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Elon Musk के Neuralink प्रोजेक्ट का कमाल, तीसरे इंसान के दिमाग में लगाई कंप्यूटर चिप

Neuralink’s Second Successful Implant: एलन मस्क की न्यूरालिंक कंपनी ने सफलतापूर्वक तीसरे इंसान के दिमाग में कंप्यूटर चिप लगा दी है।

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Neuralink chip implant

एलन मस्क (Elon Musk) की न्यूरालिंक (Neuralink) कंपनी ने एक बार फिर कमाल कर दिखाया है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि न्यूरालिंक ऐसी कंपनी है जो इंसानों के दिमाग में कंप्यूटर चिप लगाती है। यह चिप सामान्य तौर पर दिव्यांगों के उनके दिमाग में लगाईं जाती है और इसके बाद उनके दिमाग की क्लिनिकल स्टडी की जाती है। दिमाग में इस चिप को लगाने के बाद टेलीपैथी साइबरनेटिक के ज़रिए दिव्यांग आसानी से कंप्यूटर और स्मार्टफोन जैसे गैजेट्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। पहले न्यूरालिंक दो लोगों के दिमाग में सफलतापूर्वक कंप्यूटर चिप लगा चुकी थी और अब एक बार फिर कंपनी को ऐसा करने में सफलता मिली है।

तीसरे इंसान के दिमाग में लगाई कंप्यूटर चिप

न्यूरालिंक को हाल ही में दुनिया के तीसरे इंसान के दिमाग में कंप्यूटर चिप लगाने में सफलता मिली है। खुद एलन ने इस बारे में जानकारी दी और बताया कि उनकी कंपनी ने तीसरे इंसान के दिमाग में चिप लगा दी है और तीनों सही से काम कर रहे हैं।

अमेरिका, यूके और कनाडा में चल रहे हैं ह्यूमन ट्रायल्स

न्यूरालिंक की टीम पक्षाघात, एएलएस, अंधेपन और अन्य न्यूरोलॉजिकल स्थितियों से जूझ रहे लोगों की मदद के लिए कंप्यूटर चिप बनाने पर लगातार काम कर रही है। अमेरिका (United States Of America), यूके (UK) और कनाडा (Canada) में दिव्यांगों के दिमाग में न्यूरालिंक कंप्यूटर चिप लगाने के ह्यूमन ट्रायल्स भी चल रहे हैं। इसके लिए न्यूरालिंक ने इच्छुक लोगों से पेशेंट रजिस्ट्री में अप्लाई करने के लिए कहा है, जिससे आगे की प्रोसेस शुरू की जा सके।

क्या है न्यूरालिंक का लक्ष्य?

न्यूरालिंक प्रोजेक्ट लंबे समय से एलन का सपना रहा है। न्यूरालिंक का लक्ष्य सिर्फ सोचने भर से ही फोन, कंप्यूटर या दूसरे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का इस्तेमाल करना ऐसे लोगों के लिए संभव बनाना है जो दिव्यांग हैं। इस प्रोजेक्ट की मदद से टैलीपैथी को संभव बनाने पर काम किया जा रहा है।

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मेडिकल साइंस के क्षेत्र में हो सकता है फायदा

न्यूरालिंक प्रोजेक्ट के तहत अभी सिर्फ 3 इंसाओं के दिमाग में ही कंप्यूटर चिप लगाईं गई है, पर तीनों ऑपरेशनों में कामयाबी मिली है। इसी कामयाबी को देखते हुए आने वाले समय में और ज़्यादा देशों में भी न्यूरालिंक के ह्यूमन ट्रायल्स शुरू किए जा सकते हैं, जिससे दिव्यांगों के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सके। अगर इसी तरह इस प्रोजेक्ट के तहत ज़रूरतमंद लोगों के दिमाग में सफलतापूर्वक कंप्यूटर चिप लगाने का सिलसिला जारी रहता है, तो मेडिकल साइंस के क्षेत्र में काफी फायदा हो सकता है।

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