धरती पर हुए महाविनाश के बाद क्या हुआ था? इस बारे में अब एक रिसर्च ने बड़ा खुलासा किया है।
करीब 25 करोड़ साल पहले धरती पर ऐसा कहर टूटा था जिसे विज्ञान ने ‘द ग्रेट डाइंग’ का नाम दिया था। इसे धरती पर महाविनाश भी कहते हैं। ज़मीन और समुद्र, दोनों जगहों से 90% से ज्यादा जीवन एक झटके में मिट गया था। इस महाविनाश की जड़ में थे साइबेरियन ट्रैप्स के विशाल ज्वालामुखी, जिन्होंने लाखों वर्षों तक जहरीली गैसें और भारी मात्रा में कार्बन उत्सर्जित किया। इससे ग्लोबल टेंपरेचर रिकॉर्ड स्तर तक पहुंचा, समुद्र अम्लीय हो गए, जीवन की चेन टूट गई। ज्वालामुखियों के शांत होने के बाद भी पृथ्वी की आग नहीं बुझी थी।
एक रिसर्च से इस बात का खुलासा हुआ है कि धरती पर हुए महाविनाश के बाद भी 50 लाख साल तक धरती तपती रही। यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स और चीन के भूवैज्ञानिकों की संयुक्त रिसर्च ने इस बात का खुलासा किया है।
वैज्ञानिकों ने चट्टानों और जीवाश्मों का विश्लेषण किया और निष्कर्ष निकाला कि पेड़-पौधों के खत्म हो जाने की वजह से ऐसा हुआ था। पेड़-पौधे कार्बन डाईऑक्साइड को सोखते हैं और उसे ज़मीन में जमा करते हैं। जब जंगल नष्ट हो गए, तो यह प्रक्रिया थम गई। कार्बन वातावरण में जमा होता गया और धरती लगातार तपती रही। इसी दौरान वातावरण से कार्बन सोखने वाले सूक्ष्म जीव प्लवक भी मारे गए जो महासागरों में रहते हैं। इससे एक लंबा ग्लोबल वॉर्मिंग चक्र बन गया।
ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर माइकल बेंटन ने चेतावनी दी है कि जब पेड़ नहीं रहते, तो धरती का संतुलन बिगड़ जाता है। महाविनाश के बाद भी ऐसा ही हुआ था और अब भी ऐसा होने के लक्षण दिखाई दे रहे हैं। आज फिर पेड़ कट रहे हैं, महासागर प्रदूषित हो रहे हैं और कार्बन डाईऑक्साइड का स्तर लगातार बढ़ रहा है। वैज्ञानिक मानते हैं कि अगर आज ही हम प्रदूषण रोक दें, तब भी प्रकृति तुरंत नहीं सुधरेगी क्योंकि जंगल और महासागर पहले ही क्षतिग्रस्त हो चुके हैं।