डेमोक्रेट ग़ज़ाला हाशमी ने वर्जीनिया की लेफ्टिनेंट गवर्नर के चुनावों में जीत हासिल की है जिसके बाद वह इस पद के लिए चुनी जाने वाली पहली मुस्लिम महिला बन गई हैं। उनका जन्म 5 जुलाई, 1964 को हैदराबाद में हुआ था और चार साल की उम्र में वो अमेरिका चली गईं थी।
डेमोक्रेट ग़ज़ाला हाशमी ने बुधवार को वर्जीनिया लेफ्टिनेंट गवर्नर की दौड़ जीतकर इतिहास में अपना नाम दर्ज करा लिया। वह संयुक्त राज्य अमेरिका में इस पद के लिए चुनी जाने वाली पहली भारतीय मूल की मुस्लिम महिला और पहली मुस्लिम महिला बन गई हैं। चुनाव जीतने के बाद उनका मुख्य ध्यान गर्भपात और गर्भनिरोध जैसे मामलों में महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करना और हथियारों के इस्तेमाल पर सख़्त नियम बनाना रहेगा ताकि गोलीबारी की घटनाएं कम हो सके। इसके साथ ही शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने पर भी ग़ज़ाला का जोर रहने वाला है।
शुरुआत से ही, ग़ज़ाला अपने विरोधी रिपब्लिकन जॉन रीड, जो एक रेडियो शो होस्ट हैं, के खिलाफ आसानी से एक आरामदायक जीत हासिल कर रही थी। बता दे कि ग़ज़ाला वर्जीनिया से सीनेट के लिए चुनी जाने वाली पहली मुस्लिम महिला भी थीं। उनकी वेबसाइट के अनुसार, वह वर्जीनिया सीनेट में सेवा करने वाली पहली मुस्लिम और पहली दक्षिण एशियाई अमेरिकी महिला हैं। वह उन अमेरिकी राजनेताओं में से हैं जिन्होंने अमेरिका में बंदूक हिंसा के खिलाफ खुलकर आवाज उठाई है और असॉल्ट राइफलों समते अन्य खतरनाक हथियारों पर सख्त नियम लागू करने की मांग की है। साथ ही उन्होंने सार्वजनिक शिक्षा, मतदान अधिकार, प्रजनन स्वतंत्रता, पर्यावरण-समर्थक कार्य, आवास, और सस्ती स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच जैसे क्षेत्रों में भी काम किया है।
ग़ज़ला का जन्म 5 जुलाई, 1964 को हैदराबाद में हुआ था। जब वह चार साल की थीं, तब वह अपनी मां और बड़े भाई के साथ अमेरिका चली गईं थी। उनके पिता पहले ही जॉर्जिया में थे, जहां वह अंतरराष्ट्रीय संबंध में अपनी PhD पूरी कर एक विश्वविद्यालय में पढ़ाना शुरू कर चुके थे। ग़ज़ला ने बाद में जॉर्जिया सदर्न यूनिवर्सिटी से ऑनर्स के साथ बीए की डिग्री प्राप्त की और अटलांटा में एमोरी यूनिवर्सिटी से अमेरिकन लिटरेचर में पीएचडी हासिल की। उन्होंने अज़हर रफ़ीक़ से शादी की जिससे उन्हें दो बेटियां है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सात मुख्य रूप से मुस्लिम देशों, सीरिया, ईरान, इराक, लीबिया, सोमालिया, सूडान, और यमन के नागरिकों के अमेरिका में आने पर रोक लगा देने के फैसले के बाद ग़ज़ाला को चुनाव लड़ने की प्रेरणा मिली।