France Anti-Government Protests 2025: फ्रांस में राष्ट्रपति मैक्रों की नीतियों के खिलाफ जनता का गुस्सा सड़कों पर फूट पड़ा है।
France Anti-Government Protests 2025: नेपाल के जन आंदोलन के बाद अब फ्रांस में भी सरकार के खिलाफ लोगों का गुस्सा फूट पड़ा (France anti-government protests) है। ताजा जानकारी के अनुसार, लगभग 1 लाख लोग सड़कों पर उतर आए हैं। जगह-जगह हिंसा, आगजनी और तोड़फोड़ की खबरें आ रही हैं। सरकार विरोधी इस बड़े प्रदर्शन (Paris protest today) ने पूरे देश को हिला दिया है, खासतौर पर राजधानी पेरिस को जहां प्रदर्शन सबसे उग्र रूप में सामने आया। फ्रांस की सड़कों पर हालात बिगड़ते जा रहे हैं। कई प्रदर्शनकारियों ने गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया। दुकानों और सार्वजनिक इमारतों में तोड़फोड़ की गई। पेरिस, लियोन, मार्से और लिली जैसे शहरों में हिंसा की घटनाएं सबसे ज़्यादा देखी गईं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में आग की लपटें और पुलिस के साथ झड़पें साफ देखी जा सकती हैं।
सरकार ने स्थिति को संभालने के लिए लगभग 80,000 सुरक्षाकर्मियों को पूरे देश में तैनात किया है। इनमें से सिर्फ पेरिस में ही 5,000 पुलिसकर्मी हैं। फ्रांस के गृह मंत्रालय के अनुसार, अब तक 200 से ज्यादा उपद्रवियों को गिरफ्तार किया गया है। कई पुलिसकर्मी भी इस हिंसा में घायल हुए हैं।
ये प्रदर्शन कई मुद्दों को लेकर हैं, जिनमें महंगाई, बेरोज़गारी, सरकार की नीतियों में पारदर्शिता की कमी और नागरिक स्वतंत्रताओं पर पाबंदी जैसे विषय शामिल हैं। लोगों का कहना है कि राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की सरकार सिर्फ अमीरों के पक्ष में फैसले ले रही है और आम जनता की आवाज़ को नजरअंदाज कर रही है।
जैसे नेपाल में सोशल मीडिया पर पाबंदी आंदोलन की चिंगारी बनी, वैसे ही फ्रांस में भी सोशल मीडिया के जरिए लोग एकजुट हो रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने ट्विटर, इंस्टाग्राम और टेलीग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स पर सरकार विरोधी अभियान चलाए। हैशटैग्स ट्रेंड कर रहे हैं और लोग फ्रांस सरकार के खिलाफ एकजुटता दिखा रहे हैं।
फ्रांस में हो रही हिंसा पर आम नागरिकों और राजनीतिक विशेषज्ञों की तीखी प्रतिक्रिया सामने आ रही है। कई लोग सरकार की नीतियों को “जनविरोधी” बता रहे हैं, वहीं कुछ का मानना है कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना समाधान नहीं है। सोशल मीडिया पर युवा सबसे अधिक सक्रिय हैं और "मौन लोकतंत्र" के खिलाफ आवाज़ बुलंद कर रहे हैं।
सरकार अब प्रदर्शनकारियों से बातचीत के संकेत दे रही है, लेकिन अभी तक कोई ठोस समाधान सामने नहीं आया है। आगामी दिनों में सरकार की ओर से आपातकालीन बैठकें हो सकती हैं।
संभावित फॉलोअप में ये शामिल हैं:
राष्ट्रपति मैक्रों का संबोधन।
कानून व्यवस्था की समीक्षा।
प्रदर्शनकारी नेताओं की पहचान और बातचीत की प्रक्रिया।
अन्य यूरोपीय देशों में आंदोलन की गूंज।
फ्रांस की राजधानी पेरिस, जो विश्व का प्रमुख पर्यटन स्थल है, वहां की सड़कों पर आगजनी और अशांति ने अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को डरा दिया है। इससे फ्रांस की अर्थव्यवस्था और टूरिज्म इंडस्ट्री को बड़ा नुकसान हो सकता है।
लगातार ड्यूटी, दबाव और हिंसा के बीच पुलिस फोर्स मानसिक और शारीरिक रूप से थक चुकी है। अंदरूनी तौर पर पुलिस विभाग में नाराज़गी भी देखी जा रही है।
फ्रांस का ये आंदोलन, हाल ही में नेपाल में हुए ZNZ युवाओं के जनांदोलन जैसा है। दोनों में ही सोशल मीडिया मुख्य हथियार बना और सरकार की नीतियों के खिलाफ युवाओं ने मोर्चा संभाला।
बहरहाल फ्रांस में हो रहा ये आंदोलन सिर्फ स्थानीय मुद्दों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह वैश्विक लोकतांत्रिक असंतोष का हिस्सा बनता जा रहा है। चाहे नेपाल हो या फ्रांस, युवा अब चुप नहीं रहना चाहते। वे जवाब मांगते हैं, भागीदारी चाहते हैं और परिवर्तन की मांग कर रहे हैं