France PM resignation India impact: फ्रांस में 27 दिनों में पीएम सेबेस्टियन लेकोर्नू का इस्तीफा भारत के रक्षा और व्यापार संबंधों को प्रभावित कर सकता है।
France PM resignation India impact: फ्रांस में राजनीतिक संकट ने नया मोड़ ले लिया है। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के कार्यकाल में सातवें प्रधानमंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू ने सिर्फ 27 दिनों में इस्तीफा दे दिया। यह घटना फ्रांस की संसदीय अस्थिरता को उजागर करती है, जहां कोई एक पार्टी बहुमत नहीं रखती। लेकिन सवाल यह है कि फ्रांस के इस संकट का भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा (France PM resignation India impact) ? दोनों देशों के बीच मजबूत रणनीतिक साझेदारी है, जो रक्षा, व्यापार और ऊर्जा पर टिकी है। आइए, आसान भाषा में समझते हैं कि यह अस्थिरता भारत के लिए क्या मतलब (France political crisis 2025 India impact) रखती है। सितंबर 2025 में मैक्रों ने 39 वर्षीय लेकोर्नू को प्रधानमंत्री बनाया, ताकि बजट विवादों और विपक्षी दबाव से निपटा जा सके। लेकिन कैबिनेट गठन के तुरंत बाद ही गठबंधन सहयोगियों ने असंतोष जताया। वामपंथी दलों ने अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन किया, जबकि दक्षिणपंथी नेशनल रैली ने धमकी दी। लेकोर्नू का कार्यकाल 1958 के बाद का सबसे छोटा रहा। इससे पहले फ्रांस में 2024 के चुनावों से संसद में गतिरोध पैदा हुआ, जिसने कई सरकारों को गिराया। यह संकट बजट घाटे (5.8% GDP) और कर्ज (113% GDP) से जुड़ा है, जो आर्थिक सुधारों को रोक रहा है।
फ्रांस की अर्थव्यवस्था पहले से कमजोर है। राजनीतिक उथल-पुथल से निवेशक डर रहे हैं, जिससे स्टॉक मार्केट (सीएसी 40) में 2% की गिरावट आई। विशेषज्ञों का कहना है कि 2025 में विकास दर 0.6% रह सकती है, जो 2026 में 0.9% तक पहुंचेगी। बैंकिंग और निर्माण क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। अगर नई सरकार नहीं बनी, तो कर्ज रेटिंग डाउनग्रेड हो सकती है, जो यूरो जोन को हिला देगी। फ्रांस का वर्तमान खाता संतुलित है, इसलिए तत्काल वित्तीय संकट कम संभावित है, लेकिन सुधारों में देरी से मंदी का डर बढ़ रहा है।
भारत और फ्रांस के बीच 1998 से रणनीतिक साझेदारी है, जो 2023 में 25 वर्ष पूर्ण हुई। 2025 में द्विपक्षीय व्यापार 25 अरब डॉलर से ऊपर पहुंचा, मुख्यतः रक्षा, एयरोस्पेस, ऊर्जा और उपभोक्ता सामान में। फ्रांस भारत का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता है, रूस के बाद। 2022-23 में फ्रांस ने भारत में 659 मिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) किया, कुल 10.76 अरब डॉलर का स्टॉक। 750 से ज्यादा फ्रेंच कंपनियां भारत में 4.5 लाख लोगों को रोजगार दे रही हैं। 2025 में मोदी की फ्रांस यात्रा के दौरान 14वां सीईओ फोरम हुआ, जो आर्थिक सहयोग बढ़ाने पर केंद्रित था।
फ्रांस की अस्थिरता से भारत के रक्षा सौदे प्रभावित हो सकते हैं। राफेल विमान, स्कॉर्पीन पनडुब्बी और अन्य परियोजनाएं चल रही हैं। राजनीतिक अनिश्चितता से आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो सकती है, लेकिन दोनों देशों की 'रणनीतिक स्वायत्तता' नीति इसे सीमित रखेगी। फ्रांस ने 2025 में भारत के आतंकवाद विरोधी प्रयासों का समर्थन किया। सिविल न्यूक्लियर ऊर्जा में सहयोग मजबूत है, जहां फ्रांस की एईडी (फ्रेंच डवलपमेंट एजेंसी) ने 4 अरब यूरो से ज्यादा फंडिंग दी। साइबर सिक्योरिटी, एआई और ब्लू इकोनॉमी में रोडमैप 2047 तक साझेदारी सुनिश्चित करता है।
फ्रांस का संकट यूरोपीय संघ (ईयू) को कमजोर कर सकता है, जहां भारत का 12% व्यापार होता है। फ्रांस कृषि और आईपी सुरक्षा में बाधाएं डालता रहा है, लेकिन 2025 के समझौतों से व्यापार बढ़ा। राजनीतिक अस्थिरता से फ्रेंच निवेशक सतर्क हो सकते हैं, जो भारत के डिजिटल और रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर को प्रभावित करेगा। हालांकि, यूपीआई का फ्रांस में विस्तार और स्टेशन एफ इंक्यूबेटर में 10 भारतीय स्टार्टअप्स की भागीदारी सकारात्मक है। लंबे समय में, फ्रांस की मंदी से वैश्विक सप्लाई चेन प्रभावित होगी, लेकिन भारत विविधीकरण से लाभ उठा सकता है।
फ्रांस के संकट से यूरोपीय बाजारों में अस्थिरता बढ़ी है। सीएसआईएस के अनुसार, भारत-फ्रांस साझेदारी बहुपक्षीयता पर टिकी है, जो संकट में मजबूत रहेगी। भारतीय विशेषज्ञों का कहना है कि रक्षा सौदे सुरक्षित हैं, लेकिन आर्थिक सुधारों में देरी से ईयू-भारत एफटीए प्रभावित हो सकता है। भारत सरकार ने फ्रांस से स्थिरता की अपील की है।'
सन 2024 चुनावों से फ्रांस में तीन सरकारें गिरीं। जबकि 2025 में बेन गुरियन हवाई अड्डे पर हमलों के बाद भारत ने फ्रांस से सहयोग मांगा। अगर स्नैप चुनाव हुए, तो दक्षिणपंथी नेशनल रैली की जीत से यूरोपीय नीतियां बदल सकती हैं, जो भारत के लिए चुनौती होगी।
बहरहाल फ्रांस का संकट भारत को रणनीतिक विविधीकरण सिखाता है। रक्षा में अमेरिका-रूस के साथ बैलेंस बनाएं। आर्थिक रूप से, फ्रांस की मंदी से भारत एशियाई बाजारों पर फोकस कर सकता है। 2025 के आईएसए और सीडीआरआई जैसे गठबंधन मजबूत रहेंगे। ( इनपुट क्रेडिट: फ्रेंच एम्बेसी, विदेश विभाग ब्रीफ,सीएसआईएस.)