Temperature rising of Earth: पृथ्वी के तापमान में तेजी से बढ़ोतरी दर्ज होने से पर्यावरण संकट और जैव विविधता का संकट गहराता जा रहा है। एक नए अध्ययन में यह पाया गया कि तापमान में वृद्धि के कारण घने जंगलों में भी पक्षियों का जीवनकाल घट रहा है।
Global Warming : पहले यह माना जाता था कि विशाल, अछूते वर्षावन जैव विविधता के लिए एक सुरक्षित आश्रय होता है लेकिन अब यह जानकारी सामने आ रही है कि बढ़ता तापमान और घटती वर्षा जंगल के भीतर भी जीवन कठिन बना रही है। जर्नल साइंस एडवांसेस में प्रकाशित एक स्टडी (Eye Opening Study on Rising Temperature of Earth) के अनुसार घने संरक्षित जंगल भी पक्षियों के लिए सुरक्षित नहीं रहे। अमेजन में वर्षों तक 4,264 पक्षियों के डेटा का विश्लेषण करने के बाद वैज्ञानिकों ने पाया कि गर्म और शुष्क मौसम ने 29 में से 24 प्रजातियों की जीवित रहने की संभावना को घटा दिया। लंबा जीवन जीने वाली प्रजातियां इस बदलाव से सबसे अधिक प्रभावित हुईं। शोधकर्ताओं के अनुसार, अगर अमेजन के शुष्क मौसम का औसत तापमान 1 डिग्री सेंटीग्रेट बढ़ता है, तो निचली झाड़ियों में रहने वाले पक्षियों का औसत जीवनकाल 63% तक घट सकता है।
सबसे हैरानी की बात यह थी कि यह मानव गतिविधियों से अछूते जंगलों में हो रहा था। आमतौर पर यूरोप और उत्तरी अमरीका में पक्षियों की गिरती आबादी को शहरीकरण, कृषि विस्तार, और प्रदूषण से जोड़ा जाता है। लेकिन अन्य संरक्षित जंगलों में कोई खेत नहीं, कोई फैक्ट्री नहीं, कोई बिल्ली तक नहीं-फिर भी वहां पक्षी मर रहे हैं। वैज्ञानिक इसे एक 'गूढ़ संकट' मान रहे हैं, जिसके तार जलवायु परिवर्तन, भोजन शृंखला में किसी बदलाव या ईकोसिस्टम में सूक्ष्म स्तर पर हो रहे टूट-फूट का असर शामिल है।
- पनामा (44 साल का अध्ययन): 57 प्रजातियों में से 70% पक्षियों की आबादी घटी। जिनमें से 88% की संख्या आधी या उससे भी कम रह गई।
- इक्वाडोर (22 साल का अध्ययन): संरक्षित अमेजन जंगल में पक्षियों की संख्या आधी हो गई, जिनमें कीटभक्षी पक्षी सबसे अधिक प्रभावित हुए।
- ब्राजील (35 साल का अध्ययन): 79 में से 50% प्रजातियां गिरावट में, यहां भी कीटभक्षी पक्षी सबसे ज्यादा प्रभावित हुए।