नासा (NASA) के वैज्ञानिकों ने बताया कि पहला विस्फोट दो मई, जबकि दूसरा तीन मई को हुआ। यह एक्स-क्लास फ्लेयर था, जो सौर फ्लेयर्स (तूफान) की सबसे शक्तिशाली श्रेणी मानी जाती है। सौर भौतिक विज्ञानी कीथ स्ट्रॉन्ग का कहना है कि यह अब तक का 11वां सबसे शक्तिशाली सौर तूफान था, जो करीब 25 मिनट चला।
सूर्य की सतह पर हाल ही दो बड़े विस्फोट हुए। इनसे उत्पन्न सौर तूफान (Solar Storm) का रुख पृथ्वी की तरफ होने से ऑस्ट्रेलिया, जापान और चीन में कुछ देर के लिए शॉर्टवेव रेडियो ब्लैकआउट हो गया। नए उभरे सनस्पॉट में सूर्य की सतह पर कई ज्वालाएं फूटती देखी गईं। इससे पृथ्वी फायरिंग लाइन में रही। स्पेस डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक नासा के वैज्ञानिकों ने बताया कि पहला विस्फोट दो मई, जबकि दूसरा तीन मई को हुआ। यह एक्स-क्लास फ्लेयर था, जो सौर फ्लेयर्स (तूफान) की सबसे शक्तिशाली श्रेणी मानी जाती है। सौर भौतिक विज्ञानी कीथ स्ट्रॉन्ग का कहना है कि यह अब तक का 11वां सबसे शक्तिशाली सौर तूफान था, जो करीब 25 मिनट चला।
नासा (NASA) के मुताबिक सूर्य की गतिविधियां चरम पर पहुंच रही हैं। हर 11 साल में सूर्य के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव स्थान बदलते हैं। इससे सूर्य के अंदर और उसके आसपास शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र बनने से सौर तूफान उठता है। इस दौरान सूर्य कई ज्वालाएं छोड़ता है, जो पृथ्वी और उसके मैग्नेटोस्फीयर समेत पूरे सौरमंडल को प्रभावित करती हैं।
वैज्ञानिकों के मुताबिक सौर तूफान पृथ्वी पर प्रौद्योगिकी को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। इसके कारण बड़े पैमाने पर बिजली कटौती, रेडियो संचार (जीपीएस समेत) में रुकावट या ब्लैकआउट, पनडुब्बी संचार केबलों की क्षति और उपग्रहों के साथ इलेक्ट्रॉनिक्स प्रणाली में अस्थायी बाधा पैदा हो सकती है। सबसे शक्तिशाली सौर तूफान सितंबर 1859 में आया था।