हेल्थ प्रोजेक्ट्स। ये प्रेरणा हर भारतीय प्रवासी के लिए है – अपनी जड़ों से जुड़े रहो, दुनिया को बेहतर बनाओ। डॉ. रोमित पुरोहित से पत्रिका ने सीधे यूएई से फोन पर बात की।
कोविड-19 महामारी के दौरान डॉ. पुरोहित योद्धा बने। उन्होंने गाइडलाइंस तैयार कीं, हजारों लोगों को फ्री कन्सल्टेशन की सेवाएं दीं और मरीजों का बिना किसी फीस के इलाज किया। यूएई में भारतीय डॉक्टर्स की एकजुटता के लिए उन्होंने 2000 से ज्यादा भारतीय मूल के डॉक्टर्स को जोड़ा। ये ग्रुप न सिर्फ हैल्थकेयर में मदद करता है, बल्कि कम्युनिटी प्रोग्राम्स चलाता है। सरकारी और हैल्थ सेक्टर से एकमात्र चुने जाने वाले डॉ. पुरोहित ने साबित किया कि उनकी सेवा का जज्बा सीमाओं से परे है। इस सम्मान के लिए उन्हें हुरिया नूरा बिन्त मोहम्मद अल काबी (राज्य मंत्री) और ए. अमरनाथ (भारतीय दूतावास के चार्ज डी'अफेयर्स) ने पुरस्कार सौंपा। ये क्षण 1,00,000 से ज्यादा लोगों की मौजूदगी में चमका, जो यूएई-भारत के गहरे रिश्तों का प्रतीक बना।
जानते हैं उनकी सक्सेस स्टोरी। डॉ. पुरोहित की उपलब्धियां यहीं नहीं रुकतीं। स्वास्थ्य सेवा में उनके योगदान के लिए उन्हें भारत के राष्ट्रीय स्तर पर एपीजे अब्दुल कलाम अवार्ड और अटल बिहारी वाजपेयी अवॉर्ड मिल चुके हैंभारत यूएई की मित्रता का ब्रॉन्ज लगाते हुए खेल के मैदान पर भी वे कमाल हैं – 2017 के इनडोर क्रिकेट वर्ल्ड कप में टीम इंडिया के मोटिवेशनल कोच रहे। वे एक सफल बिजनेसमैन के रूप में भी सक्रिय हैं, जहां वे ग्लोबल लेवल पर कोचिंग देते हैं। पुरोहित पेंटब्रश आर्ट कम्युनिटी के को-फाउंडर हैं, जो कला और संस्कृति को बढ़ावा देती है। रामजान और रेट्रो रिवाइवल जैसे इवेंट्स में उनकी पत्नी सोनल पुरोहित के साथ मिल कर काम किया। ये सब उनकी 'निस्वार्थ सेवा' की फिलॉसफी से प्रेरित है, जो उन्हें परिवार और कम्युनिटी से मिली।
डॉ. रोमित पुरोहित का सफर प्रेरणा की मिसाल है। राजस्थान जोधपुर के एक पढ़े-लिखे परिवार में जन्मे, जहां डॉक्टर, वकील और समाजसेवी रिश्तेदारों की कमी नहीं थी, उन्होंने बचपन से ही लोगों की मदद करने का जज्बा सीखा। उन्होंने बताया, वे 2000 में पुणे यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस पूरा करने के बाद अमेरिका गए, जहां से एमएचए (मास्टर्स इन हैल्थ एडमिनिस्ट्रेशन) कोर्स किया। फिर यूके से एमएस (मास्टर्स इन साइंस) डिग्री हासिल की। आज वे डिप्लोमा इन ऑक्युपेशनल हैल्थ के साथ यूएई में इंडियन ओरिजिन डॉक्टर्स (डीओआरआई) के फाउंडर मैम्बर हैं। वे पिछले 17 साल से दुबई सरकार के साथ जुड़ कर ऊर्जा मंत्रालय और दुबई इलेक्ट्रिसिटी एंड वॉटर अथॉरिटी (देवा) के मेडिकल डिविजन के हेड के रूप में सेवाएं दे रहे हैं। उनकी मेहनत ने उन्हें न सिर्फ प्रोफेशनल हाइट दी, बल्कि सामाजिक क्षेत्र में भी पहचान दिलाई।
डॉ. पुरोहित कहते हैं, "मेरा परिवार मेरा सबसे बड़ा सपोर्ट सिस्टम है। पत्नी, बच्चे और माता-पिता ने मेरी कम्युनिटी सर्विस के लिए अपना समय दिया।" वे युवाओं को सलाह देते हैं – हमेशा पॉजिटिव सोचो, क्योंकि दिमाग नेगेटिव को पकड़ नहीं पाता। मिशन पर फोकस करो, बिना किसी उम्मीद के लीडरशिप लो। सेल्फ-कॉन्फिडेंस ही सफलता की कुंजी है। जीवनसाथी चुनते समय समझदारी बरतो, क्योंकि अकेले का सफर आसान नहीं। भारत के सांस्कृतिक मूल्यों ने उन्हें 'देना ही सुख है' का पाठ पढ़ाया। विभिन्न एनजीओ और कम्युनिटी लीडर्स के साथ उनका जुड़ाव उन्हें 'निस्वार्थ सेवा' का सच्चा अर्थ सिखाता रहा।