Education in Abroad: कनाडा ने भी भारतीयों समेत विदेशियों को नौकरी देने की पॉलिसी में बदलाव किया है। जिसके चलते वहां पर भारतीयों का जबरदस्त प्रदर्शन शुरू हो गया है।
Education in Australia: कनाडा में नौकरी का सपना देखने वाले भारतीयों को बड़ा झटका लगने के बाद अब ऑस्ट्रेलिया ने भी उन्हें डबल झटका दे दिया है। ऑस्ट्रेलिया ने ऐलान किया है कि 2025 में अपने अंतरराष्ट्रीय छात्र प्रवेश को 2.7 लाख तक सीमित कर देगा। ऑस्ट्रेलिया के इस कदम से हजारों भारतीयों को झटका लगा है जो उच्च शिक्षा के लिए ऑस्ट्रेलिया (Higher Education) जाने का सपना संजोए बैठे हैं। सबसे ज्यादा पंजाब के छात्रा, क्योंकि पंजाब से सबसे ज्यादा छात्र ऑस्ट्रेलिया जाते हैं।
ऑस्ट्रेलिया के शिक्षा मंत्री जेसन क्लेयर ने आज कहा कि ये फैसला प्रवासन को कम करने के लिए किया जा रहा है, जिसके कारण घर के किराये की कीमतें आसमान छू रही हैं। इस सीमा में उच्च शिक्षा पाठ्यक्रमों के साथ-साथ व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण पाठ्यक्रम भी शामिल हैं। ऑस्ट्रेलिया के प्रवासन एजेंट पंजीकरण प्राधिकरण के सदस्य सुनील जग्गी ने कहा कि जून 2022 में, ऑस्ट्रेलिया ने विदेशी छात्रों की संख्या 5.10 लाख तक सीमित कर दी। 2023 में यह संख्या घटकर 3.75 लाख हो गई। अब उन्होंने वार्षिक योजना स्तरों को और कम कर दिया है। ये स्तर सभी अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए व्यक्तिगत विश्वविद्यालयों को दिए गए हैं। इसमें भारतीय छात्र भी शामिल हैं। अब ऑस्ट्रेलिया के ये विश्वविद्यालय देश और फिर राज्य के अनुसार कोटा तय करेंगे।
दूसरी तरफ कनाडा (Canada)के विदेशियों को नौकरी के नियमों में बदलाव के चलते करीब 70 हजार भारतीयों पर डिपोर्टेशन का खतरा पैदा हो गया है। जिसके चलते ये छात्रा अब सड़कों पर उतर आए हैं। भारतीय छात्रों ने कनाडा के प्रिंस एडवर्ड द्वीप प्रांत में विधान सभा के सामने डेरा डाल दिया है। इसी तरह के प्रदर्शन ओंटारियो, मैनिटोबा और ब्रिटिश कोलंबिया प्रांतों में भी हो रहा है।
दरअसल कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने एक बड़ा फैसला लिया है। जिसके मुताबिक वो कनाडा के श्रम बाजार और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए देश में कम वेतन वाले और अस्थायी विदेशी श्रमिकों की संख्या कम करेंगे। इसके अलावा कनाडाई व्यवसाय घरेलू कामगारों और युवाओं में ज्यादा निवेश करेंगे। यानी अब कनाडा में नौकरी मिलना और भी मुश्किल होगा, सिर्फ यही नहीं, वहां जो भारतीय नौकरी कर रहे हैं, उन पर भी बाहर निकाले जाने का खतरा मंडरा रहा है।